Amazon, Flipkart के दबदबे को खत्म करने के लिए सरकार ला रही ONDC, जानिए यह है क्या?
केंद्रीय कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि यह पहल भारत का अगला टेक्नोलॉजिकल रिवाल्यूशन साबित होगी क्योंकि यह भारत के 6 करोड़ छोटे से लेकर बड़े स्टोर्स को उपभोक्ताओं के लिए अपने सामान को सामने लाकर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा.
देश के महत्वाकांक्षी ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स यानी ओएनडीसी (Open Network for Digital Commerce - ONDC) को इस महीने के अंत तक एक या दो शहरों में आम जनता के लिए खोलने की तैयारी चल रही है.
केंद्रीय कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल ने कहा कि यह पहल भारत का अगला टेक्नोलॉजिकल रिवाल्यूशन साबित होगी क्योंकि यह भारत के 6 करोड़ छोटे स्टोर्स को उपभोक्ताओं के लिए अपने सामान को सामने लाकर अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा.
क्या है ONDC?
ओएनडीसी एक यूपीआई-प्रकार का प्रोटोकॉल है और इस पूरी कवायद का मकसद तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र को दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाना, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद करना और दिग्गज ऑनलाइन खुदरा विक्रेताओं के वर्चस्व को कम करना है.
मौजूदा वक्त में भारत में ई-कॉमर्स मॉडल प्लेटफॉर्म पर आधारित है, जबकि ONDC मॉडल इसे खुले नेटवर्क में ले जाएगा, जो विश्वास और समानता पर आधारित होगा. यानी अब छोटे काराबोरियों को ढेर सारे ग्राहकों तक पहुंचने के लिए अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर खुद को रजिस्टर करने की जरूरत नहीं होगी.
ONDC से छोटे बिजनेस को कैसे होगा फायदा?
ONDC छोटे कारोबारियों को भी मौका देने का वादा करता है. एक बार प्लेटफ़ॉर्म पूरी तरह से शुरू हो जाने के बाद कोई भी इसका फायदा उठा सकेगा. नई व्यवस्था में तमाम तरह के मार्केटप्लेस ONDC पर ही दिखाई देंगे. ऐसे में छोटे कारोबारियों को अलग से हर वेबसाइट पर जाकर खुद को रजिस्टर नहीं करना पड़ेगा. साथ ही ऑनबोर्डिंग और प्रोडक्ट कैटलॉगिंग जैसे काम ओपन सोर्स हो जाएंगे.
मार्केटप्लेस के दिग्गज, कैटेगरी के हजारों अन्य विक्रेताओं को छोड़कर सिर्फ कुछ विक्रेताओं को ही सहयोग देते हैं. इसकी वजह से छोटे ब्रांड्स के लिए कॉम्पटीशन कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है. ONDC अपने सभी पंजीकृत विक्रेताओं के लिए उचित अवसर देकर उन्हें बराबरी का मौका देता है.
ओपन-सोर्स कॉमर्स प्लेटफॉर्म स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देता है. इसका मतलब है कि कोई ऑनलाइन खरीदार अपने आसपास ही दुकान का पता लगा सकता है. कोई ग्राहक यदि पेटीएम से ओएनडीसी पर लॉगिन करेगा तो उसे केवल पेटीएम के सेलर्स के प्रोडेक्ट नही बल्कि मीशो, अमेजन, फिलपकार्ड, स्नैपडील जैसे सेलर्स को भी प्रोडेक्ट दिखेंगे, जिनकी खरीदारी की जा सकेगी.
कोई शुल्क नहीं देना होगा
इस प्लेटफॉर्म के जरिये लोग साबुन-तेल की खरीदारी से लेकर हवाई टिकट बुकिंग, ग्रासरी, फूड आर्डर और डिलिवरी, होटल बुकिंग आदि करा पाएंगे. इस प्लेटफॉर्म से जुड़कर सामाज बेचने वाले दुकानदारों को कोई शुक्ल नहीं देना पडेगा.
सफल रहा 5 शहरों में पायलट चरण
देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र के लोकतंत्रीकरण, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद और ऑनलाइन खुदरा दिग्गजों के प्रभुत्व को कम करने के उद्देश्य से अप्रैल में पांच शहरों में ओएनडीसी ने एक पायलट चरण शुरू किया था. पायलट चरण में पांच शहरों - दिल्ली एनसीआर, बेंगलुरु, भोपाल, शिलांग और कोयंबटूर में 150 खुदरा विक्रेताओं को जोड़ने का प्रायोगिक चरण चल रहा है और यह सफल रहा है.
शिकायत निवारण तंत्र मजबूत करने पर जोर
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि ओएनडीसी को उपभोक्ताओं का भरोसा कायम करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना चाहिए. गोयल ने कहा, ‘‘ओएनडीसी को शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करने और रिटर्न, रिफंड और रद्द करने के लिए मजबूत तंत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं का विश्वास बनाना चाहिए.’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि ओएनडीसी को अपने नेटवर्क को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए व्यापारियों और उद्योग संघों के साथ सक्रिय रूप से काम करना चाहिए.
ई-कॉमर्स सेक्टर हो जाएगा बेमानी
ONDC के सीईओ टी. कोशी ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म जिस समस्या का समाधान ढूंढने की कोशिश कर रहा है, वह केवल विकासशील देशों की समस्या नहीं है. आज ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का दबदबा हर जगह एक समस्या बन गया है. ये इतने बड़े बन गए हैं इन्हें अब कंट्रोल नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने आगे कहा कि भविष्य में, जिस किसी के पास बेचने के लिए कुछ भी है, उन्हें अपने कैटलॉग को इस सामान्य नेटवर्क (ओएनडीसी) में या तो स्वयं या किसी थर्ड पार्टी एग्रीगेटर या टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से दिखाना होगा. उन्होंने कहा कि इस तरह से हर किसी के पास कॉमर्स होगा लेकिन अलग से किसी ई-कॉमर्स की जरूरत नहीं होगी. दूसरे शब्दों में कहें तो एक सेक्टर के रूप में ई-कॉमर्स का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
Edited by Vishal Jaiswal