मध्य प्रदेश के इस किसान ने टमाटर, मिर्च और अदरक की खेती से कमाए करोड़ों रुपये
मूलरूप से मध्य प्रदेश के हरदा जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले मधुसूदन धाकड़ के पिता भी खेतीबाड़ी का काम करते थे। बचपन से ही खेती-किसानी से जुड़े रहने के कारण उन्हें इसकी बारीकियों के बारे में बखूबी से जानकारी थी।
कहते हैं, “बेहतर से बेहतरीन की तलाश करो, मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो, टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से, टूट जाए पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो।”
ऐसे ही नए विचारों और बदलती तकनीक के साथ चलने वाले हैं मधुसूदन धाकड़, जिन्होंने परिवर्तन को प्रगति का साधन मानते हुए कृषि के उन्नत तरीके को अपनाते हुए करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाकर लोगों को आश्चर्य में डाल दिया।
क्यों हुआ किसानी से लगाव
मूलरूप से मध्य प्रदेश के हरदा जिले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले मधुसूदन धाकड़ के पिता भी खेतीबाड़ी का काम करते थे। बचपन से ही खेती-किसानी से जुड़े रहने के कारण उन्हें इसकी बारीकियों के बारे में बखूबी से जानकारी थी। लेकिन, उन्हें नई तकनीक के साथ काम करने और उसका प्रयोग करने में हमेशा से रुचि रहती थी। धीरे-धीरे समय गुजरा, मधुसूदन भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चल पड़े और खेती करने लगे।
कम पढ़े-लिखे लेकिन निर्णय लेने की क्षमता बेहतरीन
आपने देखा होगा कि अक्सर यह माना जाता है कि कम पढ़े-लिखे लोगों में निर्णय लेने की क्षमता कम होती है। क्योंकि किसी भी नए काम के लिए सही समय पर सही निर्णय लेना एक साहस और जोखिम भरा काम होता है। लेकिन, मधुसूदन कम पढ़े -लिखे होने के बावजूद इस काम में पारंगत हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती करने की छोड़ बागवानी फसलों की ओर अपना रुख अपनाया, जिसका नतीजा यह हुआ कि उन्होंने देखते ही देखते खेती से करोड़ों रुपये कमा लिए।
किन-किन फसलों की करते हैं खेती
हरदा जिले के सिरकंबा गाँव का रहने वाला यह किसान परिवार अब पारंपरिक फसलों की खेती को छोड़कर छोटी-छोटी फसलों को उगाने का काम करता है। इन फसलों के अंतगर्त टमाटर, मिर्च, शिमला मिर्च, अदरक, जैसी कई अन्य फासले उगाई जाती हैं। जिससे उन्हें बुरी से बुरी स्थिति में कम से कम सवा दो लाख रुपये प्रति एकड़ का फायदा हो जाता है।
किसान की कामयाबी देख कृषि मंत्री मिलने पहुंचे
मध्य प्रदेश के इस किसान की कामयाबी को देखकर राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। इस मुलाकात में उन्होंने धाकड़ के घंटों बातचीत भी की और अन्य किसानों को भी इसके किए प्रशिक्षित करने को कहा।
एक रिपोर्ट के अनुसार जब मंत्री जी ने मधुसूदन से उनकी सफलता की कहानी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि, “मैंने शुरुआती दौर में 60 एकड़ में मिर्च, 70 एकड़ में टमाटर और 30 एकड़ में अदरक की खेती से इस काम की शुरुआत की थी। इसमें मुझे औसतन प्रति एकड़ आठ से दस लाख रुपये का मुनाफा हुआ। उन्होंने आगे कहा कि इस वर्ष उन्होंने केवल आठ करोड़ रुपये का टमाटर बेचा है। जबकि गेहूं और सोयाबीन जैसी पारंपरिक खेती करने में इतना लाभ कभी नहीं होता था।”
कई लोगों को मिल रहा है रोजगार
मधुसूदन धाकड़ के इस नए प्रयास के कारण न केवल बड़ा मुनाफा हो रहा है बल्कि खेतिहर मजदूरों को घर के पास में ही 30 दिन काम मिल रहा है। उनके इस कदम से अन्य किसानों को भी प्रेरणा मिल रही है और दूसरे किसान भी पुराने ढर्रे में काम करने के तरीके को बदलकर नई तकनीक और खेती के नए तरीकों की ओर बढ़ रहे हैं। मधुसूदन के इस काम की सराहना प्रधानमंत्री मोदी से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी की है।
Edited by Ranjana Tripathi