क्या है मिलेट चैलेंज, जिसे जीतने वाले स्टार्टअप को मिलेगा 1 करोड़ रुपये का ग्रांट
मिलेट चैलेंज देश में मोटे अनाज के वैल्यू चेन से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के मकसद से शुरू किया गया है. नीति आयोग जल्द ही इस चैलेंज से जुड़ी सभी जानकारियां जारी कर देगा. चैलेंज जीतने वाले तीन विजेताओं को 1-1 करोड़ रुपये का ग्रांट दिया जाएगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोटे अनाज से जुड़े स्टार्टअप के लिए 'मिलेट चैलेंज' की घोषणा की है. स्टार्टअप्स को मोटा अनाज वैल्यू चेन में इनोवेटिव सलूशन बनाने और विकसित करने होंगे. इसके अलावा रायचूर के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय को 25 करोड़ रुपये की फंडिंग देने का भी ऐलान किया गया है. आइए जानते हैं आखिर क्या है मिलेट चैलेंज, और इसे शुरू करने का क्या कमसद है?
क्या है मिलेट चैलेंज?
मिलेट चैलेंज के अंतर्गत स्टार्टअप्स को देश में मोटे अनाज से जुड़ी सभी परेशानियों को दूर करने के लिए सलूशन पेश करने होंगे. तीन विजेताओं में से हर एक को 1 करोड़ रुपये इनाम के तौर पर दिए जाएंगे. ऐसे पार्टिसिपेंट जिनके आइडिया अच्छे हैं मगर उन्हें कारगर बनाने के लिए उन पर थोड़ा काम करने की जरूरत है, ऐसे 15 लोगों को 20 लाख रुपये दिए जाएंगे. विजेताओं के नाम दिसंबर से पहले पहले तक घोषित कर दिए जाएंगे. जीतने वाले को फंड का इस्तेमाल मोटे अनाज की लैब टेस्टिंग जैसे कामों के लिए फैसिलिटी या इनक्यूबेशन सेंटर बनाने के लिए करना होगा. इस सवाल से जुड़े सभी तरह के जवाब अगले कुछ दिनों में नीति आयोग की तरफ से जारी कर दिए जाएंगे.
कौन ले सकता है हिस्सा?
चैलेंज सभी के लिए खुला रहेगा. जिसे भी इस चैलेंज में दिलचस्पी हो वो इसमें हिस्सा ले सकता है. ऐसे युवा जो स्टार्टअप्स के साथ जुड़ना चाहते हों वो भी इसमें पार्टिसिपेट कर सकते हैं. इस प्रोग्राम में हिस्सा लेने वालों को इनोवेटिव तरीके से मोटे अनाज के वैल्यू चेन में आ रही दिक्कतों को दूर करने के लिए सलूशन ऑफर करना होगा.
क्या फायदा होगा?
वित्त मंत्री ने कार्यक्रम में इस अभियान की अहमियत बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भर भारत, महिलाओं की सहभागिता, वैल्यू एडिशन, रोजगार सृजन, स्टार्टअप ईकोसिस्टम, और बदलते क्लाइमेट के हिसाब से खुद को ढालने की क्षमता विकसित करने में मददगार होगा.
क्यों जोर दे रही है सरकार?
देश दुनिया हेल्दी फूड की तरफ बढ़ रही है, उस हिसाब से मोटे अनाज की मांग काफी बढ़ रही है. वहीं, दुनिया भर में इंडिया मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक है और पांचवा सबसे बड़ा निर्यातक है. भारत में भी कर्नाकट के हिस्सों में इनका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है. इसलिए अगर उनके उत्पादन और सप्लाई से जुड़ी दिक्कतों को दूर कर दिया गया तो ये देश के लिए आर्थिक तौर पर काफी फायदेमंद हो सकता है.
क्या है परेशानी?
मोटे अनाज की खेती के लिए रकबे में 60 फीसदी की गिरावट आई है. वो भी ऐसे राज्य में जहां मोटे अनाज उगाने के लिए 10000 रुपये प्रति एकड़ का इंसेंटिव मिलता है. वित्त मंत्री ने इस परेशानी को उठाते हुए कहा कि हमें इस परेशानी को दूर करने की जरूरत है कि ऐसा क्यों हो रहा है? क्या यह मार्केटिंग की परेशानी है या कुछ और है? वित्त मंत्री ने प्रोग्राम में कहा कि जैसे कोडागु और अराकु का नाम लेने पर दिमाग में कॉफी का ख्याल आता है वैसे ही कल्यान कर्नाटक का नाम लेने पर मोटे अनाज की छवि दिमाग में बननी चाहिए.