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चंद्रयान-3 को देखने के बाद NASA के एक्सपर्ट चाहते थे कि भारत स्पेस टेक्नोलॉजी शेयर करे: ISRO चीफ सोमनाथ

तमिलनाडु के रामेश्वरम में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे इसरो प्रमुख ने कहा कि समय बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है.

चंद्रयान-3 को देखने के बाद NASA के एक्सपर्ट चाहते थे कि भारत स्पेस टेक्नोलॉजी शेयर करे: ISRO चीफ सोमनाथ

Monday October 16, 2023 , 3 min Read

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि नासा-जेपीएल (NASA-JPL) विशेषज्ञ चाहते हैं कि चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) अंतरिक्ष यान की विकासात्मक गतिविधियों को देखने के बाद भारत अपनी स्पेस टेक्नोलॉजी अमेरिका के साथ साझा करे.

तमिलनाडु के रामेश्वरम में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे इसरो प्रमुख ने कहा कि समय बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है और यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी खिलाड़ियों के लिए स्पेस सेक्टर के द्वार खोल दिए हैं.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने इसरो प्रमुख के हवाले से कहा, “हमारा देश एक बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है. आप समझ गए? देश में हमारा ज्ञान और बुद्धिमत्ता का स्तर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक है."

पीटीआई ने सोमनाथ के हवाले से बताया, "चंद्रयान-3 में, जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया, जो सभी रॉकेट और सबसे कठिन मिशन करते हैं."

उन्होंने आगे कहा, “नासा-जेपीएल से लगभग 5-6 लोग (इसरो मुख्यालय में) आए और हमने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया. यह सॉफ्ट लैंडिंग (23 अगस्त को) होने से पहले की बात है. हमने बताया कि हमने इसे कैसे डिज़ाइन किया और हमारे इंजीनियरों ने इसे कैसे बनाया... और हम चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेंगे, और उन्होंने बस इतना कहा, 'कोई टिप्पणी नहीं. सब कुछ अच्छा होने वाला है''

उन्होंने कहा, “उन्होंने (अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने) एक बात भी कही, 'वैज्ञानिक उपकरणों को देखो, वे बहुत सस्ते हैं. इन्हें बनाना बहुत आसान है और ये उच्च तकनीक वाले हैं. आपने इसे कैसे बनाया? वे पूछ रहे थे, "आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेचते."

इसरो प्रमुख ने कहा, "तो आप (छात्र) समझ सकते हैं कि समय कैसे बदल गया है. हम भारत में बेस्ट इक्वीपमेंट्स, बेस्ट डिवाइसेज और बेस्ट रॉकेट बनाने में सक्षम हैं. यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पेस सेक्टर को खोल दिया है."

चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरा, जिससे यह अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा की सतह पर पहुंचने की उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया.

इसरो प्रमुख ने आगे कहा, "अब हम आप लोगों से कह रहे हैं कि आएं और रॉकेट, सैटेलाइट बनाएं और हमारे देश को स्पेस टेक्नोलॉजी में और अधिक शक्तिशाली बनाएं. यह केवल इसरो ही नहीं है, हर कोई अंतरिक्ष में ऐसा कर सकता है. चेन्नई की कंपनी Agnikul और हैदराबाद की Skyroot रॉकेट बना रही हैं. कम से कम भारत में, आज पाँच कंपनियाँ रॉकेट और सैटेलाइट बना रही हैं."

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