Eat Raja: बेंगलुरु का पहला ज़ीरो वेस्ट जूस कॉर्नर, जहां दिया जाता है स्टील का स्ट्रॉ
वर्तमान समय में पूरी दुनिया के अंदर शहरी इलाकों में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की चुनौती मुंह फैलाए खड़ी है। अकेले बेंगलुरु शहर ही रोज़ाना लगभग 3 से 5 हज़ार टन तक सॉलिड वेस्ट पैदा करता है। इसमें से अधिकतर वेस्ट घरों, होटलों और छोटे फ़ूड स्टॉल्स से निकलता है।
सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करना बेहद ज़रूरी होता है, लेकिन बहुत ही कम लोग ऐसे होते हैं, जो इस बात को व्यवहार में लाते हैं। ऐसी स्थिति में मल्लेश्वरम, बेंगलुरु के आनंद राज एक मिसाल पेश करते हैं। आनंद पहले रेडियो जॉकी थे और अब वह बिज़नेसमैन हैं।
45 वर्षीय आनंद एक जूस की दुकान चलाते हैं, जो उनका फ़ैमिली बिज़नेस है। लेकिन ख़ास बात यह है कि उनकी कोशिश रहती है रोज़ाना दुकान से निकलने वाला वेस्ट कम से कम हो और एक दिन वह ज़ीरो वेस्ट का लक्ष्य प्राप्त कर सकें।
एनडीटीवी के साथ बातचीत में आनंद ने कहा,
"मैं अपनी दुकान में मौजूद प्लास्टिक के सामान को कचरे में तो फेंक नहीं सकता था और इसलिए ही मैंने शुरुआती तौर पर तय किया कि मैं अपनी दुकान का सारा प्लास्टिक वेस्ट बेंगलुरु के ड्राई वेस्ट सेंटर में दूंगा, जहां प्रभावी ढंग से उनकी रीसाइकलिंग हो जाएगी।"
आनंद बताते हैं कि उन्होंने अपनी दुकान से पैकेज़्ड पीने का पानी भी बंद कर दिया, जो उनके रेवेन्यू का एक मुख्य स्रोत भी था। इसकी जगह पर आनंद ने तय किया कि वह कार्बोनेटेड ड्रिंक्स की जगह पर फ़्रेश जूस बेचेंगे और उसके लिए स्टील और कांच के बर्तनों का इस्तेमाल करेंगे। आनंद बताते हैं कि अगर कोई ग्राहक स्ट्रॉ की मांग करता है तो उसे स्टील का स्ट्रॉ दिया जाता है।
आनंद की जूस की दुकान का नाम है ईट राजा, जहां पर जूस के साथ-साथ घर के बने व्यंजन भी परोसे जाते हैं और इसका श्रेय जाता है उनकी मां को, जिन्होंने बिज़नेस में उनका सहयोग करने का फ़ैसला लिया।
एनडीटीवी से हुई बातचीत में आनंद ने कहा,
"मैंने दुकान का नाम ईट राजा इसलिए रखा ताकि ग्राहकों को यहां आकर इस बात का एहसास हो कि उन्हें जो भी परोसा जाएगा, वह होममेड होगा। मैं देखता था कि कप, स्ट्रॉ, पीईटी बोतलों और कैरी बैग के रूप में दुकान से कितना वेस्ट निकलता था और इसलिए मैंने फ़ैसला लिया कि वेस्ट को कम से कम करने की कोशिश की जाएगी और यहीं से हमारा बेंगलुरु का पहला ज़ीरो-वेस्ट जूस कॉर्नर बनने का सफ़र शुरू हुआ था।"
यह दुकान सिर्फ़ एक ज़ीरो-वेस्ट शॉप नहीं है, बल्कि इसकी ईको-फ़्रेडली पैकेजिंग स्टाइल भी इसे ख़ास बनाती है। न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आनंद ने कहा,
"पहले हम बियर और ब्रीज़र की बोतलें इकट्ठा करते थे और केले के पेड़ के तने से बोतलों को ढांकते थे ताकि ड्रिंक न फैले। हम तरबूज़ के खोल के अंदर भी जूस परोसते हैं और उसके साथ स्ट्रॉ नहीं होता।"
आनंद ने जानकारी दी,
"हम अपनी दुकान पर साइट्रस वेस्ट को अलग और फलों के वेस्ट को अलग रखते हैं। हम साइट्रस वेस्ट से बायो-एनज़ाइम्स बनाते हैं, जो न सिर्फ़ स्टील के स्ट्रॉ को धोने में काम आते हैं बल्कि उनकी मदद से फ़्लोर क्लीनर, पीईटी वॉश और डिटरजेंट्स भी बन जाते हैं।"
अब, आनंद बायो-एनज़ाइम्स बनाते हैं और उन्हें 100 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेचते हैं।
आनंद इसका श्रेय वाणी मूर्ति और मीनाक्षी भारत को देते हैं, जो पर्यावरणविद हैं और वेस्ट मैनेजमेंट के लिए काम करते हैं। आनंद ने इनसे ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सीखा और बायो-एनज़ाइम्स बनाना शुरू किया। आनंद की दुकान से सामान घर ले जाने के लिए ग्राहकों को अपने साथ ही अपना बैग या बर्तन लाने होते हैं। दुकान से प्लास्टिक के कैरी बैग नहीं दिए जाते।