बिहार में तमंचे के जोर पर हजारों युवकों का अपहरण कर जबरन 'पकड़ौवा' विवाह

बिहार में तमंचे के जोर पर हजारों युवकों का अपहरण कर जबरन 'पकड़ौवा' विवाह

Tuesday July 30, 2019,

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बिहार में पकड़ुआ (पकड़ौआ) विवाह यानी 'फोर्स्ड मैरिज' कोई नई बात नहीं है। रोज़ाना औसतन नौ युवकों की तमंचे के जोर पर जबरन शादी रचा दी जाती है लेकिन बोकारो स्टील प्लांट के जूनियर मैनेजर विनोद कुमार की 'फोर्स्ड मैरिज' ने अब पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, जिन्हे अदालत से इंसाफ़ मिला है।



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सांकेतिक फोटो


बिहार में पकड़ुआ (पकड़ौआ) विवाह यानी 'फोर्स्ड मैरिज' कोई नई बात नहीं है। उन्नीस सौ अस्सी के दशक में उत्तरी बिहार में विशेष तौर पर बेगूसराय ज़िले में इसका बहुत प्रचलन था। बेगूसराय में बाकायदा कई गिरोह ऐसी शादियां करवाने के लिए बने थे। इस तरह की शादी में इंटरमीडिएट और मैट्रिक की परीक्षा देने वाले नाबालिग लड़कों से लेकर नौकरी करने वाले नौजवानों तक का अपहरण कर लिया जाता था। बाद में मारपीट कर उनकी शादी करा दी जाती थी। इन शादियों को कुछ साल के इंतज़ार के बाद मान्यता मिल जाती रही है। ऐसी शादियां प्रदेश के कुछ इलाकों की एक पुरानी कुरीति रही हैं। 


बिहार में मुद्दत बाद पहली बार पटना की एक पारिवारिक अदालत ने बोकारो स्टील प्लांट के जूनियर मैनेजर विनोद कुमार की दिसंबर 2017 में हुई 'पकड़ौवा' शादी को रद्द करने का फैसला सुनाया है। विनोद कुमार कहते हैं- 'ये तो कोर्ट का शुक्र मनाइए, जिससे कुछ राहत मिली, नहीं तो मेरा जीना मुश्किल हो गया था। पुलिस भी इस मामले में मिली हुई थी। स्थानीय थाने ने वीडियो वायरल होने के बाद उन्हे बचाया लेकिन 16 घंटे तक थाने में बैठाकर रखा। एफ़आईआर तक नहीं लिखी। उलटे दबाव डालती रही कि वह ये शादी मंजूर कर लें। क्या पुलिस का यही काम है? अंदाज़ा लगाना आसान नहीं कि उनके और परिवार के लिए बीते दो साल कितने भारी पड़े हैं। लड़की वाले लगातार धमकी देते रहे कि लड़की को रखों नहीं तो नतीजा भुगतोगे। इस पर उनकी तरफ से लड़की के भाई, जीजा समेत परिवार के आठ लोगों और दो पुलिसवालों को भी आरोपी बनाया गया था।'


दरअसल, पकड़ौवा विवाह, दहेज का दंश झेल रहे भारतीय समाज में, खासकर बिहार में लड़की वालों का एक लाइलाज मर्ज बन चुका है। अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में पिछले साल 2018 में ऐसी शादियों के 4301 मामले दर्ज़ हुए थे, जबकि तीन माह पहले मई, 2019 तक 2005 मामले दर्ज़ हो चुके हैं। वर्ष 2017 में पकड़ौवा विवाह के लिए लगभग साढ़े तीन हजार युवकों को अपहृत कर लिया गया था। उससे पहले 2016 में 3070, 2015 में 3000 और 2014 में 2526 युवाओं की बंदूक के जोर पर शादियां रचा दी गईं।




पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, इस प्रदेश में प्रति दिन औसतन नौ युवकों की पकड़ौवा शादी रचा दी जाती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक, 18 साल से ज्यादा उम्र के युवाओं को किडनैप कर शादी कराने के मामले में बिहार टॉप पर है। इनमें वो आंकड़े शामिल नहीं हैं, जो प्रेमालाप में घर से भागते हैं। 

वर्ष 2013 में शेखपुरा के रवीन्द्र कुमार झा के पंद्रह साल के बेटे को पकड़ कर उसकी जबरन 11 साल की बच्ची से शादी करा दी गई थी। रवीन्द्र ने इस शादी मना किया तो नवादा ज़िले के लड़की वालों ने उनके परिवार पर दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करा दिया। वकील सुधा अम्बष्ठ ने एंटीसिपेटरी जमानत दिलवाई। मामला शेखपुरा फैमिला कोर्ट गया, जहां पांच साल बाद वर्ष 2018 में इस मामले को जज ने ख़ारिज कर दिया। इसी साल 10 मार्च 2019 को महुआ बाजार (वैशाली) में सैलून चलाने वाले गांव फुलवरिया भदवास के क्रान्त कुमार को दो लड़के दिन में अगवा कर ले गए। पुलिस के सामने उसका पकड़ौवा विवाह कर दिया गया।


इतना ही नहीं, खुद पुलिस वालों ने क्रांत कुमार के घर का ताला तोड़कर लड़की को अंदर पहुंचाया। इसी तरह पिछले साल सितंबर, 2018 में नरपतगंज (अररिया) के गांव पोसदहा में सदानंद मेहता के पुत्र अमित कुमार की लड़की वाले जबरन शादी कराने के बाद दर्जनों दबंगों के साथ जोड़े को लेकर सदानंद के घर जा धमके। लड़के ने जबरन थोपी गई दुल्हन को रखने से इनकार कर दिया। पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया। पुलिस की मौजूदगी में दोनो पक्षों में सुलह के लिए पंचायत बैठी। पंचनामा बना मगर लंबे समय तक तनाव बना रहा।


ऐसी शादियों वाली आखिर किस-किस की दास्तान सुनाई जाए, जहां हर दिन युवक अगवा हो रहे हैं। बोकारो स्टील प्लांट के जूनियर मैनेजर विनोद कुमार को 02 दिसंबर, 2017 को लड़की वालों ने तमंचे के जोर पर रोने-बिलखने के बावजूद, ये कहकर कि 'हम केवल तुम्हारी शादी करवा रहे हैं, फांसी पर नहीं चढ़ा रहे हैं,' उनकी जबरन शादी रचा दी थी। लड़की वालों ने जिस समय विनोद कुमार को दबोचा, वह अपने दोस्त के विवाह समारोह में भाग लेने पटना पहुंचे थे। उनके ही एक परिचित सुरेंद्र यादव ने धोखे से, उन्हें मोकामा में किसी से मिलाने के बहाने घर पर बुलाया। वहां से हथियारबंद आरोपी जबरन स्कॉर्पियो में बैठा कर उनको पटना जिले में ही पंडारक ले गए और बंदूकों से धमकाते हुए सुरेंद्र की बहन से उनकी शादी रचा दी। इससे पहले, जान की धमकी देते हुए उनको मारापीटा गया। 


शादी के बाद विनोद कुमार को पूरी रात एक कमरे में बंद रखा गया। अगले दिन उन्होंने अपने भाई से संपर्क कर शादी को मानने से इनकार कर दिया। पंडारक पुलिस स्टेशन में उनकी फरियाद अनसुनी कर दी गई तो उन्होंने विभोर की पारिवारिक अदालत में अपनी रिपोर्ट लिखाकर शादी की वैधता को चुनौती दे दी। लंबे संघर्ष के बाद न्यायाधीश कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने आखिरकार अपने फ़ैसले में विनोद कुमार की शादी को अमान्य क़रार दिया। विनोद का पूरा परिवार पटना में रहता है। चार भाई-बहनों में विनोद और उनकी छोटी बहन की अभी शादी होनी है। उनके पकड़ौवा विवाह के कारण ही आज तक उनकी छोटी बहन की शादी रुकी पड़ी है।