कश्मीर: शहीद DSP अमन ठाकुर ने वर्दी के लिए ठुकराई थीं दो सरकारी नौकरियां
देश की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीद हमेशा हमारी यादों में प्रेरणा बनकर जीवित रहते हैं। हाल ही में कश्मीर के कुलगाम में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए शहीद हुए डेप्युटी सुपरिटेंडेंट अमन ठाकुर की कहानी आपको भीतर से झकझोर कर रख देगी। डीएसपी अमन ठाकुर ने वर्दी पहनकर देश की सेवा करने के लिए दो नौकरियों को ठोकर मारी थी। दक्षिणी कश्मीर के गुलगाम जिले में तुरिगम इलाके में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में डीएसपी अमन घायल हो गए थे, उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
मुठभेड़ के दौरान अमन के सिर में गोली लग गई थी जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अमन उम्र के 40वें पड़ाव पर पहुंचने वाले थे। उनका देश प्रेम कुछ इस कदर था कि उन्होंने इसके लिए दो सरकारी नौकरियों को ठुकरा दिया था। इसके पहले उन्हें समाज कल्याण विभाग में नौकरी मिली थी, उसके बाद सरकारी कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी भी मिली लेकिन उनके दिल में हमेशा से वर्दी पहनकर देश की सेवा करने का जज्बा था।
अमन ने जूलोजी में मास्टर्स किया था। जम्मू-कश्मीर के डोडा क्षेत्र से संबंध रखने वाले अमन ठाकुर 2011 बैच के जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा के अधिकारी थे। देश सेवा में अपनी जान कुर्बान कर देने वाले अमन ठाकुर के बलिदान पर जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजी दिलबाग सिंह ने कहा, 'वे हमेशा जोश से लबरेज रहते थे और सामने से अपनी टीम का नेतृत्व करते थे।' दक्षिण कश्मीर के कई जिले आतंकवाद से प्रभावित हैं। इस इलाके में ड्यूटी करना काफी चुनौतीपूर्ण माना जाता है, लेकिन ठाकुर पूरी बहादुरी से इस क्षेत्र में अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे।
ठाकुर को उनकी वीरता के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें शेर-ए-कश्मीर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था। अमन ठाकुर के सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सिंह ने कहा, 'दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदनाएं अमन ठाकुर के परिवार के साथ हैं।' अमन अपने परिवार में बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी सरलादेवी के साथ 6 वर्षीय बेटे आर्य को छोड़ गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक इस कार्रवाई में तीन आतंकवादियों को मार गिराया गया वहीं अमन ठाकुर को गंभीर चोटें आई थीं।
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