मिलिए देश की पहली महिला जल परिचारिका लक्षिता खन्ना से, जो होटल इंडस्ट्री के लिए वाटर मेन्यु बनाने का कर रहीं प्लान
लक्षिता खन्ना भारत की पहली महिला जल परिचारिका हैं और वह विभिन्न मापदंडों के आधार पर तमाम तरह के पानी के बीच अंतर पता कर सकती है। अब उनका ध्यान रेस्तरां के लिए पानी के मेन्यु डिजाइन करने पर है।
लक्षिता खन्ना देश की पहली महिला जल परिचारिका (water sommelier) है। चौंक गए? दरअसल हम सभी ने वाइन परिचारकों के बारे में सुना है, जिन्हें सभी तरह की वाइन के बारे में पता होता है और वो रेस्तरां को सलाह देते हैं कि कौन से फूड के साथ कौन सा वाइन सबसे सही रहेगा। ठीक इसी तरह लक्षिता पानी की विभिन्न किस्मों के बीच अंतर करती हैं।
दुनिया भर में लक्षिता सहित लगभग सौ या उससे थोड़े अधिक लोग ही ऐसे हैं, जो कंपोजिशन, पीएच लेवल, कार्बोनेशन, आयु आदि जैसे मापदंडों के आधार पर पानी में अंतर पता कर सकते हैं।
और हां, यह एक प्रोफेशन हैं। यहां तक कि लॉस एजेंल्स में 'रेज एंड स्टार्क बार' नाम का रेस्टोरेंट है, जिसके वाटर मेन्यु में 20 से अधिक आइटम शामिल हैं। इसमें स्पेन, फ्रांस, जर्मनी और कनाडा सहित 10 से अधिक देशों का पानी शामिल हैं।
यह भी दिलचस्प है कि लक्षिता ने पढ़ाई के लिए फैशन जर्नलिज्म और इंटीरियर डिजाइन के कोर्स को चुना, लेकिन बाद में इस फील्ड में जाने की जगह अपने पिता के रियल एस्टेट बिजनेस से जुड़ गईं।
उन्होंने बताया, "मैं हमेशा से परिवार के रियल एस्टेट कारोबार से जुड़ी था। साथ ही पिछले एक दशक से हम भूटान में काफी काम कर रहे हैं, जहां हमने एयरलाइन और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के कुछ बड़े कॉर्पोरेट्स से हाथ मिलाया है। जब हमने भूटान में 'बोध' नाम से एक मिनरल वाटर ब्रांड लॉन्च करने का फैसला किया, तब इस विषय पर मैंने काफी रिचर्स किया था और यहीं से मुझे एक जल परिचारिका बनने का आइडिया आया।"
लक्षिता दुनिया के पहले जल परिचारक मार्टिक रीज और माइकल मैश्चा को फॉलो कर रही थीं और उनके काम से काफी प्रभावित थीं। इसके अलावा प्राचीन पानी के स्रोत की तलाश में भूटान की पहाड़ियों पर चढ़ाई ने भी उनके संकल्प को मजबूत करने का काम किया है। बता दें कि भूटान दुनिया का इकलौता कॉर्बन-नेगेटिव देश है।
हर बूंद की कीमत
लक्षिता ने एक सर्टिफाइड जल परिचारिका बनने के लिए रिजी और मैश्चा द्वारा संचालित फाइन वाटर एकेडमी से एक कोर्स किया।
उन्होंने बताया,
“कोर्स के दौरान हमें, GDS, पीएच स्तर, TDS स्तर आदि मापदंडों के आधार पर विभिन्न प्रकार के पानी को जांचना, उन्हें पहचानना और उनमें अंतर सिखाया गया। इससे मुझे बोध ब्रांड को बनाने में मदद मिला। साथ ही मुझे यह विश्वास दिया कि हम जो उपभोक्ताओं को मुहैया कराने जा रहे हैं, वह सबसे अच्छा से कम कुछ भी नहीं है।”
बोध के लिए पानी को पारो इलाके के एक प्राचीन स्रोत से लाया जाता है, जो समुद्र तल से 7,300 फीट ऊंचाई पर हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों में है और जो अब तक मानव सभ्यता से अछूती है। बोध को भूटान में लॉन्च किया जा चुका है, लेकिन महामारी के चलते वे दुनिया के बाकी हिस्सों में उसका अब तक पहुंचना बाकी है। लक्षिता अपने बतौर जल परिचारिका के काम को बोध से शुरू करके बोध पर ही खत्म नहीं करना चाहती हैं।
वह कहती हैं,
“इन दिनों पहले से अधिक लोग इसे लेकर सजग हैं कि वे किस तरह का पानी पी रहे हैं। ऐसे में एक जल परिचारक की भूमिका और अधिक अहम हो जाती है। उदाहरण के लिए, प्राकृतिक झरने के पानी और शुद्ध पानी में क्या अंतर है? समय बीतने के साथ मैं वे समझदार ग्राहकों को ध्यान में रखकर हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री के लिए पानी के मेन्यु डिजाइन करना चाहती हूं।”
वह बताती है कि विभिन्न व्यंजनों के साथ अलग-अलग तरह के पानी जोड़कर शानदार अनुभव को कैसे बढ़ाया जा सकता है।
लक्षिता बताती हैं,
"एक साधारण सलाद डिश के साथ शुरू करते हैं। यह उस पानी के साथ बेहतर रहेगा, जिसमें टीडीएस का स्तर कम हो। उदाहरण के लिए, एक हिमनद पानी जो सलाद में पीएच स्तर को बेअसर कर देगा। वहीं डेजर्ट के लिए, हम स्लोवेनियाई इलाके के पानी को शामिल कर उसमें मौजूद मिठास को कम कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें मैग्नीशियम का स्तर बहुत अधिक रहता है, जो मिठास को कम करता है।”
उनका मानना है कि इसका बाजार बड़ा है, पानी के मेन्यु धीरे-धीरे लोगों को ध्यान हासिल कर रहे हैं और हॉस्पिटैली इंडस्ट्री के लिए ये मेन्यु बनाना अच्छा होगा। सबसे अच्छे पानी कौन से हैं, जिसे उन्होंने चखा?
वह कहती हैं,
"अपने अलग स्वाद के चलते जो दो पानी दिमाग में याद आते हैं, उनमें स्वालबर्दी हिमखंड का पानी ( उत्तरी ध्रुव से 1,000 किमी दूर स्वालबर में स्थित) और स्लोवेनिया का ROI शामिल है, जिसे दुनिया का सबसे मैग्नीशियम युक्त पानी माना जाता है।"
लक्षिता इन दिनों बोध को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर में घूम रही हैं।
वह बताती हैं,
"पहले इस तरह के एक प्राचीन स्रोत से निकले पानी के बारे में जागरूकता पैदा करना होगा। चूंकि भूटान 50 प्रतिशत भूभाग वनों से ढका हुआ है, इसलिए वहां के पानी में नाइट्रेट का स्तर बहुत अधिक है और इसलिए यह बेहतर है। हम बोध के इस पहलू को उजागर करना चाहते हैं।"
लक्षिता की योजना इस क्षेत्र में जागरूकता फैलाने की है क्योंकि बहुत से भारतीय विभिन्न प्रकार के पानी और इसके विभिन्न पहलुओं से अवगत नहीं हैं। लक्षिता को भूटान साम्राज्य द्वारा पानी के अन्य विभिन्न स्रोतों की पहचान करने और परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद करने के लिए भी आमंत्रित किया गया है।
Edited by Ranjana Tripathi