Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

सीरियल आंत्रप्रेन्योर, ऑर्गन डोनर और वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में रिकॉर्ड बनाने वाली अंकिता श्रीवास्तव से मिलिए

18 साल की उम्र में अंकिता श्रीवास्तव ने अपने लिवर का 74% हिस्सा अपनी मां को दान कर दिया था जो लिवर सिरोसिस से पीड़ित थीं. तीन महीने बाद उनकी मां का निधन हो गया. आज, श्रीवास्तव के नाम वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में दो विश्व रिकॉर्ड हैं और वह एक सीरियल आंत्रप्रेन्योर भी हैं.

Rekha Balakrishnan

रविकांत पारीक

सीरियल आंत्रप्रेन्योर, ऑर्गन डोनर और वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में रिकॉर्ड बनाने वाली अंकिता श्रीवास्तव से मिलिए

Wednesday April 12, 2023 , 5 min Read

हाइलाइट्स

  • अंकिता श्रीवास्तव को अपने लीवर का एक हिस्सा अपनी मां को दान करने के लिए 18 साल की होने तक इंतजार करना पड़ा
  • सर्जरी के बाद उन्हें फिर से चलने में लगभग दो महीने लग गए
  • वह एक सीरियल आंत्रप्रेन्योर हैं, जो मीडिया और एंटरटेनमेंट में कई ब्रांड चलाती हैं
  • वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में उनके नाम दो रिकॉर्ड हैं

अंकिता श्रीवास्तव जब 13 साल की थीं, तब उनकी मां को लिवर सिरोसिस हो गया था. यह हेपेटाइटिस-संक्रमित रक्त के संक्रमण का परिणाम था जब उन्होंने अंकिता को जन्म दिया था.

जब उनकी मां को लिवर की जरूरत पड़ी तब अंकिता इकलौती थीं, जिनका लीवर मैच हो रहा था, लेकिन वह 18 वर्ष की होने तक अपने लीवर का हिस्सा दान नहीं कर सकी. इंतजार की ये घड़ियां उस युवा लड़की के लिए बेहद भयानक थी जो असहाय महसूस करती थी और उम्मीद भी देखती थी कि वह आखिरकार दान कर सकती है.

वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2019 के दौरान अंकिता श्रीवास्तव

वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स 2019 के दौरान अंकिता श्रीवास्तव

इसके साथ ही और भी कई तरह की मुश्किलें थीं. श्रीवास्तव का वजन केवल 50 किलो था जबकि उनकी मां का वजन लगभग दोगुना था.

YourStory से बात करते हुए अंकिता बताती हैं, "मुझे दान करने में सक्षम होने के लिए अपना वजन काफी बढ़ाना पड़ा. मैंने खाया, उल्टी की और अंत में लक्ष्य तक पहुँचने के लिए खाती रही. मेरी मां भी कोमा में चली गई थीं और ट्रांसप्लांट के लिए आगे बढ़ने के लिए हमें उनके कोमा से बाहर आने का इंतजार करना पड़ा.”

डॉक्टरों को विश्वास नहीं था कि ट्रांसप्लांट सफल होगा, लेकिन वह अड़ी थी कि उन्हें कोशिश करनी चाहिए.

अंत में, श्रीवास्तव ने अपने लीवर का 74% दान कर दिया, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. ट्रांसप्लांट के तीन महीने बाद उनकी मां का निधन हो गया.

वह कहती हैं, "बीमार अस्पताल में जाना और स्वस्थ होकर वापस आना सामान्य बात है. मेरे लिए इसका उल्टा हुआ. मैं 18 दिनों तक आईसीयू में रही और चलने में दो महीने लग गए. जैसे ही मुझे ठीक होने का आभास हुआ, मेरी माँ का निधन हो गया.”

दुर्भाग्य से, उनके पिता ने भी परिवार छोड़ दिया, और उन्होंने खुद को अपने दम पर पाया.

आज, वह एक सीरियल आंत्रप्रेन्योर हैं, अंग दान के बारे में जागरूकता फैला रही हैं, और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ द्वारा आयोजित वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स की एथलीट और वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं.

लेकिन, वह याद करती हैं कि 19 साल की उम्र में उन्हें बेहद संघर्षों से गुजरना पड़ा.

अपनी दादी के साथ रहते हुए, उन्हें अपने कॉलेज की फीस भरने के लिए कमाई का तरीका खोजना पड़ा. वह अपने गृह शहर भोपाल में एक प्रिंटिंग और पब्लिशिंग फर्म से जुड़ीं, जो मैटल, वार्नर ब्रदर्स, स्पाइडरमैन, सुपरमैन और अन्य बड़े ब्रांडों के लिए लाइसेंसधारी थी. इसने उनके आईपी और मनोरंजन की दुनिया में सीरियल आंत्रप्रेन्योर बनने के लिए प्रेरित किया.

पिछले सात सालों से, उन्होंने आठ ब्रांड (प्री-स्कूल एनीमेशन कैरेक्टर) बनाए हैं. इसमें 25 देशों में उपलब्ध पर्पल टर्टल शामिल है, और MENA में डिस्कवरी किड्स पर 350+ किताबें और एक टीवी शो है. वह भारत और नेपाल में 14 पर्पल टर्टल प्री-स्कूलों की फ्रैंचाइज़र हैं. अंकिता बताती हैं, "मैंने पर्पल टर्टल की टीवी श्रृंखला बनाने के लिए साइबर ग्रुप स्टूडियोज (दुनिया के शीर्ष 10 वितरक), टेलीगेल, आयरलैंड और 5 एमी पुरस्कार विजेताओं के साथ भागीदारी की है."

वह Aadarsh Technosoft की डायरेक्टर भी हैं जिसने आठ ब्रांड विकसित किए हैं, और MSA Global Sourcing जो भारत में डिज्नी द्वारा मान्यता प्राप्त कारखानों से दुनिया भर में प्रोडक्ट्स की सोर्सिंग करती है.

वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स की तैयारी

Ankita Shrivastava

बास्केटबॉल और तैराकी में राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी, श्रीवास्तव ने अपने ट्रांसप्लांट के बाद खेल छोड़ दिया था. लेकिन बाद में उनके पारिवारिक मित्र ने 2019 में न्यूकैसल में वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स में भाग लेने का सुझाव दिया था. 1978 में शुरू हुए खेलों में प्राप्तकर्ता और दाता दोनों शामिल हैं, और इसके अंतिम संस्करण में 60 देशों की भागीदारी देखी गई.

“मुझे अपना स्वास्थ्य बेहतर करने और उस स्तर तक पहुँचने में छह महीने लगे जहाँ मैं भाग ले सकता थी. ऑर्गन इंडिया से थोड़ी स्पॉन्सरशिप और प्रबंधकीय समर्थन के साथ, मैंने 2019 में तीन पदक जीते, 100 मीटर में एक रजत, और लंबी कूद और शॉटपुट में दो स्वर्ण,” वह कहती हैं. यह सब बिना किसी सरकारी समर्थन के हुआ. इन खेलों के भारत द्वारा मान्यता प्राप्त होना अभी बाकी है.

वर्तमान में व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए कर रही श्रीवास्तव ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में 15 अप्रैल से शुरू हो रहे वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम्स की तैयारी कर रही हैं.

वह कहती हैं, "खेलों के लिए दिन में छह घंटे तैयारी करना और आइवी लीग की शिक्षा हासिल करना एक जंगली सवारी रही है - दोनों ही आपकी सारी ऊर्जा बहा सकते हैं, खासकर जब मैं यहां अकेली होती हूं."

और इतना ही नहीं, वह अपने अर्ली-स्टेज स्टार्टअप Airfit के लिए भी काम कर रही है और फंड्स जुटा रही है, जो 20 मिनट के क्विक वर्कआउट सेशन के लिए हवाई अड्डों पर क्रॉस-फिट सेंटर खोलने की योजना बना रहा है.

श्रीवास्तव अंग दान की प्रबल समर्थक भी हैं और जागरूकता फैलाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार, खेल मंत्रालय, भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर काम करती हैं.

अपने लीवर का एक बड़ा हिस्सा दान करने के लगभग 11 साल बाद, उनका जीवन में स्वास्थ्य को लेकर कई चुनौतियां है.

वह कहती हैं, “हालांकि लीवर दान करने के बाद बढ़ता है, मेरा मामला अलग है. मेरा दाहिना लोब हटा दिया गया था, और विकास सही होने वाला था. लेकिन यह बायीं ओर बढ़ने लगा, और मेरी तिल्ली पर दबाव डालने लगा. इसलिए एक बार जब यह दूसरे अंग से टकराया, तो यह बढ़ना बंद हो गया. मुझे चेक-अप के लिए जाना पड़ता है और सख्त आहार का पालन करना पड़ता है क्योंकि दान के बाद मुझे कई तरह की एलर्जी हो गई है."

उदाहरण के लिए, वह एक बार भी जंक फूड या कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं कर सकती क्योंकि इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

उनकी आगे की राह पहले से ही तय है-एक आंत्रप्रेन्योर के रूप में सफलता प्राप्त करना, एक एथलीट के रूप में भारत के लिए खेलना, और अंग दाता बनने के लिए प्रेरक वार्ता के माध्यम से दूसरों को प्रेरित करना.

श्रीवास्तव को कोई पछतावा नहीं है. वह कहती हैं, "मैं अपनी मां के लिए लीवर दान करने और ऑपरेशन के कम से कम तीन महीने बाद उनके साथ रहने में सक्षम होने से खुश हूं."

यह भी पढ़ें
जब तक जीऊंगी तब तक खेलूंगी और जीतूंगी: 95 वर्षीय 'स्प्रिंटर दादी' भगवानी देवी