स्वतंत्रता के जश्न में सराबोर होकर पढ़िए फिल्म 'उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक' के हीरो विक्की कौशल की सफलता की कहानी
अभिनेता विक्की कौशल को इसी साल फिल्म उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक (2019) के लिये बेस्ट एक्टर के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।
आए दिन कई लोग सिर्फ एक ही सपना लिए मायानगरी मुंबई पहुँचते हैं और वो सपना होता है बॉलीवुड में एक्टर बनने का। राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान जैसे एक्टर्स ने अपने टैलेंट की बदौलत खुद को साबित किया। लेकिन आज इस इंडस्ट्री में टैलेंट मिलना बड़ा दुर्लभ है।
मौका स्वतंत्रता दिवस का है और तो आज का फिल्मी फ्राइडे इसी को समर्पित है। पिछले साल रिलीज हुई फिल्म उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक हाल ही के सालों में आई मेरी पसंदीदा देशभक्ति फिल्मों में से एक है। फिल्म तो हम सभी ने देखी और बेहद पसंद भी आई। लेकिन फिल्म के हीरो विक्की कौशल ने सफलता के जो झंडे गाड़े है, उनका कोई सानी नहीं है। विक्की कौशल, स्टाइल और टैलेंट का परफेक्ट मेलजोल है। आज विक्की सफलता के जिस शिखर पर हैं अब उनके लिये किसी परिचय की जरूरत नहीं है लेकिन मुझे यकीन है कि आप उनके अतीत के बारे में नहीं जानते होंगे। तो चलिए मैं बताता हूँ आपको विक्की कौशल की सफलता की कहानी...
बॉलीवुड में फिल्मों के एक्शन डायरेक्टर और डायरेक्टर शाम कौशल के बेटे, विक्की कौशल निस्संदेह उन दुर्लभ प्रतिभाओं में से एक है जो बॉलीवुड को मिली हैं लेकिन यह सब उन्हें उनकी मेहनत और संघर्ष से मिला है। विक्की कौशल की सफलता की डगर निश्चित रूप से इतनी आसान नहीं थी। लेकिन उन्हें अपने सपने में यकीन था, एक्टिंग के प्रति जबरदस्त जुनून था और कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद उन्हें सफलता मिली।
छोड़ दी आईटी की नौकरी
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में विक्की ने कहा,
“कॉलेज के दौरान, मैंने एक आईटी जॉब के लिए इंटरव्यू देने का फैसला किया। मैं 'घबराहट' का अनुभव करना चाहता था - टाई पहनना और किसी को अपना रेज्यूमे देने के लिए इंतजार करना। मुझे पहले ही पता था कि मैं कभी भी उस पेशे को चुनने नहीं जा रहा था, यहाँ तक कि मुझे ऑफर लेटर भी मिल गया।”
विक्की के पिता एक एक्शन डायरेक्टर थे और वह विक्की को "कौशल परिवार का चिराग" मानते थे। जब उनके पिता विक्की की 9-5 की आईटी जॉब, अच्छी सैलरी से संतुष्ट थे, तब भी विक्की ने उन्हें बताया कि वे एक्टर बनना चाहते हैं। उस समय, उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि उनके पिता अपने अभिनय के सफर में किन संघर्षों से गुज़रे थे। उनके पिता को रोजाना 2 वक्त के खाने के लिये काम ढूँढना पड़ता था।
अपने पिता के संघर्ष की कहानी को सुनकर, विक्की का मन और भी दृढ़ हो गया। आश्वस्त और प्रतिभाशाली विक्की ने अपने चिंतित पिता को आश्वासन दिया कि वह अपना 120% लगाएंगे और एक्टिंग कभी भी उनकी दूसरी प्राथमिकता नहीं होगी।
विक्की गर्व से कहते हैं,
“इसलिए मैंने इंजीनियरिंग की नौकरी के उस ऑफर को फाड़ दिया और ऑडिशन के लिए निकल पड़ा।”
आसान नहीं था सफर
पहला ऑडिशन विक्की के लिए एक बुरे सपने जैसा था। यह ऑडिशन एक बड़ी फिल्म में एक छोटी रोल के लिए था और वहां उन्हें एहसास हुआ कि वह हर चीज से कितना दूर है। अपने घर वापस जाने के दौरान, वह रोए, खुद से कहते हुए कि “विक्की, अब तो तूने जॉब लेटर भी फाड़ दिया!”
हालांकि वह डर गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। और अगले दिन, वह अपने घर से बाहर निकले और फिर ऑडिशन देने पहुँच गए। विक्की ने थियेटर करना शुरू किया और एक एक्टर के रूप में खुद को और डेवलप किया।
वर्ष 2010 में विक्की ने निर्देशक अनुराग कश्यप के साथ बतौर सहायक निर्देशक फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर में काम किया।
विक्की ने एक शोर्ट फिल्म गीक आउट के अलावा लव शव ते चिकन खुराना और बॉम्बे वेलवेट जैसी फिल्मों में छोटी भूमिका निभाई।
'मसान' से मिली प्रशंसा
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह रोज बैग में कुछ जोड़ी कपड़े और एक ट्रिमर लेकर रवाना होते थे ताकि जैसा भी रोल हो उसके लिए ऑडीशन दे सकें। उन्होंने आगे बताया, फिल्म मसान के लिए विक्की की तैयारी बहुत पक्की थी। वह कई हफ्ते पहले बनारस पहुंच गए थे। वहां वह चाय की दुकानों पर जाकर लोगों की बातचीत रिकॉर्ड किया करते थे और उसे घर आकर नोट करते थे।
साल 2015 में 'मसान' रिलीज़ हुई। बड़े पर्दे पर अपने बेटे के प्रदर्शन पर गर्व करते हुए, विक्की के पिता ने अपने एक मित्र से यह कहते हुए फोन भी लिया - "विक्की के पापा"। वाक्यांश सुनकर वह बेहद खुश और साथ ही साथ भावुक भी हो गये और 10 मिनट के भीतर उन्होंने विक्की को इस खूबसूरत घटना की जानकारी दी।
इस दौरान विक्की अपने जीवन के सबसे हसीन पल को भी शेयर करते हैं, यह तब था जब वह अपनी माँ को कार के शोरूम में ले गए और अपनी मेहनत की कमाई से कार खरीदी।
उसी पल विक्की ने महसूस किया कि उन्होंने बहुत ही खूबसूरती से "कौशल परिवार का चिराग" और अपनी शर्तों में यह खिताब बरकरार रखा है।
मसान से उरी तक
मसान के बाद विक्की की दूसरी फिल्म जुबान थी, जो मार्च 2016 में रिलीज हुई यह फिल्म एक युवा लड़के (विक्की कौशल) की कहानी है जो बड़बड़ाने की बीमारी से ग्रस्त है। उनकी अगली फिल्म रमन राघव 2.0, अनुराग कश्यप की मनोवैज्ञानिक थ्रिलर थी, जिसमें उन्होंने नशे की लत वाले किरदार को निभाया है। इसके अलावा विक्की, अभिषेक बच्चन और तापसी पन्नू अभिनीत फिल्म मनमर्जियां में भी नजर आये।
साल 2018 में विक्की मेघना गुलजार निर्देशित फिल्म राजी में आलिया भट्ट के अपोजिट नजर आये। फिल्म में उन्होंने पाकिस्तानी आर्मी जवान की भूमिका अदा की थी। उन्होंने अपने किरदार को बेहद ही सादगी से निभाया, जिसके क्रिटिक्स ने उन्हें काफी सराहा। इसके बाद विक्की फिल्म संजू (2018) में नजर आये। इस फिल्म में विक्की (कुमार गौरव) की भूमिका अदा किया है, जोकि संजय दत्त के करीबी दोस्तों में से एक हैं।
विक्की कौशल कड़ी मेहनत, संघर्ष, दृढ़ संकल्प और आत्मविश्वास का एक सच्चा उदाहरण है। और उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक फिल्म का उनका ये डायलॉग हमें निरंतर प्रेरणा देता है - 'हाउज़ द जॉश? हाई, सर!'
विक्की कौशल को इसी साल फिल्म उरी - द सर्जिकल स्ट्राइक (2019) के लिये बेस्ट एक्टर के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।