एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रिडिएंट के उत्पादन को तेज़ करने जा रहा है भारत, अभी चीन पर था अधिक निर्भर
नीति आयोग के सीईओ के अनुसार, भारत सरकार अपने ‘फार्मा दृष्टिकोण 2020’ को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके जरिये भारत को दवा खोज, नवोन्मेषण और औषधि विनिर्माण में दुनिया का अग्रणी देश बनाने का लक्ष्य है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि भारत ने एपीआई का उत्पादन बढ़ाने के लिए नई योजना शुरू की। अभी तक भारत इसके लिए काफी हद तक चीन की आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर था।
जेनेरिक दवाओं के वैश्विक केंद्र भारत ने एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रिडिएंट (एपीआई) का उत्पादन बढ़ाने की नई योजना शुरू की है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त ने यह जानकारी दी।
कान्त ने 14वें वार्षिक जैवऔषध एवं स्वास्थ्य सेवा शिखर बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अभी तक एपीआई के लिए भारत काफी हद तक चीन की आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर करता था। उन्होंने कहा कि भारत अब फार्मास्युटिकिल पारिस्थितिकी तंत्र में नवोन्मेषण के लिए तैयार हो रहा है।
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि भारत ने एपीआई का उत्पादन बढ़ाने के लिए नई योजना शुरू की। अभी तक भारत इसके लिए काफी हद तक चीन की आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भर था।
यूएस-इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा शुक्रवार को आयोजित वर्चुअल शिखर बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत में पूर्ण विनिर्माण की योजना बना रहे हैं।’’
दिनभर चली इस वर्चुअल बैठक में अमेरिका के फार्मा क्षेत्र की दिग्ग्ज कंपनियां शामिल हुईं। इन कंपनियों का शोध एवं विकास का सामूहिक सालाना बजट 45 अरब डॉलर है।
कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से अमेरिका और चीन के संबंध काफी खराब हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनियाभर में वायरस फैलने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। अब तक इस महामारी से दुनियाभर में आठ लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
कान्त ने कहा कि भारत सरकार अपने ‘फार्मा दृष्टिकोण 2020’ को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके जरिये भारत को दवा खोज, नवोन्मेषण और औषधि विनिर्माण में दुनिया का अग्रणी देश बनाने का लक्ष्य है।
(सौजन्य से- भाषा पीटीआई)