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ऋषि कपूर की वो पाँच सुपरहिट फिल्में, जिन्होंने बदल दिया समाज का नज़रिया

दो साल तक ल्यूकेमिया से जंग लड़ने के बाद बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर 30 अप्रैल को 67 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए। ऋषि की इच्छा थी कि उन्हें आंसुओं से नहीं मुस्कुराहट के साथ याद किया जाए।

फिल्म इंडस्ट्री और सिनेप्रेमियों के लिए यह हफ्ता बेहद दुखद रहा है। इरफान खान के बाद अब दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर ने भी इस दुनिया से हमेशा के लिए रुखसती ले ली है। ऋषि बीते दो सालों से ल्यूकेमिया कैंसर से जंग लड़ रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद बुधवार को उन्हें एच. एन. रिलायंस अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां गुरुवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।


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ऋषि कपूर (फोटो क्रेडिट: Outlook India)


भगवान का स्क्रीनप्ले भी अजीब है। आज का फिल्मी फ्राइडे लिखना मेरे लिए ज़हनी तौर पर बेहद मुश्किल और ज़ज्बाती है। की-बोर्ड पे चलती हुई मेरी उँगलियाँ काँप रही है- रूह सनसना रही है, लेकिन वो कहते हैं ना ‘‘The Show Must Go On’’ 

आज इस लेख में मैं आपके लिए लेकर आया हूँ ऋषि कपूर की वो पाँच सुपरहिट फिल्में जिन्होंने समाज का नज़रिया हमेशा के लिए बदलकर रख दिया।

बॉबी

साल 1973 में पर्दे पर आई ये फिल्म अभिनेत्री डिम्पल कपाड़िया और अभिनेता ऋषि कपूर की पहली फिल्म थी। इस फिल्म में ऋषि और डिम्पल के साथ प्राण, अरुणा ईरानी, प्रेम चोपड़ा और फरीदा जलाल भी अहम किरदार निभाते नज़र आए। नतीजन फिल्म बॉबी 1973 की सबसे सफल फिल्म रही।


मेरी नज़र में फिल्म बॉबी को हिंदी सिनेमा की पहली टीनएज लव स्टोरी कहा जाए तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।


कहा ये भी जाता है कि फिल्म मेरा नाम जोकर के असफल होने पर राज कपूर ने अपने बेटे को फ़िल्म का नायक बनाया। फ़िल्म सुपरहिट रही। मेरा नाम जोकर से जो नुकसान हुआ था वो बॅाबी ने पूरा किया। अपनी कमसिन नायकी के कारण डिम्पल कपाड़िया ने सनसनी फैला दी थी।


साल 1974 में फिल्म बॉबी के लिए ऋषि कपूर (सर्वश्रेष्ठ अभिनेता) और डिम्पल कपाड़िया (सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री) को फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था।

प्रेम रोग 

फिल्म प्रेम रोग साल 1982 में रिलीज़ हुई थी। राज कपूर के निर्देशन में बनी यह फिल्म हिंदुस्तानी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में से एक मानी जाती है। यह फिल्म भी एक प्रेमकहानी ही है। राज कपूर इस फिल्म के साथ सामाजिक विषयों पर लौट आए थे। इस फिल्म में ऋषि कपूर के साथ अभिनेत्री पद्मिनी कोल्हापुरे लीड रोल में नज़र आईं थी। फिल्म के बाकी कलाकार थे- शम्मी कपूर, तनुजा, कुलभूषण खरबंदा, और रज़ा मुराद। फिल्म के गीत-संगीत को भी काफी पंसद किया गया।


फिल्म के दो डायलॉग 'प्रेम तो वो रोग है जो आसानी से लगता नहीं, और जब लग जाता है ना, फिर कभी मिटता नहीं' और 'रीत रिवाज इंसान की सहूलियत के लिए बनाए जाते हैं, इंसान रीत रिवाजों के लिए नहीं' हमें हमेशा याद रहेंगे।

प्रेम ग्रंथ

राजीव कपूर द्वारा निर्देशित और आर. के. फिल्मस के बैनर तले बनी ये फिल्म साल 1996 में रिलीज़ हुई थी। फिल्म में ऋषि कपूर और माधुरी दीक्षित मुख्य भूमिकाओं में थे। यह फिल्म बलात्कार जैसे झकझोर देने वाले विषय पर बनी थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर तो कुछ खास कमाल नहीं कर पाई मगर हाँ, आलोचकों और सिनेप्रेमियों के लिए ये फिल्म खास है।


इस फिल्म में शम्मी कपूर, अनुपम खेर, ओम पुरी, प्रेम चोपड़ा, रीमा लागू और हिमानी शिवपुरी ने भी अहम किरदार अदा किए थे।

दामिनी

राजकुमार सन्तोषी के निर्देशन में बनी यह फिल्म साल 1993 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में ऋषि कपूर के साथ मीनाक्षी शेषाद्रि, सनी देओल और अमरीश पुरी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म के जरिये दिखाया गया कि एक महिला इंसाफ के लिए समाज के खिलाफ कैसे लड़ती है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर काफी सफल रही थी और इसे सबसे अच्छी महिला प्रधान फिल्मों में से एक माना जाता है।

मुल्क़

अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित यह फिल्म साल 2018 में रिलीज़ हुई थी। आतंकवाद जैसे सेंसिटिव मुद्दे पर बनी फिल्म मुल्क़ एक मुस्लिम परिवार की कहानी है, जो अपने खोए सम्मान को पुनः प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है। इस फिल्म में ऋषि के साथ-साथ तापसी पन्नू, रजत कपूर, प्रतीक बब्बर और आशुतोष राणा जैसे कलाकारों ने भी फिल्म में बेहतरीन काम किया था। फिल्म को आलोचकों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी।


मुझे याद है ऋषि कपूर का ये डायलॉग 'अगर आप मेरी दाढ़ी और ओसामा बिन लादेन की दाढ़ी में फर्क नहीं कर पा रहे हैं तो भी मुझे हक है मेरी सुन्नत निभाने का' काफी दमदार और सटीक था।


इन सब के अलावा प्रख्यात फिल्मकार यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी उनकी (यशजी की) आखिरी फिल्म जब तक है जान (2012) भी बेहद खास है। फिल्म में ऋषि कपूर और उनकी पत्नी नीतू सिंह ने कैमियो रोल किया था। फिल्म में ऋषि कपूर का एक डायलॉग था, जो मुझे बेहद पसंद है, वो है,


'हर इश्क का एक वक्त होता है, वो हमारा वक्त नहीं था, पर इसका यह मतलब नहीं कि वो इश्क नहीं था'


आज के इस फिल्मी फ्राइडे का अंत मैं हासिल फिल्म में बोले गए इरफान खान के एक डायलॉग- ‘‘तुमको याद रखेंगे गुरु हम, आई लाइक आर्टिस्‍ट’’ से करूँगा। अगले फिल्मी फ्राइडे में आपसे फिर रू-ब-रू होउँगा, एक नयी कहानी के साथ। तब तक के लिए हस्त ला विस्ता (Hasta la vista)


आइये हम सब मिलकर अपने दोनों चहेते अभिनेताओं (इरफान खान और ऋषि कपूर) की आत्मा की शांति के लिये दुआ करते हैं।

ॐ शांति...ॐ शांति...ॐ शांति



Edited by रविकांत पारीक