अपनी आखिरी उड़ान के साथ वायुसेना को अलविदा कह गया कारगिल युद्ध का यह 'हीरो'
कारगिल लड़ाई में दुश्मनों की नाक में दम करने वाले लड़ाकू विमान मिग-27 ने जोधपुर एयरबेस पर अपनी आखिरी उड़ान भरी। यह विमान अब किसी भी देश की वायु सेना का हिस्सा नहीं है, ऐसे में आकाश में इस विमान की यह आखिरी उड़ान रही।
कारगिल में जब दुश्मनों ने घुसपैठ की तब उस समय दुश्मनों के ठिकानों और सप्लाई पर कहर बनकर टूटने वाले ‘हीरो’ लड़ाकू विमान मिग-27 ने देश को अलविदा कह दिया है।
आज सात मिग-27 ने राजस्थान के जोधपुर एयरबेस पर अपनी आखिरी उड़ान भरी है। ये सभी विमान एक ही स्क्वाड्रन का हिस्सा थे। मिग-27 को उसकी काबिलियत के चलते ‘बहादुर’ की संज्ञा भी दी गई थी।
दी गई आखिरी सलामी
मिग-27 विमान के इस आखिरी बेड़े को जोधपुर स्थित वायु सेना स्टेशन पर अंतिम सलामी दी गई। डीकमीशन होने से पहले बेस पर सभी सातों मिग-27 विमानों ने अपनी आखिरी उड़ान भरी।
इस भव्य समारोह की अध्यक्षता दक्षिण पश्चिमी एयर कमांड के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल एस के घोटिया ने की। इस मौके पर वायु सेना के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे।
कब जुड़ा मिग-27?
साल 1981 में भारत ने रूस से मिग-27 लड़ाकू विमानों की खरीद की थी, तब भारत ने रूस से 165 मिग-27 लड़ाकू विमान खरीदे थे। मिग-27 अपने दौर का सबसे बेहतरीन फाइटर जेट था। तब रूस से लाइसेन्स मिलने के बाद एचएएल ने इन विमानों के निर्माण के साथ ही 86 विमानों को अपग्रेड करने का भी काम किया था।
पूरी दुनिया में है ये आखिरी उड़ान
गौरतलब है कि कभी अपनी काबिलियत के लिए जाना जाने वाला यह बेहतरीन फाइटर जेट आज दुनिया में किसी भी देश के वायु सेना बेड़े का हिस्सा नहीं है, ऐसे में जोधपुर एयरबेस से भरी हुई यह उड़ान मिग-27 की आखिरी उड़ान थी। अब दुनिया के आकाश में कभी मिग-27 उड़ता हुआ नज़र नहीं आयेगा।
इंजन को लेकर हमेशा बनी रही परेशानी
मिग-27 लड़ाकू विमान में लंबे समय से इंजन को लेकर परेशानी सामने आती रही। बीते कुछ सालों में तो आलम ये रहा कि हर साल करीब दो मिग-27 हादसे का शिकार होते हैं। इस विमान में आर-29 इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसकि तकनीकी खामियों से कभी पूरी तरह पार नहीं जाया जा सका।
इस विमान में क्या था खास?
अपने समय में यह विमान काफी खास था। 17 सौ किलोमीटर प्रति घंटे कि तेज़ रफ्तार के साथ उड़ सकने वाला यह विमान अपने साथ 4 हज़ार किलो तक के हथियार जाने में सक्षम था। विमान की मारक क्षमता इसे खास बनाती थी, यह विमान 780 किलोमीटर तक लक्ष्य भेदने में सक्षम था। हवा से जमीन पर मार करने में इस विमान का कोई सानी नहीं था। कारगिल लड़ाई के दौरान इस विमान ने ही पाक सैनिकों की नाक में दम कर दिया था।
इसकी स्क्वाड्रन का क्या होगा?
फिलहाल भारतीय वायु सेना की स्क्वाड्रन 29 ही मिग-27 के अपग्रेड वैरिएंट्स का इस्तेमाल कर रही थी, अब इस स्क्वाड्रन को नंबर प्लेट्स कर दिया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि बिना विमान वाले स्क्वाड्रन का रिकॉर्ड सील कर दिया जाएगा, हालांकि बेड़े में नए विमानों के जुडने के साथ ही स्क्वाड्रन फिर से ऑपरेशनल हो जाएगा।
इन विमानों का क्या होगा?
अभी तक वायु सेना की ओर से यह तय नहीं किया गया है कि आगे इन विमानों का क्या होगा, लेकिन संभवत: इन विमानों को गर्व के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाएगा।