समझिए 'यूट्यूब पंप एंड डंप स्कैम', क्यों सेबी बना रहा नियम, बाकी देशों में क्या हैं रूल्स
हाल ही में सेबी ने अरशद वारसी समेत 31 लोगों पर बैन लगाया है. आरोप है कि उन्होंने यूट्यूब वीडियो के जरिए गलत जानकारी दी, जिससे उन्होंने शेयर बाजार में काफी मुनाफा कमाया. अब सेबी तमाम फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर के लिए नियम बना रहा है.
कोरोना काल में अचानक से शेयर बाजार (Share Market) में रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ी, क्योंकि लोग कुछ पैसे कमाना चाहते थे. रिटेल निवेशकों में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जो किसी टिप (Stock Tips) के सहारे किसी भी शेयर में पैसे लगा देते हैं. नतीजा ये होता है कि कभी फायदा होता है तो कभी नुकसान भी झेलना पड़ता है. बहुत सारे रिटेल निवेशक तो इंटरनेट से खासकर यूट्यूब से वीडियोज देखकर वहां से मिली टिप के आधार पर निवेश करने लग जाते हैं. हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें अरशद वारसी (Arshad Warsi) और उनकी पत्नी समेत 31 लोगों पर सेबी (SEBI) ने बैन लगाया था. इन लोगों पर 41.85 करोड़ रुपये का यूट्यूब पंप एंड डंप स्कैम (Youtube Pump and Dump Scam) करने का आरोप है.
समझिए क्या है यूट्यूब पंप एंड डंप स्कैम
पंप एंड डंप स्कैम में पहले कुछ तरीकों से शेयरों की कीमतें बढ़ाई जाती हैं. उसके बाद जब शेयर महंगे हो जाते हैं तो उन्हें बेचकर उससे निकल जाया जाता है. ये एक गैर-कानूनी तरीका है, जिससे कुछ लोग तगड़ा मुनाफा कमाते हैं जबकि सबसे ज्यादा नुकसान होता है रिटेल निवेशकों को. जब इस तरह के स्कैम यूट्यूब वीडियोज के जरिए चलाए जाते हैं तो उसे यूट्यूब पंप एंड डंप स्कैम कहा जाता है.
कैसे होता है ये पूरा खेल?
यूट्यूब पंप एंड डंप स्कैम में पहले कुछ यूट्यूब इनफ्लूएंशर लोग किसी खास शेयर को लेकर भ्राम वीडियो बनाते हैं. उसमें कही गई बातों के जरिए ये जताने की कोशिश की जाती है कि वह शेयर बहुत ही अच्छा है, जिसे खरीदकर निवेशकों को तगड़ा फायदा होगा. कई बार इसके लिए कंपनी से जुड़ी कोई बड़ी खबर इनसाइड न्यूज की तरह पेश की जाती है. जब बहुत सारे निवेशक उसे खरीदने लगते हैं तो मांग बढ़ने की वजह से शेयर के दाम तेजी से ऊपर जाने लगते हैं. जब दाम काफी ज्यादा बढ़ जाते हैं तो जिन निवेशकों ने ये डंपिंग स्कैम किया होता है, वह मुनाफे पर अपने शेयर बेचकर तगड़ा मुनाफा बनाकर निकल जाते हैं. उसके बाद अचानक से दाम गिरने लगते हैं और रिटेल निवेशकों को नुकसान हो जाता है.
जानिए अरशद वारसी ने कैसे किया स्कैम!
सेबी का मानना है कि कई यूट्यूब चैनल्स पर कुछ भ्रामक वीडियो अपलोड किए गए हैं. इन वीडियो के जरिए कोशिश की गई है कि निवेशक कुछ खास कंपनियों के शेयर खरीदें. सेबी ने अरशद वारसी सहित 45 यूट्यूबर्स को शेयर पंप एंड डंप योजना (Share Pump & Dump scheme) में दोषी पाया है. सेबी का आरोप है कि इन सब लोगों ने Sadhna Broadcast और Sharpline Broadcast से जुड़े भ्रामक वीडियो यूट्यूब चैनलों पर अपलोड किए. इनकी वजह से बहुत सारे निवेशकों में इन्हें खरीदने का गलत मैसेज पहुंचा, जिससे लोगों ने इसे खरीदा और उसका वॉल्यूम बढ़ गया. अरशद वारसी ने 29.43 लाख रुपये और उनकी पत्नी मारिया गोरेटी ने करीब 37.56 लाख रुपये का मुनाफा कमाया है.
अभी फाइनेंशियल एक्सपर्ट कैसे बनते हैं लोग?
मौजूदा वक्त में अगर किसी को फाइनेंशियल एक्सपर्ट बनना है तो उसे पहले सेबी से रजिस्टर्ड होना जरूरी है. इसके लिए सेबी ने कई नियम बनाए हैं, ताकि कोई गलत शख्स एक्सपर्ट ना बन जाए. फाइनेंशियल एक्सपर्ट बनने के लिए लोगों को कुछ प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है. इनके तहत सेबी ये जांचता है कि जो व्यक्ति एक्सपर्ट बनना चाहता है, उसे असल में शेयर बाजार और फाइनेंस की कितनी जानकारी है. यह सुनिश्चित करना इसलिए जरूरी होती है ताकि उनकी गलत जानकारी की वजह से किसी निवेशक को नुकसान ना हो. इन दिनों सोशल मीडिया, खासकर यूट्यूब के इनफ्लूएंसर्स की वजह से कई निवेशकों को भारी नुकसान हो रहा है. यही वजह है कि अब इनके लिए सेबी नियम-कायदे बना रहा है. पिछले करीब 2 सालों से इनफ्लूएंसर के लिए नियम बनाने की कवायद चल रही है और अब सेबी ने इन इनफ्लूएंसर्स के खिलाफ एक्शन भी लेना शुरू कर दिया है.
फाइनेंशियल इनफ्यूएंसर्स के लिए नियम लाना क्यों जरूरी?
यूट्यूब पर ऐसे बहुत सारे वीडियो आपको दिख जाएंगे, जो लोगों को शेयर बाजार का ज्ञान देते हैं. ये लोग बताते हैं कि कौन से शेयर ऊपर जा सकते हैं और क्यों. अक्सर ऐसे लोगों की सलाह से लोगों को नुकसान हो जाता है. कई बार नुकसान इसलिए होता है, क्योंकि इनफ्लूएंसर जो जानकारी देते हैं, वह एक तरह का पेड प्रमोशन होता है. जो नए-नए ब्रोकरेज फर्म शुरू हो रहे हैं, उनके पास बहुत ही कम लोगों तक पहुंच होती है, जबकि ये इनफ्लूएंसर तगड़ी पहुंच रखते हैं. ऐसे भी फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर हैं जिनके यूट्यूब पर 30 लाख से 50 लाख तक सब्सक्राइबर हैं. ऐसे में अगर कोई गलत जानकारी लोगों के बीच जाती है तो उससे बहुत सारे लोगों पर बुरा असर पड़ सकता है.
सिर्फ डिस्क्लेमर लगाकर नहीं बच सकते 'फर्जी एक्सपर्ट'
कई इनफ्लूएंसर सिर्फ एक डिस्क्लेमर चला देते हैं कि वह सेबी से रजिस्टर्ड नहीं हैं, लेकिन इतना काफी नहीं है. जब 2013-14 में रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) के लिए नियम आए थे तो उसका उद्देश्य सलाह देने के जरिए पर ही था कि किस माध्यम से सलाह दी जा रही है. अब यूट्यूब से सलाह दिए जाने पर सेबी की कड़ी नजर है और जल्द ही सख्त नियम लागू होंगे.
क्या बाकी देशों में इनफ्लूएंसर के लिए नियम सख्त हैं?
अगर बाकी देशों की बात करें तो वहां फाइनेंशियल टिप्स को लेकर नियम काफी सख्त हैं. ऑस्ट्रेलिया में अगर कोई इनफ्लूएंसर बिना लाइसेंस के वित्तीय सलाह देता है तो उसे 5 साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही उस पर भारी जुर्माना भी लग सकता है. सिंगापुर और चीन में भी फाइनेंशियल इनफ्लूएंसर को लेकर नियम काफी सख्त हैं. अमेरिकी रेगुलेटर SEC ने किम कार्दाशियन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फाइनेंशियल मामले से जुड़ा एक पेड प्रमोशन किया था, जिसके बाद उन पर करीब 1.26 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगा था.