क्या Zomato से खाना मंगाना होने वाला है महंगा?
Zomato को यह कदम उठाने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि उसे बड़े पैमाने पर घाटे का सामना करना पड़ रहा है, उस पर प्रॉफिट लाने का दबाव है और फूड डिलीवरी कारोबार में डिलीवरी की संख्या में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.
ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो से खाना मंगाना जल्द ही महंगा हो सकता है. दरअसल, जोमैटो ने कई रेस्टोरेंट चेन से अपने कमीशन में 2-6 फीसदी की बढ़ोतरी की मांग की है.
इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मामले की जानकारी रखने वाले सोर्सेज ने बताया कि जोमैटो को यह कदम उठाने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि उसे बड़े पैमाने पर घाटे का सामना करना पड़ रहा है, उस पर प्रॉफिट लाने का दबाव है और फूड डिलीवरी कारोबार में डिलीवरी की संख्या में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.
हालांकि, जोमैटो की इस मांग को मानने से रेस्टोरेंट संचालकों ने इनकार कर दिया है. इसके साथ ही, दोनों के बीच एक नया संघर्ष शुरू हो गया है.
एक देशव्यापी रेस्टोरेंट चेन के एक अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा, "यह पिछले एक सप्ताह से हो रहा है. हममें से कुछ लोगों को बताया गया है कि अगर हम उनकी मांग का पालन नहीं करते हैं तो हमें डीलिस्ट किया जा सकता है, हमारे डिलीवरी दायरे को कम किया जा सकता है, या प्लेटफॉर्म पर विजिबिलिटी को कम किया जा सकता है. हम सहमत नहीं हैं.”
5 लाख से अधिक सदस्यों वाले नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) के अध्यक्ष कबीर सूरी ने कहा, "हम अपने रेस्टोरेंट पार्टनरों की ओर से ज़ोमैटो के साथ इस मुद्दे को उठाएंगे." बता दें कि, सूरी अजुरे हॉस्पिटैलिटी के को-फाउंडर हैं, जो ममागोटो और फॉक्सट्रॉट रेस्टोरेंट ब्रांडों का संचालन करता है.
जोमैटो के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हम रेस्टोरेंट पार्टनर्स के साथ-साथ जोमैटो के लिए कॉम्पिटिटिव और टिकाऊ होने को सुनिश्चित करने के लिए अपने कमीशन पर पुनर्विचार करते रहते हैं.'
पिछले दो वर्षों से, ज़ोमैटो रेस्टोरेंट पार्टनर्स के साथ अपनी व्यवस्था के आधार पर डिलीवरी के लिए प्रति ऑर्डर 18-25 फीसदी का कमीशन ले रहा है.
रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि
, स्विगी जैसे अन्य एग्रीगेटर्स के साथ समानता चाहता है जो कई मामलों में अधिक कमीशन वसूलते हैं.फूड टेक कंपनी घोस्ट किचन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी करण तन्ना ने कहा, "यूनिट-लेवल प्रॉफिटेबिलिटी पर ज़ोमैटो का फोकस देखना अच्छा है, लेकिन यह रेस्टोरेंट के यूनिट इकॉनमिक्स को काफी हद तक परेशान कर सकता है."
तन्ना ने कहा, कमीशन में अचानक 5-6 फीसदी वृद्धि (जीएसटी सहित) से स्विगी और ज़ोमैटो के बीच कमीशन की असमानता हो सकती है. यदि धीरे-धीरे वृद्धि होती है, तो यह रेस्टोरेंट के लिए एक स्थिर ट्रांजिशन होगा.
बता दें कि, तन्ना के पास 1,200 से अधिक इंटरनेट रेस्टोरेंट चलाने वाले हैं और उनके पास कोई फिजिकल आउटलेट नहीं हैं और केवल डिलीवरी करते हैं.
Zomato का यह कदम कंपनी द्वारा अक्टूबर-दिसंबर 2022 तिमाही के लिए 347 करोड़ रुपये के शुद्ध घाटे की सूचना के बाद आया है, जो एक साल पहले दर्ज किए गए 63.2 करोड़ रुपये के नुकसान से अधिक है. प्लेटफॉर्म का रेवेन्यू एक साल पहले के मुकाबले 75% बढ़कर 1,948 करोड़ रुपये हो गया.
इंडिगो डेली और नील रेस्टोरेंट चलाने वाले इंडिगो हॉस्पिटैलिटी के संस्थापक अनुराग कटियार ने कहा: “कमीशन बढ़ाने के लिए ज़ोमैटो द्वारा मुंबई, दिल्ली और कोलकाता सहित कई शहरों में विभिन्न रेस्टोरेंट श्रृंखलाओं से संपर्क किया गया है. अब तक यह चुनिंदा तरीके से किया जा रहा है और उद्योग संघ एग्रीगेटर के साथ इस पर चर्चा करेंगे.”
ज़ोमैटो के फूड डिलीवरी कारोबार में वृद्धि दिसंबर तिमाही में डाइन-आउट (लोगों के बाहर जाकर खाना खाने) और लोगों के दोबारा घूमने निकलने के साथ काफी धीमी हो गई है. इसका सबसे अधिक असर देश के शीर्ष आठ शहरों में साफ दिखाई दिया, जहां से जोमैटो को सबसे अधिक ऑर्डर मिलते हैं.
एग्रीगेटर ज़ोमैटो और स्विगी तीन साल से अधिक समय से रेस्टोरेंट पार्टनर्स के साथ संघर्ष कर रहे हैं. रेस्टोरेंट संचालकों का आरोप है कि एग्रीगेटर्स अपने कस्टमर बेस को जोड़ने के लिए भारी छूट की पेशकश करते हैं, जो उनके व्यवसायों को अस्थिर बनाता है. वे प्लेटफ़ॉर्म पर असमान कमीशन चार्ज करने और डेटा को छिपाने का भी आरोप लगाते हैं.
जब NRAI ने ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी तब यह मामला भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के पास भी गया था.
Edited by Vishal Jaiswal