सुस्त बाजार में भी AI, बैंकिंग, FMCG, तेल एवं गैस सेक्टर में नौकरियों की मांग में बढ़ोतरी: नौकरी जॉबस्पीक
सूरत (+23% साल-दर-साल) और रायपुर (+22%) जैसे गैर-मेट्रो शहर भर्ती के हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं. जबकि दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों में भर्ती की दर में स्थिर रुझान देखने को मिला है. जबकि पुणे में भर्ती के रुझान में मामूली सुधार हुआ है.
भारत में व्हाइट कॉलर हायरिंग के जाने-माने इंडीकेटर नौकरी जॉबस्पीक इंडेक्स में अप्रैल 2024 की तुलना में मई में 6% की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, इसमें पिछले साल मई की तुलना (सालाना आधार पर) में फ्लैट ग्रोथ देखने को मिली है. मई 2023 की तुलना में 2% की मामूली गिरावट के साथ यह इंडेक्स 2799 पर आ गया है. अधिकांश क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में मिड-सिंगल डिजिट की वृद्धि दर्ज की गई है.
हालांकि, आइटी (0% YoY), बीपीओ (-3%) और शिक्षा (-5%) ने इस इंडेक्स पर दबाव बनाया है. तेल व गैस (14%), बैंकिंग (12%) और एफएमसीजी (17%) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मध्यम स्तर की ग्रोथ देखने को मिली है जबकि हेल्थ केयर और ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में नौकरियों की संख्या में 8% तक की मजबूत ग्रोथ देखने को मिली है. छोटे शहरों ने बड़े महानगरों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करना जारी रखा है. इसके अलावा सीनियर प्रोफेशनल्स की मांग में मजबूती देखने को मिली है जिसके चलते अनुभवी उम्मीदवारों के लिए नौकरियों की संख्या में सालाना आधार पर अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है.
हेल्थकेयर सेक्टर में रोजगार दर में सालाना आधार पर 8% की बढ़त देखने को मिली है. इस सेक्टर की नौकरियों में बढ़ेतरी का सबसे ज्यादा श्रेय बैंगलोर और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों को जाता है. फ्रंटलाइन हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से लेकर शोधकर्ताओं, प्रशासकों और टेक्नोलॉजी के जानकारों तक, हेल्थकेयर इकोसिस्टम के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिभा की मांग में बढ़त हुई है.
ग्लोबल एनर्जी मार्केट में उतार-चढ़ाव और रेग्युलेटरी स्थितियों में कड़ाई के बावजूद, तेल-गैस तथा बिजली सेक्टर में नौकरियों की संख्या में सालाना आधार पर 14% की बढ़ोतरी हुई है. इस सेक्टर में 13 से 16 वर्ष के अनुभव वाले प्रोफशनलों की मांग में सबसे ज्यादा बढ़त हुई है. हालांकि सभी अनुभव स्तरों की मांग में उछाल आया है. यह ग्रोथ बुनियादी ढांचे के विकास, रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स और एक्स्प्लोरेशन गतिविधियों में चल रहे निवेश से प्रेरित है.
एफएमसीजी सेक्टर में रोजगार दर में सालाना आधार पर 17% की ग्रोथ देखने को मिली है. उपभोक्ताओं की वरीयताओं में बदलाव, शहरीकरण और ई-कॉमर्स विस्तार जैसे कारकों के चलते मजबूती और ग्रोथ जारी है. इस सेक्टर में रोजगार दर में मुंबई और कोलकाता में क्रमशः 38% और 25% की बढ़त हुई है. इनोवेशन, वितरण दक्षता और बाजार में पहुंच पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एफएमसीजी कंपनियां बिक्री, मार्केटिंग, आपूर्ति श्रृंखला और उत्पाद विकास जैसे कार्यों में सक्रिय रूप से प्रतिभाओं को नियुक्त कर रही हैं.
एआइ-एमएल (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग) टैलेंट की मांग में निरंतर ग्रोथ देखने को मिल रही है. एआइ-एमएल में नौकरियों की दर में साल-दर-साल 37 फीसदी की मजबूत बढ़त हुई है. ये परिचालन दक्षता, इनोवेशन डिलिवरी और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए एआइ तकनीक में विशेषज्ञता और प्रतिभा के विकास की ओर इंडस्ट्री के फोकस के मुताबिक है.
मिनी-मेट्रो में भर्ती की दर बड़े महानगरीय क्षेत्रों की तुलना में लगातार बढ़ रही है. यह ट्रे़ंड छोटे शहरी केंद्रों में बढ़ती आर्थिक समृद्धि और रोजगार के अवसरों में बढ़त की और संकेत करता है जो शहरीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास और आर्थिक गतिविधियों के विकेंद्रीकरण जैसे कारकों की वजह से हुआ है. सूरत (+23% साल-दर-साल) और रायपुर (+22%) जैसे गैर-मेट्रो शहर भर्ती के हॉटस्पॉट के रूप में उभरे हैं. जबकि दिल्ली-एनसीआर, चेन्नई और हैदराबाद जैसे मेट्रो शहरों में भर्ती की दर में स्थिर रुझान देखने को मिला है. जबकि पुणे में भर्ती के रुझान में मामूली सुधार हुआ है.
अनुभवी पेशेवरों की मांग लगातार बनी हुई है, 16 साल से ज़्यादा अनुभव वाले उम्मीदवारों के लिए भर्ती गतिविधि में 23% की मजबूत ग्रोथ दर्ज की गई है. इसके विपरीत, फ्रेशर्स के लिए जॉब मार्केट अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है, जो कड़ी प्रतिस्पर्धा और बदलती कौशल आवश्यकताओं के बीच शुरुआती करियर के पेशेवरों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करता है.
Naukri.com के चीफ बिजनेस ऑफीसर डॉ. पवन गोयल ने कहा, "एआइ-एमएल डोमेन में लगातार नौकरियों में हो रही वृद्धि एक अहम सकारात्मक बात है. इससे संकेत मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और इसका टैलेंट पूल एआई पर वैश्विक स्थिति के साथ अच्छी तरह से तालमेल मिला कर चल रहा है. इसके अलावा मई महीने के इंडेक्स के 2023 बेस के 2% के भीतर रहने के बावजूद, हमने अधिकांश गैर-आईटी क्षेत्रों में अच्छी ग्रोथ देखी है जिसने हमारे जॉब मार्केट के विविध सेक्टर्स को और मजबूत किया है."