कैसे भारत में लंबी दूरी की बस सवारी को आसान बना रहा है ixigo समर्थित स्टार्टअप gogoBus
gogoBus ने एक ट्रांसपोर्टेशन एज-ए-सर्विस (TaaS) प्लेटफॉर्म बनाया है जो डिमांड विजिबिलिटी से लेकर सीट बुकिंग तक रूट ट्रैकिंग से लेकर इन-बस सर्विसेज तक इंटरसिटी बस यात्रा को सुव्यवस्थित करता है। स्टार्टअप ने जनवरी 2020 से अब तक 6,500 ट्रिप में 30,000 यात्रियों की सेवा की है।
यदि आप भारत में पले-बढ़े हैं, तो संभव है कि आपने लंबी दूरी की बस की सवारी की होगी। उद्योग के अनुमानों के अनुसार, भारतीय - सामान्य परिस्थितियों में - सालाना पांच अरब से अधिक इंटरसिटी बस यात्राएं करते हैं, जिससे देश दुनिया के सबसे बड़े बस यात्रा बाजारों में से एक बन जाता है।
एक स्मार्ट बस स्टार्टअप के फाउंडर्स ने हाल ही में YourStory को एक बातचीत में बताया, “सड़क और रेल द्वारा इंटरसिटी यात्रियों की संख्या प्रतिदिन 50 मिलियन से अधिक होने का अनुमान है। आज देश भर में 5,000 से अधिक बस ऑपरेटर हैं। लेकिन बाजार असंगठित है और भरोसे की कमी है।"
कई तकनीक के नेतृत्व वाले मोबिलिटी स्टार्टअप इस "विश्वास की कमी" को हल करने की कोशिश कर रहे हैं और खंडित इंटरसिटी बस ट्रैवल मार्केट को व्यवस्थित कर रहे हैं जिसकी कीमत अनुमानित 20 बिलियन डॉलर है।
एक ऐसी ही नई कंपनी है, और ईकोसिस्टम में नई-नई आई है।
ट्रांसपोर्ट-एज-ए-सर्विस (TaaS) स्टार्टअप की स्थापना 2019 के अंत में अमित गुप्ता (जिन्होंने शटल में एंटरप्राइज डिवीजन का नेतृत्व किया) और अविनाश सिंह बागरी (ट्रिपस्कैनर्स के पूर्व निदेशक) द्वारा की गई थी। यात्रा और परिवहन क्षेत्र में अपने पूर्व अनुभव से लैस दोनों जानते थे कि भारत में लंबी दूरी की यात्रा टुकड़ों में पूरी होती है।
को-फाउंडर और सीईओ अमित ने YourStory को बताया, “भारत मुख्य रूप से एक बस वाला देश है। बसें जीवन रेखा हैं क्योंकि ट्रेनें हर नुक्कड़ पर नहीं पहुंच सकतीं। हालाँकि, बस पारिस्थितिकी तंत्र अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है। औसत भारतीय की क्रय शक्ति को ध्यान में रखते हुए, उस कीमत पर कोई विश्वसनीय समाधान नहीं है जिसे लोग भुगतान करने में सहज हों। रेडबस, पेटीएम, इक्सिगो और अन्य जैसे खिलाड़ी बुकिंग साइड को तो हल कर रहे हैं, लेकिन यह बस पारिस्थितिकी तंत्र का सिर्फ एक हिस्सा है।"
TaaS के साथ बस यात्रा का समाधान
गुरुग्राम स्थित gogoBus ने इन्वेंट्री साइड में एक गैप की पहचान की। हर साल देश भर में लगभग 4-4.5 लाख इंटरसिटी बसें चलने के साथ, मांग और आपूर्ति में दृश्यता की कमी ऑपरेटरों के लिए एक प्रमुख समस्या थी।
अमित बताते हैं, “मुख्य चुनौतियां हैं कि कैसे इन्वेंट्री को फ्रंटएंड से जोड़ा जाए, कैसे उपभोक्ता का फीडबैक रियल टाइम के आधार पर बैकएंड पर ऑपरेटर तक पहुंच रहा है, और कैसे सूचना विषमता को एक स्वच्छ और निर्बाध तरीके से हल किया जाए ताकि बेस्ट इंटरसिटी यात्रा अनुभव प्रदान किया जा सके।"
वह कहते हैं, "आपको उसके लिए तकनीक की आवश्यकता है, लेकिन इस बाजार का केवल 30-40 प्रतिशत ही तकनीक का उपयोग करता है।"
gogoBus ने टिकट बुकिंग, इंटेलीजेंट और रियल टाइम रूट आईडेंटिफिकेशन (रास्ते की पहचान), पिक-अप और संपर्क रहित यात्री ऑनबोर्डिंग से लेकर बस के अंदर के अनुभव को सहज बनाने, पी एंड एल, और बस ऑपरेटरों के लिए संचालन मार्गदर्शन तक एक संपूर्ण वैल्यू चैन को सुव्यवस्थित करने के लिए एक फुल-स्टैक टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म बनाया है।
स्टार्टअप जनवरी 2020 में कानपुर से दिल्ली की पहली यात्रा के साथ शुरू हुआ।
दो महीने बाद, gogoBus ने आईपीओ-बाउंड इक्सिगो और राजेश साहनी (को-फाउंडर और सीईओ, इनरशेफ) और अभिषेक शर्मा (सीओओ, डाइनआउट), मैगहोल्ड (सिंगापुर स्थित माइक्रो वीसी), अनिल पी गुप्ता (पूर्व-कंट्री हेड हनीवेल), और अनिल अत्री (को-फाउंडर, ईकॉम एक्सप्रेस) सहित प्रमुख एंजेल इन्वेस्टर्स से $317,000 की सीड फंडिंग जुटाई है।
उस समय, इक्सिगो के को-फाउंडर और सीईओ आलोक बाजपेयी ने कहा था, “देश में बसें इंटरसिटी परिवहन का सबसे लोकप्रिय साधन होने के बावजूद, बाजार अत्यधिक खंडित और गैर-मानकीकृत है, जिसमें कई समस्याएं हल करने लायक हैं। आम तौर पर, यात्री ट्रेनों की उपलब्धता और फ्लाइट्स के भारी भरकम किराए के कारण अंतिम समय में इंटरसिटी बस यात्रा की योजना बनाते हैं। gogoBus लोगों को स्मार्ट और किफायती तरीके से ऐसा करने की अनुमति देता है।"
फंड उगाहने के तुरंत बाद, देशव्यापी लॉकडाउन के कारण इंटरसिटी यात्रा के रुकने के कारण इसका संचालन भी ठप हो गया।
महामारी के कारण पड़ाव और प्रोडक्ट को तैयार करना
एक नए-नए स्टार्टअप के लिए, खासतौर से यात्रा और परिवहन के क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने आपदा को जन्म दिया।
अमित बताते हैं, “कोविड-19 ने हमें उस समय झटका दिया जब हम शुरुआत कर ही रहे थे। यह काफी बुरा और अप्रत्याशित था। सच कहूं तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए हमारे दिमाग में कोई रणनीति नहीं थी। आगे का रास्ता निकालने में हमें थोड़ा समय लगा, लेकिन इस चरण के दौरान हमने भारत के लिए कनेक्टिविटी बनाने के लिए अपने प्रोडक्ट को फिर से तैयार किया।"
संचालन के दो महीने के दौकान इकट्ठा किए गए डेटा और इनसाइट पर सवार होकर gogoBus ने स्वामी ऐप (Swami app) को लॉन्च करने के लिए "जल्दी से ट्रैक बदल दिया"।
अमित कहते हैं, “यह COVID-19 का परिणाम था।” वह आगे कहते हैं, “भले ही हमने शुरू में खुद को एक उपभोक्ता मंच के रूप में देखा, लेकिन लॉकडाउन ने हमें दिखाया कि बस ऑपरेटरों को बुकिंग का प्रबंधन करने, ऑक्यूपेंसी रेट को समझने और रियल टाइम में अपने पी एंड एल को ट्रैक करने के लिए एक प्लेटफॉर्म की आवश्यकता थी।"
स्टार्टअप ने मार्च और अक्टूबर 2020 के बीच की अवधि को अपने उत्पाद को तैयार करने और एक नई संपर्क रहित दुनिया की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीकी स्टैक को पुनर्व्यवस्थित करने में बिताया। इसने झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में विस्तार करने के लिए अगस्त में रांची स्थित ट्रैवल एग्रीगेटर BusYar को भी अधिग्रहित किया।
अमित कहते हैं, “पूर्वी भारत एक खाली पड़ा ऐसा क्षेत्र है जहां कनेक्टिविटी पूरी तरह से टूट गई है। लेकिन बसों पर निर्भरता बहुत अधिक है, खासकर 100 किमी से अधिक की दूरी के लिए। BusYar, जिसके पास भी समाना प्रोडक्ट था, उसे खरीदना एक रणनीतिक सौदा था।"
लॉकडाउन में ढील के बाद, gogoBus ने अक्टूबर में बुकिंग फिर से शुरू की, जिससे उसकी जीएमवी में महीने-दर-महीने 20-25 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हालाँकि, अप्रैल 2021 में घातक दूसरी लहर ने फिर से परिचालन रोक दिया। और एक बार फिर, स्टार्टअप ने अपने उत्पाद को दोबारा तैयार किया।
को-फाउंडर्स विस्तार से बताते हैं, “हमने अपने नेटवर्क को व्यापक बनाया और एक सेवा प्रदाता होने से आगे बढ़े। हमने रूट, टाइम स्लॉट और खाने और सीट के विकल्प आदि पर डेटा एडवाइजरी देना शुरू किया। हमारे इंटेलिजेंट इंजन डेमोग्राफिक्स और मौसम की स्थिति के आधार पर वास्तविक समय में वैकल्पिक मार्गों की भविष्यवाणी कर सकते हैं।”
जैसे ही दूसरी लहर रुकी और इंटरसिटी यात्रा शुरू हुई, gogoBus ने जुलाई 2021 में अपनी डेटा सलाहकार सेवाएं शुरू कीं।
बिजनेस मॉडल और विकास योजनाएं
जुलाई के बाद से, gogoBus का दावा है कि वह हर महीने 100 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। वर्तमान में इसके प्लेटफॉर्म पर 30 ऑपरेटर और 100 कनेक्टेड बसें हैं, और वर्ष के अंत से पहले अपने बेड़े को 5 गुना तक बढ़ाना चाहता है।
अमित बताते हैं, “हम अगले 4-5 महीनों में 100 शहरों की पहुंच को टारगेट कर रहे हैं। हम जल्द ही [उत्तर और पूर्व में काम करने के बाद] दक्षिण भारत में प्रवेश करने की योजना बना रहे हैं।”
अपनी स्थापना के बाद से, मंच ने भारत के 35 शहरों में 14 लाख किलोमीटर में फैले 6,500 बस यात्राएं देखी हैं। gogoBus ने 30,000 यात्रियों की सेवा की है, और बुकिंग के लिए 4,000 से अधिक डेली लाइव सीटें उपलब्ध हैं।
अमित बताते हैं, “इंटरसिटी यात्रा की जुलाई-अगस्त में जोरदार वापसी हुई क्योंकि यह स्थगित की जा सकने वाली अवकाश यात्रा के विपरीत एक जरूरत बन गई है। हमने पिछले दो महीनों में प्रति दिन 60+ ट्रिप की सेवा की, और सितंबर के अंत तक 100+ दैनिक ट्रिप तक पहुंच जाएंगे। प्रति ट्रिप की औसत दूरी भी दूसरी लहर के बाद [250 किमी से] 550 किमी हो गई है।"
मार्च 2022 तक, gogoBus को 60,000 यात्रियों की सेवा करने की उम्मीद है। इसका तीन साल का लक्ष्य 5,000 बसों को जोड़ना है, जिनमें से 20 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। यह 2023 के अंत तक 50 करोड़ रुपये का GMV और 25 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने का भी इरादा रखता है।
उपभोक्ता पक्ष पर, स्टार्टअप अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से बुक किए गए प्रत्येक टिकट पर कमीशन लेता है। B2B पक्ष पर, बस ऑपरेटर उनकी सूची को gogoBus (साथ ही ixigo पर) पर सूचीबद्ध कर सकते हैं। अमित कहते हैं, "एक बार जब ऑपरेटरों बढ़ जाएंगे, तब हम डिजिटल मार्केटिंग कर सकते हैं और उनके साथ एक बड़ा व्यावसायिक संबंध बना सकते हैं।"
इक्सिगो के को-फाउंडर और सीटीओ रजनीश कुमार कहते हैं, “सालाना पांच अरब से अधिक यात्राओं के साथ बस बाजार काफी आकर्षक है। बसों के साथ gogoBus टीम का पूर्व संचालन अनुभव, यात्रा और परिवहन का डोमेन ज्ञान, इक्सिगो के डिमांड-साइड स्केल के साथ मिलकर बस यात्रा बाजार को बड़े पैमाने पर भुनाने में मदद करेगा।"
जैसा कि इंटरसिटी बस यात्रा स्पेस बड़ा है, इसलिए gogoBus कई कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करता है, जिसमें
, , IntrCity SmartBus ( के स्वामित्व में), , , AbhiBus (अगस्त में इक्सिगो द्वारा अधिग्रहित), और , , व Yatra आदि द्वारा संचालित बस बुकिंग मार्केटप्लेस शामिल हैं।हालांकि, अमित का मानना है कि इस स्पेस में काफी जगह है। वह कहते हैं, “असली बस यात्रा टियर II और III शहरों में होती है। उन स्थानों को टीयर I शहरों से जोड़ना, जहां अधिकांश व्यवसाय निहित हैं, यही हमारा फोकस है।"
Edited by रविकांत पारीक