TechSparks 2019: इनमोबी के CEO नवीन तिवारी ने कहा- 'जब आप बार-बार फेल होकर सफल होते हैं, तभी इनोवेशन होता है'
स्टार्टअप की दुनिया में 'यूनिकॉर्न' और 'वैल्यूएशन' जैसे शब्द भले ही तेजी से लोकप्रिय हो रहे हों, लेकिन देश के पहले यूनिकॉर्न इनमोबी के फाउंडर और सीईओ नवीन तिवारी का कहना है कि ये 'सब बकवास' है।
टेकस्पार्क्स में योरस्टोरी के सीनियर एडिटर रमारको सेनगुप्ता के साथ बातचीत में नवीन ने कहा कि इसे हासलि करना जरूर एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अंत में सिर्फ यही मायने रखता है कि आपके पास कितना फ्री कैश फ्लो बचा है।
उन्होंने कहा,
'फ्री कैश फ्लो बनाना ही बिजनेस का वास्तविक मूल्य है।'
देश के स्टार्टअप ईकोसिस्टम के लिए आईआईटी कानपुर और हावर्ड बिजनेस स्कूल से पढ़े हुए नवीन जाने माने चेहरे हैं। उनकी स्टार्टअप इनमोबी देश की पहली यूनिकॉर्न है और इसे देश के साथ विदेशों में भी पहचाना जाता है।
इनमोबी ने आज की तारीख में मोबाइल डिवाइसेज पर एडवर्टाइजिंग को बदल दिया है और अब वह मार्केटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) और मीडिया की दुनिया में तूफान खड़ा करने की तैयारी कर रही है। हाल ही में इसमें जापान की सॉफ्टबैंक ने 20 करोड़ डॉलर निवेश किया है, जिसने सुर्खियां बनाई थी। नवीन ने बताया कि शीर्ष स्थान पर पहुंचना उतना आसान नहीं था।
इनमोबी की सफलता के बारे में बात करते हुए नवीन ने बताया कि टेक्नोलॉजी आधारित इनोवेश कंपनी की मुख्य आधारशिला है। उन्होंने कहा कि अगर आप अच्छी टेक्नोलॉजी बनाते हैं तो यह ग्लोबल हो जाएगी, जिससे आपकी एक ज्यादा बड़े मार्केट तक पहुंच सुनिश्चित होगी। उन्होंने बताया कि इनमोबी की सफलता के पीछे मुख्य वजह कंपनी में इनोवेशन का एक माहौल विकसित करना था।
नवीन ने कहा,
'हमें विफलताओं को बढ़ावा देना सीखना होगा। अगर कंपनी के लोग या इनोवेटर्स विफल हो रहे हैं तो उन्हें कंपनी से बाहर नहीं किया जाना चाहिए। आप किसी को सिर्फ इस वजह से नहीं बाहर कर सकते हैं कि वह चीजों को अलग तरीके से करने की कोशिश कर रहा है। इनोवेशन को विकसित करना असल में एक कठिन काम है।'
उन्होंने कहा कि आप बार-बार विफल होने के बाद जब सफल होते हैं, तभी इनोवेशन होता है। इनमोबी ने पिछले कुछ सालों में बहुत से इनोवेशन किए हैं। उन्होंने कहा,
'वे सभी बहुत बड़ी कंपनी या कंपनी के अंदर ही डिवीजन बन गए हैं और हमारा मानना है कि यही एक तरीका है, जिससे हम सफल हो सकते हैं।'
तिवारी योरस्टोरी के फ्लैगशिप इवेंट टेकस्पार्क में अपने अनुभव साझा कर रहे थे कि कैसे 'अरबों डॉलर के ग्लोबल बिजनेस को खड़ा किया जाए'।
कैसे इनोवेशन करें
नवीन ने उस समय को याद किया जब इनमोबी को करीब दो साल पहले 18-24 महीनों के लिए बुरे दौर से गुजरना पड़ा था।
उन्होंने बताया,
'समाधान केवल बुरे समय के दौरान ही विकसित होता है। ऐसे में यह बुरे दौर में भी एक तरह का आशीर्वाद है। मैं यह सब चार साल बाद कह रहा हूं, लेकिन आज हमारे पास जो भी चीजें हैं, वह हमारे उस बुरे दौर के कारण हैं। हमने अब ग्राहकों को वैल्यू डिलीवर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।'
कंपनी ने हाल ही में ग्लांस नाम से एक नया प्रोडक्ट लॉन्च किया है। यह एक नई लॉक-स्क्रीन मोबाइल-फर्स्ट प्रोडक्ट है, जो देश में कंटेंट को उपभोग करने के तरीके में बदलाव ला रही है। ग्लांस के जरिए आप जब भी अपने मोबाइल फोन की तरफ देखेंगे तो आपके एंड्रॉयड फोन का लॉक-स्क्रीन सर्विस आपको हाई-क्वालिटी और छोटे समय के कंटेंट दिखाएगा, जो निश्चित ही आपका ध्यान आकर्षित करेगा।
नवीन ने बताया कि ग्लांस के पास फिलहाल 6 करोड़ डेली एक्टिव यूजर्स (डीएवी) हैं, जो इंस्टाग्राम से ज्यादा हैं। कंपनी ने हाल ही में मिथरिल कैपिटल के साथ 4.5 करोड़ डॉलर की एक डील पूरी की है। स्टार्टअप अब अगले 36 महीनों में 50 करोड़ डीएवी तक पहुंचवने की तैयारी कर रही है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि डीएवी से ज्यादा कस्टमर का बने रहना अहम है।
गलती या सबक?
नवीन ने यह भी कहा कि असली गलती वह होती है जब आप किसी गलती को दोहराते हो। इसके अलावा बाकी सब आपके लिए सीख है।
इस लीक से हटकर चलते के कुछ अहम सीख में यह है कि कभी भी अधपके प्रोडक्ट के साथ मार्केट में न जाए और कंपनी ने अपने जरूरत की चीजों के लिए किसी और कंपनी को खरीदने की जगह उसे अपने यहां ही विकसित करने की कोशिश की।
नवीन ने बताया,
'हम आंतरिक तौर पर काफी केंद्रित थे, लेकिन वास्तविकता यह है कि आप इन सब चीजों को अकेले नहीं कर सकते हैं। ऐसे में हमने काफी अधिग्रहण किए और हम लगातार कंपनियों का अधिग्रहण कर रहे हैं।'
उद्यमियों के लिए सलाह
फाउंडर्स के बीच सफल न होने का डर और इससे निपटने के तरीके पर नवीन ने कहा कि पहली बार ऐसा होने पर दुख होता है, लेकिन बाद में लोग इसके आदी हो जाते हैं।
उन्होंने कहा,
'इसका दूसरा पहलू यह है कि आपको अपनी गलती दोहरानी नहीं चाहिए। उद्यमशीलता एक तरह से अनजान क्षेत्र में जाने जैसा है, जहां आगे खाई है या गड्ढे, आपको नहीं पता होता है। लेकिन अगर आप रोज एक ही गड्ढे में गिर रहे हैं तो फिर आप बेवकूफ हैं।'
मिशन 2025
नवीन ने बताया कि वह 2025 तक यह दिखाना चाहते हैं कि 'आप भारत से दुनिया के लिए एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनी खड़ा कर सकते हैं क्योंकि हम तब तक एक विशाल कंपनी होंगे।' उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे देश के दूसरे उद्यमियों में जोश पैदा होगा।
उन्होंने ध्यान दिलाया कि हमारे पास कई सारी समस्याएं हैं, जिसे ग्लोबल कंपनियों के आने से नहीं सुलझाया जा सकता है। भारतीय उद्यमियों को ही इन समंस्याओं का हल ढूढ़ने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि अभी तक करीब 60 स्टार्टअप इनमोबी से बनकर बाहर निकली है और '2025 तक हमें करीब 500 स्टार्टअप को सहयोग देने की स्थिति में होना चाहिए।'