अभिषेक बच्चन, निमरत कौर की फिल्म 'दसवीं' से प्रेरित हो कर आगरा सेंट्रल जेल के क़ैदी भी हुए दसवीं, बारहवीं पास
फ़िल्मों के नकारात्मक असर को लेकर सदैव बहस होती रहती है. बीच बीच में लेकिन उनके सकारात्मक असर की भी खबरें आती रहती हैं. ऐसी ही एक खबर आगरा सेंट्रल जेल से फ़िल्म ‘दसवीं’ को लेकर आई है.
‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग,’ (My Experiments with Truth) ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’,(The Discovery of India) ‘प्रिज़न डायरी’ (Prison Diary) प्रसिद्ध किताबों में यह एक बात कॉमन है कि ये तीनों किताबें जेल के अन्दर से लिखी गयीं थीं. महात्मा गाँधी ने पुणे के यरवदा जेल में क़ैद रहते हुए ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ लिखी थी. जवाहरलाल नेहरू ने अहमदनगर जेल में 4 सालों में ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ लिखी और जयप्रकाश नारायण ने ‘प्रिज़न डायरी’ भी जेल के अन्दर ही लिखी. दरअसल भारत की आज़ादी के आंदोलन के दौरान और उसके असर में कुछ समय बाद तक भी जेल में रहने वाले राजनैतिक क़ैदी वहाँ मिलने वाले समय इस्तेमाल लिखने पढ़ने के लिए करते थे. यूँ भी आधुनिक न्याय व्यवस्था में जेल को सजा की नहीं सुधार की जगह की तरह देखा गया है क़ैदियों को जेल में कुछ उत्पादक श्रम करने और अपना हुनर, कला आदि प्रदर्शित और विकसित करने के अवसर देने की बात की जाती है.
आगरा सेन्ट्रल जेल से इसी तरह की एक अच्छी खबर आई है कि वहां बंद कैदियों ने यू.पी बोर्ड की वार्षिक दसवीं और बारहवीं की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की है. यहां के 10 कैदियों ने परीक्षा दी थी जिसमें से 9 को सफलता हासिल हुई है और तीन तो प्रथम श्रेणी में पास हुए हैं. यह माना जा रहा है कि इस साल आई अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘दसवीं’ से प्रभावित होकर क़ैदियों ने परीक्षा देने का मन बनाया और उत्तीर्ण भी हुए.
दो महीने पहले रीलिज हुई इस फिल्म में अभिषेक बच्चन ने गंगा राम चौधरी का किरदार निभाया है जो एक राज्य का मुख्यमंत्री है जिसे भ्रष्टाचार के आरोप में जेल हो जाती है. जेल जाते हुए वह अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना देता है. लेकिन जेल में रहते हुए जब पढ़ा लिखा नहीं होने की वजह से उसका अपमान होता है तो वह दसवीं पास करने की ठान लेता है. वह शिक्षित होने की “नयी चुनौती” का सामना करते हुए अंततः दसवीं की परीक्षा पास कर लेता है. दिलचस्प यह है कि इस फिल्म की शूटिंग फरवरी और मार्च 2021 में आगरा सेंट्रल जेल में ही हुई थी. फिल्म बनने की प्रक्रिया में हुई बातचीत और फिल्म के मुख्य विषय ने कैदियों को प्रभावित किया और इसका असर उनकी असल जिंदगियों पर भी हुआ.
जेल के वरिष्ठ अधीक्षक वी के सिंह ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि इससे अन्य कैदियों को भी प्रेरणा मिलेगी. यहाँ से पास होने वाले कैदी जब बाहर निकलेंगे तो अपने लक्ष्य को प्राप्त करेंगे.
जेल के कैदियों के परीक्षा में पास होने पर ‘दसवीं’ फिल्म के अभिनेता और उनकी पूरी टीम ने खुशी प्रकट करते हुए इसे ‘किसी भी पुरस्कार’ से बड़ा बताया. अभिषेक बच्चन ने इस बदलाव को सही मायनों में फिल्म का सफल होना माना है.
इस तरह की अच्छी खबरें बताती हैं कि सरकारों को जेल में पढाई-लिखाई के अनुकूल माहौल बनाने, अच्छी लाईब्रेरी तैयार करने और जरुरी चीज़ों का बेहतर इंतज़ाम करने की दिशा में और काम करना चाहिए.