अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच भारत और चीन ने 19 खरब रुपये के रूसी तेल और गैस खरीदे
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद केवल तीन महीने में मई के अंत तक चीन ने रूसी तेल, गैस और कोयले की खरीद पर 18.9 बिलियन डॉलर (15 खरब रुपये) खर्च कर दिए. यह चीन द्वारा रूस से ईंधन पदार्थ खरीदने में किए गए खर्च का दोगुना है.
यूक्रेन पर हमला करने के केवल तीन महीने में ही चीन और भारत को ईंधन पदार्थ बेचकर रूस ने 24 बिलियन डॉलर (19 खरब रुपये) कमा लिए.
ये आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अमेरिका और यूरोप रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसे यूक्रेन पर हमले को रोकने और अपनी शर्तें मानने के लिए मजबूर करना चाहते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि वैश्विक बाजार में ईंधन पदार्थों की उच्च कीमतों के कारण यह रणनीति पूरी तरह से कारगर नहीं हो पा रही है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद केवल तीन महीने में मई के अंत तक चीन ने रूसी तेल, गैस और कोयले की खरीद पर 18.9 बिलियन डॉलर (15 खरब रुपये) खर्च कर दिए. यह चीन द्वारा रूस से ईंधन पदार्थ खरीदने में किए गए खर्च का दोगुना है.
वहीं, इसी अवधि में भारत ने रूस से 5.1 बिलियन डॉलर (4 खरब रुपये) खर्च किए. यह राशि भारत द्वारा रूस से ईंधन पदार्थ खरीदने में पिछले साल किए गए खर्च का पांच गुना है.
इस तरह से मई 2021 की तुलना में मई 2022 में रूस को केवल इन दो देशों 13 बिलियन डॉलर (10.28 खरब रुपये) अधिक राजस्व हासिल हुआ.
भारत और चीन द्वारा की जा रही यह अतिरिक्त खरीदारी अमेरिका और कुछ अन्य देशों से घटी हुई खरीद में मदद कर रहा है जिन्होंने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस को दंडित करने के लिए बिक्री को रोक दिया है या धीमा कर दिया है.
युद्ध के बाद से ही रूसी ईंधन बिक्री की निगरानी कर रहे सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के प्रमुख विश्लेषक लॉरी मायलीविर्टा ने कहा कि चीन पहले से ही अनिवार्य रूप से वह सब कुछ खरीद रहा है जो रूस पाइपलाइनों और प्रशांत बंदरगाहों के माध्यम से निर्यात कर सकता है.
रूस के चीन और भारत के साथ लंबे समय से व्यापार और रणनीतिक संबंध हैं और कीमतों में भारी छूट की पेशकश के साथ-साथ इस साल मजबूत देशों में व्यापार को बनाए रखने में मदद करने के लिए स्थानीय मुद्रा में भुगतान स्वीकार कर रहा है.