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2025 तक 1.05 लाख करोड़ की होगी देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, भारतीय स्टार्टअप जल्द लॉन्च करेंगे अंतरिक्ष उपग्रहों के साथ उपग्रह तारामंडल

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष सुधारों के कारण, अंतरिक्ष क्षेत्र में काम कर रहे स्टार्टअप्‍स की संख्‍या 2 से बढ़कर 102 हो गई है और अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन, नैनो-सैटेलाइट, लॉन्च व्हीकल, जमीनी प्रणालियों और अनुसंधान जैसे अत्‍याधुनिक क्षेत्रों में काम कर हैं.

2025 तक 1.05 लाख करोड़ की होगी देश की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, भारतीय स्टार्टअप जल्द लॉन्च करेंगे अंतरिक्ष उपग्रहों के साथ उपग्रह तारामंडल

Tuesday October 11, 2022 , 5 min Read

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह (Dr Jitendra Singh) ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप्‍स (Indian StartUps In Space Sector) जल्द ही अंतरिक्ष उपग्रहों के साथ उपग्रह तारामंडल लॉन्च करेंगे और अपने नए रॉकेट का परीक्षण करेंगे.

उन्‍होंने यह भी बताया कि L&T और HAL द्वारा घरेलू स्तर पर पांच PSLV का उत्पादन किया जा रहा है, जबकि OneWeb इसरो (ISRO) और NSIL के माध्यम से अपने उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) की पहली वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली में इंडिया स्पेस सम्‍मेलन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जून, 2020 में निजी उद्योग के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के लिए प्रधानमंत्री के क्रांतिकारी और लीक से हटकर लिए गए निर्णय ने देश के अंतरिक्ष इकोसिस्‍टम के स्‍वरूप को बदल दिया है.

अगले तीन साल में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का आकार 1,280 करोड़ डॉलर यानी करीब 1.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा. इसमें बड़ी संख्या में उपग्रहों के प्रक्षेपण और प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की अहम भूमिका होगी. यह दावा इंडियन स्पेस एसोसिएशन और अर्नस्ट एंड यंग ने अपनी रिपोर्ट ‘भारत में अंतरिक्ष के लिए अनुकूल वातावरण : भारत में समावेशी प्रगति’ में सोमवार को किया.

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्ट-अप्‍स की नई संभावनाओं को रेखांकित किया है और थोड़े समय में ही आज हमारे पास अत्याधुनिक काम करने वाले 102 स्टार्ट-अप्‍स हो गए हैं, जबकि तीन-चार वर्ष पहले केवल दो स्टार्ट-अप्‍स ही थे. यह स्‍टार्ट-अप्‍स अंतरिक्ष मलबा प्रबंधन, नैनो-उपग्रह, प्रक्षेपण वाहन, जमीनी प्रणाली, अनुसंधान जैसे अत्‍याधुनिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. उन्‍होंने कहा कि अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और उद्योग के एकीकरण के साथ समान भागीदारी में यह कहना उचित ही है कि निजी क्षेत्र और स्टार्टअप्‍स के साथ इसरो के नेतृत्व में एक अंतरिक्ष क्रांति क्षितिज पर है.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, हमारे युवा और निजी औद्योगिक उद्यम की ताकत और नवीन क्षमता आने वाले समय में वैश्विक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी विघटन में अग्रणी होगी. उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि भारत के युवा प्रौद्योगिकी दिग्‍गज अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई बाधाओं को पार करेंगे, जबकि वे अंतरिक्ष क्षेत्र द्वारा प्रदान किए गए असीमित अवसरों का लाभ उठाने के लिए तैयार हैं.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्‍मरण किया कि 11 अक्टूबर, 2021 को अंतरिक्ष और उपग्रह कंपनियों के एक प्रमुख उद्योग संघ इंडियन स्पेस एसोसिएशन (ISpA) को लॉन्च करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अंतरिक्ष सुधारों के लिए हमारा दृष्टिकोण चार स्तंभों- नवाचार में निजी क्षेत्र को स्वतंत्रता, सक्षम के रूप में सरकार की भूमिका, युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करना और अंतरिक्ष क्षेत्र को आम आदमी की प्रगति के लिए एक संसाधन के रूप में देखने पर आधारित है.

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने एक साल की छोटी सी अवधि में भारतीय अंतरिक्ष उद्योग के विकास के लिए वैश्विक संपर्क विकसित और स्‍थापित करने में आश्चर्यजनक रूप से काम करने के लिए ISpA की भूमिका की सराहना की. उन्होंने कहा, ISpA के सदस्य भारत को स्पेस टेक डोमेन के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक बनाने की नीति की वकालत करने और ज्ञान व विजन के आदान-प्रदान में शामिल होने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, ISpA भारत को व्यावसायिक अंतरिक्ष-आधारित पर्यटन के क्षेत्र में एक अग्रणी स्थान हासिल करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को पूरा करने की दिशा में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में कार्य कर रहा है. उन्होंने कहा कि इसके लिए, प्रमुख हितधारकों के बीच विचार-विमर्श करने के लिए एक कम्यून के रूप में आईएसपीए की भूमिका प्रमुख और महत्वपूर्ण हो जाती है.

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने यह आशा व्यक्त की कि आईएसपीए 'आत्मनिर्भर भारत' के आदर्श वाक्य को प्रशस्त करते हुए देश में महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति और निवेश की शुरूआत करेगा जो आवश्‍यक रूप से अंतरिक्ष सुधारों के लिए सरकार के दृष्टिकोण का पालन करते हुए उच्च-कौशल वाले रोजगार के अवसर पैदा करेगा.

हाल के वैश्विक संघर्षों के मद्देनजर अंतरिक्ष की रणनीतिक प्रासंगिकता पर जोर देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष, एक दोहरे उपयोग वाला प्रौद्योगिकी क्षेत्र है जो एक महत्वपूर्ण बहुआयामी प्रवर्तक के रूप में उभर रहा है और अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि कई राष्ट्र आज अपनी सैन्य अंतरिक्ष क्षमताओं को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं ताकि आवश्यकता पड़ने पर विरोधियों को नकारने के साथ-साथ इसके सुरक्षित, निश्चित और मैत्रीपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित किया जा सके.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने विस्तार से बताया कि भारत ने भी युद्ध के इस उभरते आयाम की ताकत का लाभ उठाने का संकल्प लिया है और वास्तव में, भारत सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्‍मनिर्भरता सुनिश्‍चित करने की दिशा में मजबूत और निर्णायक कदम उठा रही है ताकि हमारी निजी औद्योगिक क्षमता और सामर्थ्य को प्रभावी रूप से सक्रिय और चैनलाइज़ किया जा सके और अत्याधुनिक समाधान विकसित किए जा सकें जिनसे आने वाले समय में भारत को दूसरों के मुकाबले निर्णायक बढ़त मिलेगी.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, रक्षा मंत्रालय और तीन सेवाओं के साथ उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ISpA द्वारा निभाई गई रचनात्मक भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि ISpA क्षमता और क्षमता निर्माण पहल का समर्थन करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा. उन्‍होंने आने वाले समय में इस कार्यक्रम का आयोजन करके शानदार प्रदर्शन करने के लिए ISpA के अध्यक्ष और महानिदेशक के साथ-साथ उनके सदस्यों को भी धन्यवाद दिया.

डॉ. जितेंद्र सिंह ने ISpA के अध्यक्ष जयंत डी पाटिल, इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के साथ "भारत में अंतरिक्ष इको-सिस्‍टम का विकास: समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करना" शीर्षक से एक सेक्टर रिपोर्ट का भी अनावरण किया.

अंत में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इसरो की उपलब्धियों ने हमारे लिए वैश्विक पहचान और प्रशंसा दोनों अर्जित की हैं और यह किसी सम्मान से कम नहीं है जब इसरो खगोलीय अंतरिक्ष में दुनिया के सबसे बड़े रिमोट-सेंसिंग उपग्रहों के समूह के साथ एक विशेष स्थान बना रहा है. उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि इसरो अपनी उपलब्धियों से भारत को गौरवान्वित करता रहेगा.