सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, Oxfam और मीडिया को फंडिंग देने वाले ट्रस्ट पर IT की छापेमारी
ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन तथा कुछ अन्य से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग एफसीआरए के माध्यम से प्राप्त धन की रसीद के साथ-साथ इन संगठनों के बही-खातों का अध्ययन कर रहा है.
आयकर विभाग ने विदेशी धन हासिल करने में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर बुधवार को एक मीडिया फाउंडेशन के अलावा दिल्ली स्थित शोध संस्थान ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ (सीपीआर) तथा वैश्विक गैर-सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) के खिलाफ एक तलाशी अभियान चलाया. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों ने बताया कि कर अधिकारियों ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) और धर्मार्थ संगठन क्षेत्र के तीन और संगठनों के खिलाफ औचक कार्रवाई की. उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों ने दोपहर के आसपास इन संगठनों के परिसरों का दौरा किया और एफसीआरए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन से संबंधित जांच के तहत खातों और वित्तीय लेनदेन की जांच की.
सूत्रों ने बताया कि कार्यालय के कर्मचारियों और मुख्य निदेशकों तथा पदाधिकारियों से भी पूछताछ की गई. चाणक्यपुरी में धर्म मार्ग स्थित सीपीआर कार्यालय परिसर के बाहर मीडियाकर्मियों को इंतजार करते देखा गया.
ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन तथा कुछ अन्य से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग एफसीआरए के माध्यम से प्राप्त धन की रसीद के साथ-साथ इन संगठनों के बही-खातों का अध्ययन कर रहा है.
कानून के मुताबिक, विदेशी कोष हासिल करने वाले सभी एनजीओ को एफसीआरए के तहत रजिस्टर कराना होता है. सरकार ने पिछले पांच साल में कानून के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए लगभग 1,900 गैर-सरकारी संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण रद्द कर दिया है. दिसंबर 2021 के अंत तक एफसीआरए से पंजीकृत 22,762 संगठन थे.
क्या है सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च?
1973 स्थापित थिंक टैंक सीपीआर सरकार की नीति की आलोचनात्मक नजरिए से विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है. कुछ समय पहले तक शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता इसका नेतृत्व करते थे. वह वर्तमान भाजपा सरकार के एक प्रमुख आलोचक हैं. वर्तमान में इसकी गवर्निंग बोर्ड की अध्यक्षता मीनाक्षी गोपीनाथ करती हैं. वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पढ़ाती थीं और दिल्ली में लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रिंसिपल थीं.
क्या है IPSMF?
वहीं, IPSMF ऐसे मीडिया संस्थानों की फंडिंग करता है जो कि इनवेस्टिगेटिव स्टोरीज करती हैं और सरकार की नीतियों और उसके कामों को लेकर गंभीर सवाल पूछती हैं. इसमें द कारवां, द प्रिंट और स्वराज्य, द न्यूज मिनट, द वायर,
IPSMF के अध्यक्ष पत्रकार टीएस निनन हैं, जबकि ट्रस्टियों में अभिनेता अमोल पालेकर शामिल हैं. इसके डोनर्स में अजीम प्रेमजी, गोदरेज और नंदन नीलेकणी हैं.
क्या है ऑक्सफैम इंडिया?
ऑक्सफैम इंडिया भी कार्रवाई का सामना कर रहा है. ऑक्सफैम अम्ब्रेला के तहत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के वैश्विक संघ का हिस्सा है. इसकी वेबसाइट पर लिखा है कि यह भारतीय संविधान में कल्पना के अनुसार एक न्यायपूर्ण और समावेशी देश बनाने के लिए सरकारों से नीतिगत बदलाव की मांग करने के लिए जनता के साथ अभियान चलाता है.
डिजिटल प्रकाशनों के संगठन ने की निंदा
भारत में समाचारों के डिजिटल प्रकाशनों के संगठन डिजीपब न्यूज इंडिया फाउंडेशन ने सीपीआर, ऑक्सफैम इंडिया और IPSMF पर आयकर विभाग के छापे और सर्वेक्षणों की कड़ी निंदा की.
डिजीपब ने कहा कि ये तीनों ही संगठन एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. यह पहली बार नहीं है जब हाल के वर्षों में इस तरह की छापेमारी की गई है. आरोपों या सबूतों पर कोई स्पष्टता के बिना, सार्वजनिक सेवा और पत्रकारिता में शामिल संगठनों को डराने और परेशान करने के लिए आयकर टीमों का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह मानव संसाधन और भारत के प्रशासनिक तंत्र में वैल्यू जोड़ने के लिए सेवा में शामिल हुए सरकारी अधिकारियों के प्रयासों की एक पूरी तरह बर्बादी है.
Edited by Vishal Jaiswal