भारत का रिटेल डिजिटल पेमेंट्स मार्केट 2030 तक दोगुना होकर $7 ट्रिलियन हो सकता है: रिपोर्ट
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार 2022 में 75 अरब डॉलर से 80 अरब डॉलर का हो जाएगा, जिसके 2030 तक 21 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. भारत में, कार्ड और डिजिटल वॉलेट लेन-देन डिजिटल लेन-देन मूल्य का 10 प्रतिशत तक बनाते हैं.
भारत का डिजिटल पेमेंट मार्केट 2030 तक मौजूदा स्तर की तुलना में दोगुना होकर 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने केर्नी (Kerney) और अमेजन पे (Amazon Pay) की ज्वाइंट स्टडी रिपोर्ट ‘How Urban India Pays’ के हवाले से ये जानकारी दी है.
वित्त वर्ष 2018 से 2024 तक यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) पेमेंट्स के स्तर में डिजिटल लेनदेन के स्तर में 138 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. डिजिटल पेमेंट सिस्टम - UPI को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया है.
पीटीआई ने जिस ज्वाइंट स्टडी रिपोर्ट का हवाला दिया है, उसके अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में 300 अरब डॉलर की तुलना में खुदरा लेनदेन के लिए भारत का डिजिटल पेमेंट वित्त वर्ष 2023-24 में 3.6 ट्रिलियन डॉलर हो गया है. भारत में UPI लेन-देन की शुरुआत 11 अप्रैल, 2016 को हुई थी.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का ई-कॉमर्स बाज़ार 2022 में 75 अरब डॉलर से 80 अरब डॉलर का हो जाएगा, जिसके 2030 तक 21 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. भारत में, कार्ड और डिजिटल वॉलेट लेन-देन डिजिटल लेन-देन मूल्य का 10 प्रतिशत तक बनाते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में अकेले भारत के डिजिटल लेन-देन पूरी दुनिया के डिजिटल पेमेंट्स की मात्रा का 46 प्रतिशत हिस्सा होंगे.
भारत में, देश के 120 शहरों में रहने वाले 6,000 से अधिक उत्तरदाताओं ने ऑनलाइन सर्वे में कहा कि वे ऑनलाइन सामान या सेवाएँ खरीदने के लिए अन्य तरीकों की तुलना में डिजिटल पेमेंट्स के जरिए पेमेंट करना पसंद करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, धनी खरीदारों ने कहा कि वे अपने कुल लेन-देन के 80 प्रतिशत से अधिक के लिए डिजिटल पेमेंट्स का उपयोग करते हैं.
सर्वे के लिए चुने गए 1,000 से अधिक व्यापारियों ने कहा कि डिजिटल पेमेंट्स 69 प्रतिशत लेन-देन करते हैं. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि पान की दुकानों से लेकर फल विक्रेताओं, फूड स्टॉल और किराना स्टोर जैसे व्यवसाय नकद के बजाय डिजिटल पेमेंट्स की ओर बढ़ रहे हैं. इससे वित्तीय अपराधों के साइबर सुरक्षा मामले, सीमित कवरेज और आपसी विश्वास जैसे खतरे पैदा होते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है, "मिलेनियल और जेन एक्स हर वर्क के लोग डिजिटल पेमेंट साधनों को अपनाने में अग्रणी हैं." उनके कुल लेन-देन में डिजिटल का हिस्सा 72 प्रतिशत है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की डिजिटल भुगतान यात्रा का भविष्य उपभोक्ताओं के निम्न-आय वर्ग और छोटे शहरों के कवरेज पर केंद्रित होगा. भारत में छोटे शहर अभी भी डिजिटल पेमेंट्स को अपनाने के मामले में बड़े शहरों से पीछे हैं, जहाँ 65 प्रतिशत उत्तरदाता डिजिटल मोड का उपयोग करते हैं, जबकि बड़े शहरों में यह संख्या 75 प्रतिशत है.
लखनऊ, पटना, भोपाल, जयपुर, भुवनेश्वर, इंदौर, अहमदाबाद और पुणे जैसे टियर 2 शहर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे शीर्ष छह मेट्रो शहरों की तुलना में कम खुदरा बाजार क्षमता होने के बावजूद डिजिटल पेमेंट्स के मामले में अपने नजदीकी महानगरों के अपेक्षाकृत करीब हैं.