Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

अमेरिका और चीन की लड़ाई का भारतीय लहसुन किसान उठा रहे फायदा

अमेरिका और चीन दुनिया के दो बड़े लहसुन उत्पादक देश हैं लेकिन उनके बीच चल रहे ताजा व्यापार-वार से भारत के लहसुन उत्पादक किसानों की बल्ले-बल्ले हो रही है। खासकर हिमाचल और उत्तर प्रदेश के लहसुन किसान मौजूदा सीजन में लहसुन से ऊंची कमाई होने के कारण पिछले साल का घाटा भी थाम रहे हैं।

अमेरिका और चीन की लड़ाई का भारतीय लहसुन किसान उठा रहे फायदा

Sunday May 26, 2019 , 4 min Read

सांकेतिक तस्वीर

वैश्विक बाजारीकरण के उस्ताद चीन अपनी अमेरिकी अदावत में भले भारतीय खेतों की सफेद चांदी कहे जाने वाले लहसुन कारोबार को भी झटका दे रहा हो, दो बड़े देशों की टेंशन में भारत के लहसुन उत्पादक किसानों की बल्ले हो रही है। कुल्लू घाटी (हिमाचल) का 900 हेक्टेयर का लगभग 15 हजार मीट्रिक टन लहसुन मंडी में लहलहा रहा है। यहां के किसानों और बागवानों ने सेब, पलम, नाशपती सहित अन्य फसलों के साथ लहसुन को भी अपनी ऊंची कमाई का जरिया बना लिया है। इस बार सर्दियों में अच्छी मात्रा में बारिश और बर्फबारी से उन्हें पिछले साल की तुलना में लहसुन के अच्छे दाम मिलने के आसार हैं। उधर, नीमच (म.प्र.) में कभी लहसुन की पैदावार घाटे का सौदा साबित हो रही थी। किसानों को मंडियों में लहसुन कौड़ियों के भाव बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा था लेकिन अब कृषि उपज मंडी में ऊटी लहसुन के भाव उम्मीद से ज्यादा 10 हजार रुपए क्विंटल तक मिलने से वे काफी खुश नजर आ रहे हैं। इस समय रोजाना मंडी में दो हजार बोरी लहसुन की आवक हो रही है।


जहां तक लहसुन के वैश्विक बाजार की बात है, दशकों से सस्ते चीनी लहसुन से पिटने के बाद अमेरिका-चीन के व्यापार वार में एक बार फिर कैलिफोर्निया का लहसुन बाजार पकड़ रहा है क्योंकि चीन का लहसुन आयात भारी टैक्स के दबाव में है। अमेरिका की लहसुन उगाने वाली तीन बड़ी कंपनियों में एक क्रिस्टोफर रैंच लहसुन बाजार से खुश है। इसकी वजह है, लहसुन की ज्यादातर खपत अपने ही देश अमेरिका में। गौरतलब है कि चीन के लहसुन पर टैक्स की दर गत 9 मई 2019 को 10 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी कर दी गई है। उसी दिन अमेरिका ने चीन से आयात वाले वाले 200 अरब डॉलर के सामान पर टैक्स बढ़ा दिया था।


पिछले साल चीनी लहसुन पर 10 फीसदी शुल्क लगाने के बाद 2018 की आखिरी तिमाही में घरेलू बाजार में लहसुन की बिक्री 15 फीसदी बढ़ गई थी। इसके बाद चीन और अमेरिका के बीच चल रही कारोबारी बातचीत टूटने पर ट्रंप ने इस शुल्क की दर को और बढ़ाने का फैसला किया। अमेरिका में लहसुन की फसल तैयार होने के मौसम से ठीक पहले सरकार ने ये कदम उठा लिया। अमेरिका में चीनी लहसुन पर भारी शुल्क लगाने से दुनिया की सबसे बड़ी सीजनिंग कंपनियों में से एक मैककॉर्मिक एंड कंपनी नाखुश है क्योंकि कैलिफोर्निया लहसुन चीन के लहसुन से काफी महंगा है। होल सेल बाजार में फिलहाल 30 पाउंड का डब्बा करीब 60 डॉलर में बिक रहा है। हाल तक चीनी लहसुन 20 डॉलर में बिक रहा था लेकिन अब यह 40 डॉलर का हो गया है।


हमारे देश में लहसुन कारोबार की सबसे बड़ी मंडी नागपुर (महाराष्ट्र) मानी जाती है। हालांकि हैदराबाद, बनारस, चेन्नई, बंगलुरू, दिल्ली, तमिलनाडू, मैसूर, कर्नाटक, केरल में भी लहसुन की बिक्री बड़े पैमाने पर हो रही है। इन स्थानों से बांग्लादेश, मलेशिया, श्रीलंका तथा अरब देशों में इंडियन लहसुन का निर्यात होता है। चीन-अमेरिका के लहसुन व्यापार-वार के बीच अब लहसुन के 20 हजारी होने के बाद से सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया तथा अरब देशों के बड़े कारोबारियों ने लहसुन की खरीद-फरोख्त में दिलचस्पी दिखाई है।


पिछले सीजन में तो चाइनीज लहसुन ने भारत की मंडियों पर ऐसा चक्कर चलाया कि लहसुन के दाम 20 हजार से गिर कर 14 हजार पर आ गए थे। करोड़ों के घाटे ने व्यापारियों की हालत खराब कर दी। चाइनीज लहसुन के अवैध आयात को रोकने के लिए व्यापारियों को सड़कों पर उतरना पड़ा था। व्यापारी बताते हैं कि नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, वर्मा के रास्ते चोरी छिपे आए चाइनीज लहसुन ने आठ दिनों में ही लहसुन के भावों को धड़ाम कर दिया। हालांकि विदेशी आयात निर्यात कृषि उपज नीति के तहत भारत सरकार ने चाइनीज लहसुन का आयात देश में प्रतिबंधित कर रखा है, लेकिन निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है। यद्यपि इस बार व्यापारियों का आरोप है कि कस्टम अधिकारियों की मिलीभगत से चाइनीज लहसुन गोरखपुर, रकसौल, धूलावाड़ी, जोयरपुर के रास्ते नेपाल से देश में आ रहा है।


यह भी पढ़ें: आईसीसी द्वारा मैच के लिए नियुक्त होने वाली पहली महिला रेफरी बनीं जीएस लक्ष्मी