पहली टॉप इंडियन फुटबॉल स्कोरर बाला देवी का विदेशी क्लब से करार
हाल ही में स्कॉटलैंड के फुटबॉल क्लब 'रेंजर्स' से 18 महीने का शानदार करार हासिल करने वाली भारत ही नहीं, पूरे एशिया की पहली भारतीय महिला फुटबॉलर खेल में भविष्य देखने वाली लड़कियों से कहती हैं- 'सपने देखना कभी मत छोड़ना, चाहे कोई भी कुछ भी कहे।' मणिपुर की मिट्टी में उपजीं नंगंगोम बाला पर पूरे देश को फ़क्र है।
ग्लोबलाइज हो चुके आधुनिक विश्व में अब शख्सियत को भी नए सिरे से परिभाषित करने की जरूरत लगती है। एजुकेशन, खेल, कारपोरेट नौकरियों, सोशल एक्टिविटीज में नई युवा प्रतिभाएं भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर रही हैं।
ऐसी ही एक बड़ी शख्सियत के रूप में भारतीय महिला फुटबॉल टीम की बेहद संभावनाशील खिलाड़ी नंगंगोम बाला देवी की कामयाबियां विश्व के सिर चढ़कर बोलने लगी हैं। उनके साथ हाल ही में स्कॉटलैंड के फुटबॉल क्लब 'रेंजर्स' ने 18 महीने का करार किया है, जो भारत के लिए बड़े ही फ़क्र की बात हो सकती है। इस करार के साथ बाला विदेशी क्लब के साथ खेलने वाली पहली भारतीय ही नहीं, बल्कि पूरे एशिया की श्रेष्ठ महिला फुटबॉलर बन गई हैं। वह खेल में अपना भविष्य देखने वाली लड़कियों से कहती हैं कि 'सपने देखना कभी मत छोड़ना, चाहे कोई भी कुछ भी कहे।'
दो फरवरी 1990 को विष्णुपुर (मणिपुर) के इरेंगबम में पैदा हुईं 29 वर्षीय बाला अपने फुटबॉल करियर बताती हैं कि जिस दस साल की उम्र में उनके साथ की लड़कियां गुड्डे-गुड़िया के खेल खेला करती थीं, वह अपने मुहल्ले के लड़कों के साथ फुटबॉल में दो-दो हाथ करने के लिए मैदान में पसीना बहाने लगीं। उनके पिता ने सबसे पहले उनके इस हुनर को पहचाना और प्रशिक्षण के लिए उनको इरेंगबम अकादमी रवाना कर दिया।
इरेंगबम में उसी समय नई-नई लड़कियों के लिए फुटबॉल ट्रेनिंग अकादमी खुली थी। वर्ष 2002 में उन्होंने पहली बार अंडर 17 खेला। अगले साल 2003 में अंडर 19 टूर्नामेंट में उतरीं और पहली बार में ही उन्हें उस खेल स्पर्द्धा का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया गया। महज 15 साल की उम्र में वह भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा बन गई थीं। वर्ष 2005 से वह भारतीय टीम के लिए खेल रही हैं। अपनी जबरदस्त मेहनत को अपनी सफलता का राज बताते हुए वह कहती हैं कि दुनिया कुछ भी कहती रहे, अपने लक्ष्य को पाने के लिए जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए।
बाला का घरेलू फुटबॉल में भी शानदार रिकॉर्ड है। वह ऐसे 120 मैचों में 100 से अधिक गोल कर चुकी हैं। बीते दो सीजन से वह इंडियन वूमेंस लीग में टॉप स्कोरर हैं। उनको 2015 और 2016 में अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ 'वुमेंस प्लेयर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से नवाज चुका है। बाला अब पहले से भी ज्यादा मेहनत करना चाहती हैं।
गौरतलब है कि जिस रेंजर्स महिला फुटबॉल क्लब से उनका ताज़ा करार हुआ है, वह स्कॉटिश प्रीमियर लीग के लिए खेलने वाली यूरोप की दस टॉपर टीमों में से एक है। क्लब भी उम्मीद कर रहा है कि बाला उसके आक्रामक तेवर को इस साल के विश्व फुटबॉल सीजन में और धारदार बनाएंगी। बाला अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता को देती हुई कहती हैं कि उनके बिना मेरा यहां तक पहुंचना मुश्किल था। उनके पिता भी फुटबॉलर रहे हैं। वह उनको रोजाना खुद ट्रेनिंग कैंप तक ले जाते थे और खुद ट्रेनिंग भी देते रहे। उन्हें जब भी जरा सी भी चोट लग जाती, वह रात-रात भर जागकर उनको मरहम पट्टी करते थे। आज एक फुटबॉलर के रूप में '10 नंबरी' जर्सी हासिल कर लेने को वह अपने लिए बड़े गौरव की बात मानती हैं।
स्कॉटलैंड के साथ ताज़ा महत्वपूर्ण करार पर बाला बताती हैं कि नवंबर, 2019 में उन्होंने भी रेंजर्स के साथ ट्रायल्स में भाग लिया था। उसी मौजूदगी ने उनके करार का रास्ता खोला है। यह करार उनके एक बड़े सपने के सच होने जैसा है। अब मैं दुनिया के सबसे बड़े क्लबों में से एक यूरोप में फुटबॉल खेल पाएंगी।
इस समय वह स्कॉटलैंड में रेंजर्स टीम के साथ प्रैक्टिस कर रही हैं। बाला को उम्मीद है कि यह सफलता भारत में फुटबॉल को पेशे के तौर पर अपनाने और इसमें बड़ा करने की चाह रखने वाली उनकी जैसी अन्य लड़कियों को नई राह दिखाएगी। भारत में बाला के नाम सबसे ज्यादा गोल करने वाली महिला फुटबॉलर के रूप में दर्ज हैं।
वह वर्ष 2010 के बाद से अब तक 58 मैचों में 52 गोल कर चुकी हैं। वह दक्षिण एशियाई रीजन में सबसे अधिक इंटरनेशनल गोल करने वाली महिला फुटबॉलर हैं। अपने शानदार इंटरनेशनल करियर में बाला भारत की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम की कप्तानी भी कर चुकी हैं।