मशरूम की खेती कर मां-बेटे की जोड़ी प्रतिदिन कमाती है 40 हजार रुपये, आप भी जानें कैसे?
मां-बेटे की इस जोड़ी को यह काम करते हुए करीब चार वर्ष हो रहे हैं। इन चार सालों में उन्हें अपने काम में दिन-प्रतिदिन सफलता हासिल हुई है।
केरल के रहने वाले जिथू थॉमस और उनकी मां इन दिनों मशरूम की खेती कर रहे हैं। उनके इस काम से न केवल उन्हें ही लाभ हो रहा है। बल्कि, अन्य कामगारों को रोजगार भी दे रहे हैं। मां-बेटे की इस जोड़ी को यह काम करते हुए करीब चार वर्ष हो रहे हैं। इन चार सालों में उन्हें अपने काम में दिन-प्रतिदिन सफलता हासिल हुई है।
कम उम्र में ही शुरू कर दिए थे प्रयोग
मूलरूप से केरल राज्य के एर्नाकुलम शहर के रहने वाले जीतू थॉमस बचपन से नए-नए प्रयोग करने के शौकीन थे। जब उन्होंने पहली बार पैकेट में मशरूम के बीज बोए थे उस वक्त उनकी उम्र महज 19 वर्ष की थी। हालांकि, तब जिथू थॉमस को यह लगा की वह ऐसा केवल समय बिताने के लिए कर रहा है। लेकिन, धीरे-धीरे उनकी इस काम में रुचि बढ़ती गई।
आज जीतू थॉमस इस काम को बड़ी सक्रियता के साथ कर रहे हैं और बड़ा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि, “जब भी समय मिलता था मैं मशरूम की खेती के बारे में कुछ न कुछ पढ़ता रहता था। कभी ऑनलाइन तो कभी किताबों में और मैग्जीन में अपने काम की चीजों की तलाश करता रहता था। मेरी इस उत्सुकता ने ही मेरा लगाव इस ओर बढ़ा दिया।”
जानिए कितने उत्पादन से होती है कितनी कमाई
वैसे तो मशरूम की खेती करने के लिए बहुत अधिक जगह की आवश्यकता नहीं होती है। जीतू और उनके बेटे ने भी इस काम की शुरुआत छोटी सी जगह के साथ ही की थी जो धीरे-धीरे समय और जरूरत के हिसाब से बढ़ता गया।
मीडिया चैनल से बात करते हुए लीना थॉमस बताती हैं, “मैं और बेटा जीथू थॉमस आज करीब 5,000 वर्ग फुट में मशरूम की खेती कर रहे हैं। इस काम को और बेहतर बनाने के लिए हमने एक प्रयोगशाला भी बना रखी है। वर्तमान समय में हर दिन लगभग 80 से 100 किलोग्राम यानी 1 क्विंटल मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। जिससे रोजाना तकरीबन 35 से 40 हजार रुपए की कमाई हो जाती है।”
उत्पादन बढ़ाने के लिए लिया प्रशिक्षण
55 साल की लीना थॉमस काफी लंबे समय से इस काम को कर रही थी। लेकिन, तब उत्पादन की मात्रा इतनी अधिक नहीं हुआ करती थी। लीना ने जब जीथू की रुचि को समझा तो उन्होंने भी बेटे को पूरा सपोर्ट किया।
जीथू बताते हैं कि, “मुझे हमेशा से मशरूम की खेती में रुचि थी। इन दिनों मैं खेती के उत्पादन के साथ-साथ नई तकनीकों और कर्मचारियों के साथ तालमेल बनाए रखने की भूमिका भी अदा कर रहा हूँ। हालांकि, काफी लंबे समय तक मुझे खेती में किसी भी तरह की औपचारिक रूप से कोई भी जानकारी नहीं थी। इसलिए मैंने कृषि विज्ञान केंद्र कुमारकोम में कई कार्यशालाएं भी ज्वॉइन कीं, जिसका मुझे काफी फायदा हुआ।”
Edited by Ranjana Tripathi