JSW Infra लेकर आ रहा 2,800 करोड़ रुपये का IPO; जानिए खास बातें...
आईपीओ के बाद कंपनी का लक्ष्य शुद्ध-ऋण-शून्य कंपनी बनना है. IPO के लिए बोली 25-27 सितंबर 2023 तक खुली रहेगी.
पोर्ट ऑपरेटर JSW Infrastructure Ltd ने सोमवार को ₹2,800 करोड़ के IPO की योजना की घोषणा की. यह 13 वर्षों में JSW ग्रुप का पहला IPO है. आईपीओ 25 सितंबर को ₹113-119 प्रति शेयर के प्राइस बैंड पर खुलेगा और पूरी तरह से नए शेयरों का होगा.
Mint की एक रिपोर्ट के अनुसार, JSW Infrastructure Ltd के जॉइंट एमडी और सीईओ अरुण माहेश्वरी ने कहा, "यह ग्रुप के लिए बहुत बड़ा इवेंट है. आप जानते हैं, जब तक आप एक निश्चित स्तर का बिजनेस नहीं बनाते हैं और जब आप क्षेत्र में विकास देखते हैं तो बढ़ने की भूख रखते हैं, तब हम सार्वजनिक धन लेते हैं, और मांग अपने आप में बहुत अच्छी रही है.
उन्होंने आगे कहा, "कंपनी 13 साल बाद आईपीओ बाजार में आ रही है. बहुत मजबूत वित्तीय स्थिति है. अच्छी प्रशासन संरचनाएं हैं."
माहेश्वरी ने कहा, "QIB (Qualified Institutional Buyers) का हिस्सा 75% होगा. ऑफर का आकार ₹2,100 करोड़ है और जिसमें से 60% एंकर निवेशकों के लिए होगा. HNI (High Net-worth Individuals) का हिस्सा 15% यानी ₹420 करोड़ होगा. जबकि, रिटेल हिस्सा 10% यानी ₹280 करोड़ होगा."
लिस्टिंग के बाद, कंपनी को प्राइस बैंड के शीर्ष स्तर पर ₹25,000 करोड़ का बाजार पूंजीकरण होने की उम्मीद है.
पोर्ट ऑपरेटर इन फंडों को पूंजीगत व्यय (कैपेक्स), ऋण आदि के लिए उपयोग करेगा. अरुण माहेश्वरी ने कहा, “₹2,800 करोड़ में से, लगभग ₹1,200 करोड़ कैपेक्स के लिए जाएंगे. लगभग ₹900 करोड़ कर्ज चुकाने में जाएंगे और शेष ₹700 करोड़ सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्य के लिए होंगे."
आईपीओ के बाद कंपनी का लक्ष्य शुद्ध-ऋण-शून्य कंपनी बनना है. IPO के लिए बोली 25-27 सितंबर 2023 तक खुली रहेगी. माहेश्वरी ने कहा, “31 मार्च 2023 तक सकल ऋण ₹4,200 करोड़ था. शुद्ध ऋण ₹2,200 करोड़ था क्योंकि हमारे पास ₹2,000 करोड़ का नकद शेष है. और हम पुनर्भुगतान के लिए ₹900 करोड़ (आईपीओ से) का उपयोग करेंगे. इसलिए, शेष राशि, सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्य और यह सब मिलाकर आईपीओ के बाद शुद्ध ऋण मुक्त हो जाएगा."
बता दें कि सज्जन जिंदल और परिवार ट्रस्ट के पास कंपनी में 96.5% की बहुमत हिस्सेदारी है और वे प्रमोटर शेयर बेचने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. पूरा आईपीओ एक नया इश्यू होगा. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के अनुसार, नई सूचीबद्ध कंपनियों को 25% सार्वजनिक फ्लोट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीन साल का समय दिया जाता है.