70 हज़ार से 300 करोड़ तक : कुछ ऐसी है बिग बॉय टॉयज़ के फाउंडर जतिन आहूजा की कहानी
सिर्फ विराट कोहली और रोहित शर्मा के लिए ही नहीं, सभी के लिए लग्जरी कारों को अधिक सुलभ बना रहा है बिग बॉय टॉयज़ (BBT)। मिलें प्री-ओन्ड कार मार्केट के बादशाह और BBT के फाउंडर जतिन आहूजा से...
"बिग बॉय टॉयज़ के फाउंडर जतिन आहूजा की जर्नी बेहद दिलचस्प है। छोटी-सी उम्र से ही जतिन ने प्रॉफिट कमाना सीख लिया था और बेहद कम उम्र में बीबीटी के मालिक बन गए। जतिन गुरुग्राम के रहने वाले हैं लेकिन बीबीटी के शोरुम्स गुरुग्राम के साथ-साथ मुंबई और हैदराबाद में भी हैं। आपको बता दें, कि जब लॉकडाउन के दौरान नए वाहनों, खासकर कारों की बिक्री लगभग शून्य पर आ गयी थी, तो ऐसे वक्त में भी दिल्ली स्थित ‘बिग बॉय टॉयज़’ ने (अप्रैल 2020 में) करीब 12 ऐसी लग्जरी कारें बेचीं जिनकी कुल कीमत लगभग 12-13 करोड़ रुपये के करीब रही।"
स्टार्टअप: बिग बॉय टॉयज़
फाउंडर एंड सीईओ: जतिन आहूजा
कंपनी किस साल स्थापित हुई: 2009
सेक्टर: ऑटोमोबाइल
उद्देश्य: लक्जरी कारों को अधिक से अधिक लोगों के लिए सुलभ बनाना और हर तबके में स्थापित होना
फंडिंग: एंजेल फंडिंग
बेस्ड: गुड़गांव
भारत में यूज़्ड कारों को लेकर लोगों के बीच बेहद ही 'खराब' धारणा है, लेकिन बिग बॉय टॉयज़ अपने रॉयल अंदाज़ से इसी धारणा को पूरी तरह से बदलने की कोशिश कर रहा है या फिर कहें तो काफी हद तक बदल चुका है, या यह भी कह सकते हैं कि पूरी तरह खारिज कर चुका है, तभी तो विराट कोहली से लेकर रोहित शर्मा तक, प्रिटी ज़िंटा से लेकर नेहा धूपिया तक, बीबीटी यानि कि बिग बॉय टॉयज़ ने सभी को अपना दिवाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। बिग बॉय टॉयज़ के फाउंडर जतिन आहूजा की जर्नी बेहद दिलचस्प है। छोटी-सी उम्र से ही जतिन ने प्रॉफिट कमाना सीख लिया था और मात्र 23 साल की उम्र में मशहूर रिटेल ब्रांड बीबीटी के मालिक बन गए। जतिन गुरुग्राम के रहने वाले हैं लेकिन बीबीटी के शोरुम्स दिल्ली, गुरुग्राम के साथ-साथ मुंबई और हैदराबाद में भी हैं। बिग बॉय टॉयज़ वो ब्रांड है, जो यूज़्ड-कार्स को लग्जरी कार्स में बदल अपने ग्राहकों का दिल जीत लेता है।
अधिकतर बच्चों के लिए बचपन के जुनून में कागज़ों की टुकड़ियों से लेकर खत्म हो चुके पेन के कैप इकट्ठा करना शामिल हो सकता है, लेकिन जतिन आहूजा कोई साधारण बच्चा नहीं था। वह हमेशा से अपनी उम्र के बाकी बच्चों से थोड़ा अलग और थोड़ा ज्यादा समझदार और हमेशा से ही बिज़नेस माइंडिड था। कारों के लिए जतिन का पैशन अचानक से उठा कोई खयाल भर नहीं बल्कि सालों-साल से उनकी ज़िंदगी के करीब रहा और यही वजह है कि छठी क्लास में जतिन के दिमाग में जिस ख्वाब ने अपनी नींव रखी, वह 17 साल की उम्र में एक बिज़नेस वेंचर के रूप में उनके सामने खड़ा था।
कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी, लेकिन ये खयाल काफी दिलचस्प है कि जिस तरह कुछ बच्चे सोने की चम्मच (मशहूर कहावत) साथ लेकर पैदा होते हैं, उसी तरह जतिन लग्ज़री कार हाथ में लेकर पैदा हुए थे। तभी तो मात्र 12 साल की उम्र में कंपनी का नाम 'बिग बॉय टॉयज़' होगा उन्होंने तय कर लिया था। उन्होंने इसी उम्र में यह भी तय कर लिया था कि किस तरह यूज़्ड कार्स को वह लग्ज़री कार्स में बदल कर इंडियन मार्केट में अपने पैर जमायेंगे। उनका बड़ा ब्रेक मर्सिडीज एस क्लास के साथ आया, जिसे उन्होंने 17 साल की उम्र में खरीदा, रिफर्बिश्ड (पुनर्निर्मित) किया और एक हैंडसम प्रॉफिट पर बेच दिया।
चार्टर्ड अकाउंटेंट पिता के घर में जन्मे जतिन आहूजा ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए किया। उन्होंने कार के नवीनीकरण में अपने कौशल का भरपूर इस्तेमाल किया और साथ ही अपने बिज़नेस मॉडल पर भी गंभीरता से काम करना शुरु किया। बिग बॉय टॉयज़ की शुरुआत जतिन ने अपने पिता से 70,000 रुपये की उधारी लेकर फिएट पालियो (Fiat Palio) से की और साल 2009 में दिल्ली में एक छोटा-सा स्टूडियो खोला। आज की तारीख में लगभग 150 लोगों की टीम जी जान से लगी हुई, जहां प्री-ओन्ड (पूर्व स्वामित्त) लग्जरी कारें वन स्टॉप डेस्टिनेशन पर आसानी से उपलब्ध हैं।
मज़ाक करते हुए जतिन कहते हैं,
"मेरी पत्नी अक्सर कहती है कि आखिरकार मैं हूं तो एक मैकेनिक ही।"
गौरतलब है, कि जतिन ने अपनी पहली डील 2005 में की थी। यह डील काफी दिलचस्प थी, जिसमें मुंबई बाढ़ में खराब हुई मर्सिडीज को उन्होने सही कर 25 लाख में बेचा था। आपको बता दें, कि उन्होंने कार के साथ-साथ नए मोबाइल नंबर पर भी ध्यान दिया और 2006 में फैन्सी मोबाइल नंबर की डिमांड को देखते हुये 1200 सिम कार्ड 99999 की सीरीज वाले खरीदे, जिनसे 24 लाख का बिजनेस किया और 2007 में उनकी कमाई का आंकड़ा 2 करोड़ तक पहुंच गया।
जतिन ने प्री-ओन्ड लग्जरी कार्स के बिज़नेस में उन दिनों कदम रखा था, जब प्रीमियम कारों के डीलर भारतीय बाजार में उतरने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन जतिन को अपने आप पर इतना भरोसा था कि उन्होंने बरसों से पनप रहे अपने पैशन को बिज़नेस में बदल दिया।
ऐसा नहीं था कि बीबीटी आचानक से पैदा हुआ कोई खयाल भर था, बल्कि इसकी शुरुआत से पहले और शुरुआत के बाद भी जतिन ने ऑटो इंडस्ट्री की संभावनाओं पर गंभीर रिसर्च और ग्राउंडवर्क किया और उन लोगों से जुड़े जो लग्ज़री कारों को खरीदने के शौकीन थे। ये वही लोग थे जो भविष्य में उनके कस्टमर होने जा रहे थे। 2009 के बाद जतिन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तब से अब भारत के अलग-अलग शहरों में 6,000 से भी अधिक लोगों तक अपनी कारें पहुंचा चुके हैं।
34 वर्षीय जतिन कहते हैं,
"मैं किसी भी तरह की पुश स्ट्रेटजी को फॉलो नहीं करता, बल्कि पुल स्ट्रेटजी में यकीन रखता हूं। हम लार्ज स्केल पर विज्ञापन देते हैं और लोग कार खरीदने के लिए हमसे खुद संपर्क करते हैं।”
ग्राहकों की संतुष्टि को महत्व देने के संदर्भ में जतिन कहते हैं, कि बिक्री के लिए रखे जाने से पहले कोई भी बिग बॉय टॉयज़ कार 151-पॉइंट चेक लिस्ट से गुजरती है। इसके अलावा, एक कार जो 20,000 किलोमीटर से अधिक चली है, और 2015 से पहले निर्मित है, उसे हम शॉर्टलिस्ट नहीं करते, साथ ही कंपनी की इन्वेंट्री का एक हिस्सा बनने के लिए कार दुर्घटना रहित और बिना किसी मुकदमे के होना चाहिए।
यहां यह कहना ज़रूरी हो जाता है, कि जतिन ज़मीन से जुड़े हुए वह फाउंडर हैं, जिन्होंने बिग बॉय टॉयज़ को ज़रूरत पड़ने पर खड़ा करने के लिए अपने हाथ से मैकेनिक का भी काम किया। छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी ज़रूरत में इस तरह घुसकर काम करने की वजह से ही जतिन आज उस मुकाम पर हैं, जहां पहुंचना हर किसी के लिए मुमकिन नहीं।
ग्राहक से कार खरीदने से पहले जतिन की कंपनी प्रत्येक कार की इंश्योरेंस हिस्ट्री, सर्विस हिस्ट्री, आरटीओ रिकॉर्ड और ग्राहक का प्रोफाइल वेरिफाई करती है। इतनी गंभीरता से इन स्टैंडर्ड चैक्स की वजह से बिग बॉय टॉयज़ ने अपने ग्राहकों को भरोसा दिया है कि उनका इन्वेस्टमेंट सेफ और भरोसेमंद है।
शुरुआती दिनों में जतिन ने जापान, यूके, यूएस और दुबई से कुछ कारों का आयात किया। हालांकि ये पंजीकरण जतिन को काफी महंगे पड़े थे, लेकिन फिर भी जतिन ने उन कारों पर बहुत ज्यादा लाभ नहीं लिया और कस्टमर के कंफर्ट का पूरी तरह खयाल रखा।
जतिन कहते हैं,
"2007 में एक कंपनी (Magus Cars Ltd) भारत में प्रीमियम लक्जरी कारों का आयात कर रही थी, मैंने उसे मंगवाया। एक पॉइंट के बाद मैं महसूस किया कि मैं स्वयं मूल कंपनियों की तुलना में अधिक कारों का आयात कर रहा था। साल-दर-साल बिग बॉय टॉयज़ 30-40 प्रतिशत की दर से बढ़ा है और आज की तरीख में कंपनी का टर्नओवर 300 करोड़ है।"
बिग बॉय टॉयज़ के गुरुग्राम शोरूम में 50 लाख से लेकर 5 करोड़ तक की गाड़ियां मिलेंगी। BBT का एक नियम है, कि वह अपने ग्राहकों को ऐसी कार बेचते हैं जो अच्छी हालत में हो। जिसे देखकर कोई यह कह ही नहीं सकता है कि यह प्री-ओन्ड कार्स हैं और ऐसे में इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि इन गाड़ियों को सचमुच ही 151 बार चैक करके ग्राहक को बेचने के लिए शोरूम में खड़ा किया गया है।
कंपनी यह दावा करती है कि वह भारत में प्री-ओन्ड कारों के सबसे बड़े डीलर हैं और जैसा कि हम देख सकते हैं एशिया के सबसे प्रॉमिसिंग कार डीलर के रूप में बीबीटी को CMO एशिया, सिंगापुर द्वारा रेकगनेशन (मान्यता) भी मिल चुका है।
एक छत के नीचे सभी बड़े ब्रांड्स की 180 से अधिक कारें, और कई हज़ार स्क्वेयर फीट में फैला शोरूम कस्टमर्स के साथ बीबीटी के गहरे रिश्तों की कहानी कहता है और यही वजह है कि जो लोग 15 साल पहले बीबीटी के कस्टमर थे वे आज 15 साल बाद भी बीबीटी से जुड़े हुए हैं और उनकी हर नई कार का सपना बीबीटी के शोरूम पर आकर ही निश्चिंतता की सांस लेता है।
विशिष्ट मॉडलों में मांग की बात करें तो बीएमडब्ल्यू कारें हर समय सबसे ज्यादा बिकती हैं, लेकिन लेम्बोर्गिनी गैलार्डो, एवेंटाडोर, बेंटले जीटी / जीटीसी, रेंज रोवर्स जैसी कारों की मांग भी बड़ी तादात में हैं। जतिन कहते हैं, कि भारत में 2.5 लाख से ज्यादा करोड़पति हैं, ऐसे में प्रीमियम कारें ज़रूरत की चीज़ हैं ना कि लग्जरी या दिखावे की।
लॉकडाउन के दौरान भी 'बिग बॉय टॉयज़' ने जमकर बेचीं लग्जरी कारें
पिछले महीनों लॉकडाउन के दौरान नए वाहनों (खासकर कार) की बिक्री लगभग शून्य पर आ गयी थी। कई कंपनियों ने अपने आंकड़े पेश करते हुए बताया है कि इस दौरान किस तरह नयी कारों की बिक्री में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज़ की गई है, लेकिन इस कठिन समय में भी बीबीटी ने एक दर्जन के करीब लग्जरी कारें बेचीं। बीबीटी ने अप्रैल महीने में करीब 12 ऐसी लग्जरी कारें बेंची हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 12-13 करोड़ रुपये के करीब हैं, इनमें मर्सिडीज़ बेंज़ एस 500 मेबैक, बीएमडब्ल्यू ज़ेड4 और पोर्शे काएने जैसी लग्जरी कारें शामिल हैं।
बीबीटी से ये कारें खरीदने वाले ग्राहक चेन्नई, गुरुग्राम और दिल्ली के रहने वाले हैं। जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं, कि कंपनी इन कारों के साथ-साथ अन्य लग्जरी ब्रांड जैसे रोल्स रॉयस, मैसेराटी, फरारी, एस्टन मार्टिन, लैंबोर्गिनी और बेंटले की प्री-ओन्ड कारें भी बेचती है।
फिलहाल की बात करें, तो बीबीटी के पास यूज्ड-कार्स के अलावा वॉल्वो की ब्रांड न्यू एक्ससी90 एक्सलेन्स लाउंज हाइब्रिड कार भी है, जो कंपनी ने सीधे स्वीडिश कंपनी से इम्पोर्ट की है। इस थ्री सीटर कार की ऑन रोड कीमत करीब एक करोड़ 65 लाख रुपये है।
बीबीटी के क्लाइंट्स में दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं। 2019 में बीबीटी ने ऑनलाइन कार बेंचते हुए अपना टर्नोवर 100 करोड़ रुपये दर्शाया था। गौरतलब है, कि कंपनी गुरुग्राम के साथ ही मुंबई और हैदराबाद से भी अपनी डीलरशिप संचालित कर रही है। गुरुग्राम से उत्तर भारत, मुंबई से पश्चिम भारत और हैदराबाद से दक्षिण भारत को कवर किया जा रहा है, हालांकि जल्द ही यह ब्रांड पूर्वी भारत में भी अपनी डीलरशिप को ले जाने की ओर अग्रसर है।
‘बिग बॉय टॉयज़’ ने लॉकडाउन और पेंडेमिक के दौरान कार बिक्री के मामले में वो कर दिखाया है, जो बड़ी से बड़ी कार कंपनियाँ भी नहीं कर सकीं हैं। आपको बता दें, कि अप्रैल महीने में ऑटो इंडस्ट्री ने अपने इतिहास में पहली बार शून्य बिक्री रिपोर्ट की थी। कोरोना वायरस प्रकोप के बीच लोगों में ऑनलाइन कारें खरीदने का चलन बढ़ा है।
जतिन ने जब कारों के इस बाजार में प्रवेश किया तो यह इंडस्ट्री अनऑर्गनाइज़्ड थी और इसलिए उन्हें अनसर्टेन टैक्सिज़ और रेग्युलेशन्स (नियमों) से आने वाली चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी दूरदर्शिता और कदम-कदम पर मिलने वाले अनुभवों से काफी हद तक समस्याओं को खतम किया और कंपनी को सामान्य स्थिति में ले आये।
जतिन कहते हैं,
"हम मानते हैं कि प्रतिस्पर्धा आपको मजबूत बनाती है और आपके केक साइज़ को बढ़ाती है। यूज़्ड-कार इंडस्ट्री के प्रति लोगों की नकारात्मक धारणा एक बड़ी चुनौती रही, जिसे बीबीटी ने सफलतापूर्वक पार करने में सफलता हासिल की है।"
पिता के साथ है खास रिश्ता
कारों के बारे में बात करते-करते जतिन अक्सर अपने पिता का ज़िक्र कर देते हैं। जिस जतिन को फॉलो करने वाले और रोल मॉडल मानने वाले लाखों लोग हैं, वही जतिन अपने पिता को अपना रोल मॉडल मानते हैं। वह कहते हैं, उनके पिता ने उनके हर सपने को पूरा करने में उनका साथ दिया। उन्होंने कभी हारना नहीं सिखाया। काम चाहे कितना भी मुश्किल रहा, उन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया। उनका कहना है, "हार मिली, तो अनुभव मिलेगा और जीत मिली, तो आगे बढ़ने का दोगुना साहस।"
जतिन कहते हैं, हम जब साथ होते हैं, तो सिर्फ हम होते हैं। मैं अपने अपने पिता के साथ बेहद सहज महसूस करता हूं। उनका साथ मुझे हिम्मत देता है। वो हैं तो मैं हूं। अपने गुरुग्राम शोरूम में जतिन ने अपने केबिन के पास में ही अपने पिता का भी केबिन एक अनोखे इंटीरियर के साथ बनवाया है, जिसकी खूबसूरती देखते बनती है। जिस तरह जतिन अपने पिता को अपनी हिम्मत मानते हैं, उसी तरह उनकी पत्नी और उनके बच्चे भी उनकी ताकत हैं।
जतिन यह बखूबी जानते हैं, कि बिग बॉय टॉयज़ के साथ-साथ उनकी अपने परिवार के प्रति क्या ज़िम्मेदारी है, उसे कैसे निभाना है और कितना टाईम देना है। जब जतिन परिवार के साथ होते हैं, तो सिर्फ परिवार के साथ होते हैं और जब काम पर होते हैं, तो अर्जुन की तरह उनकी निगाह सिर्फ मछली की आंख पर होती है।
अपनी बातचीत को विराम देते हुए अंत में जतिन कहते हैं,
"वे बच्चे जो मुझे फॉलो करते हैं या फिर मुझे अपना रोल मॉडल मानते हैं उनसे मैं सिर्फ इतना ही कहना चहूंगा, कि "हार्ड वर्क नेवर गोस वेस्ट।" इसलिए पूरी लगन और अपने पैशन के साथ आगे बढ़ें, सफलता यकीनन आपके कदम चूमेगी।
(यह पूरा इंटरव्यू बिग बॉय टॉयज़ के फाउंडर और सीईओ जतिन आहूजा के साथ बातचीत पर आधारित है)