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विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पाने वाले पहले भारतीय सीवी रमन के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

सीवी रमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 7 नवंबर, 1988 को हुआ था. उन्हें 1930 में फिजिक्स में उनके योगदान के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया था. 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजा गया.

विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पाने वाले पहले भारतीय सीवी रमन के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

Monday November 07, 2022 , 3 min Read

भारत के सीवी रमन दुनिया भर में साइंस और रिसर्च के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाने जाते हैं. उनके जन्मदिन के अवसर पर सोमवार को तमाम लोगों ने उन्हें याद किया. उड़ीसा की सीएम नवीन पटनायक ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. सीवी रमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 7 नवंबर, 1988 को हुआ था.

रमन ने 16 साल की उम्र में ग्रेजुएशन में टॉप किया था और यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास में फिजिक्स में गोल्ड मेडल जीता. बीएससी खत्म करने के बाद उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से ही एमएससी पूरी की.

सीवी रमन को 1930 में फिजिक्स में प्रकाश के प्रकीर्णन और रमन इफेक्ट की डिस्कवरी के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा गया था. उन्हें 1954 में भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से भी नवाजा गया था.

आइए उनके बारे में कुछ और दिलचस्प तथ्य जानते हैं-

  • सीवी रमन ऐसे पहले भारतीय, एशियाई अश्वेत शख्स थे, जिन्हें फिजिक्स का नोबल पुरस्कार मिला था.

  • रमन का पहला रिसर्च पेपर जो प्रकाश के प्रकीर्णन पर था वो 1906 के दौरान प्रकाशित था  हुआ था जब वो ग्रेजुएशन में थे.

  • 19 साल की उम्र में उन्होंने असिस्टेंट अकाउंटेंट जनरल के तौर पर इंडियन फाइनैंस सर्विस, कोलकाता के साथ अपने करियर की शुरुआत की.

  • रमन की नौकरी भले ही फाइनैंस क्षेत्र में थी मगर उनका मन हमेशा से विज्ञान क्षेत्र में लगा रहता था.

  • नौकरी के साथ-साथ वो इंडियन असोसिएशन फॉर दी कल्टीवेशन ऑफ साइंस के लिए रिसर्च भी करते थे और नेचर, फिजिक्स रिव्यू जैसे कई लीडिंग इंटरनैशनल जर्नल्स में उनके पेपर भी छपे.

  • 1917 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और कोलकाता यूनिवर्सिटी में फिजिक्ट डिपार्टमेंट प्रोफेसरशिप जॉइन कर ली.

  • 1919 में रमन को IACS में दो ऑनररी पदों- दी ऑनररी प्रोफेसर और ऑनररी सेक्रेटरी से नवाजा गया. IACS ने उन्हें उनकी मर्जी के क्षेत्रों में स्वतंत्र रूप से रिसर्च करने की अनुमति भी दी.

  • 1933 में, रमन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के पहले भारतीय डायरेक्टर बने. वो 1937 तक उस पद पर बने रहे और 1948 तक फिजिक्स डिपार्टमेंट के हेड बने रहे.

  • रमन के भतीजे सुब्रमण्यम चंद्रशेखर को भी 1983 में विलियम फॉलर के साथ फिजिक्स का नोबल पुरस्कार मिला था.

  • रमन ने 1948 में IISC से रिटायर होने के बाद बेंगलुरु में ही 1949 में अपना रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट शुरू किया. रमन 21 नवंबर, 1970 को अपनी मृत्यु तक इस संस्थान के डायरेक्टर बने रहे.

  • अपनी पूरी जिंदगी में सीवी रमन को लेनिन पीस प्राइज और फ्रैंकलिन मेडल जैसे कई बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया था.


Edited by Upasana