एक 20 साल की लड़की के लिए फायनेंशियल एडवाइजर प्रीती राठी गुप्ता की 10 जरूरी सलाह
अगर आपकी उम्र 20-22 साल है और आपने अभी नौकरी शुरू की है तो फायनेंशियल एडवाइजर प्रीती राठी गुप्ता की इन 10 सलाहों को गौर से पढ़ें. ये आपके काम की बातें हैं.
महिलाओं को आर्थिक सलाह और मदद देने वाले फायनेंशियल इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म LXME की फाउंडर प्रीती राठी गुप्ता ने जिंदगी के 50 साल पूरे करने के बाद LXME की शुरुआत की. लेकिन नई पीढ़ी की लड़कियों से वह कहती हैं, “तुम्हें जिंदगी जिंदगी की आर्थिक लगाम आज और अभी से अपने हाथों में ले लेनी चाहिए. यह जेंडर बराबरी का समय है. आज महिलाएं धरती से लेकर अंतरिक्ष तक हर काम में पुरुषों की बराबरी कर रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि वह अपने जीवन की इकोनॉमी की लगाम भी अपने हाथों में लें. पैसे सिर्फ कमाएं नहीं, बल्कि उसको सही जगह पर निवेश करना सीखें, पैसे से पैसा बनाना भी सीखें.”
प्रीती कहती हैं कि अगर महिलाएं अपने जीवन की आर्थिक लगाम अपने हाथों में नहीं लेंगी तो उनके शिक्षित और आत्मनिर्भर होने का कोई अर्थ नहीं है. पैसों को लेकर आज बरती गई लापरवाही की कीमत कल चुकानी पड़ेगी.
LXME एक ऐसा फायनेंशियल प्लानिंग प्लेटफॉर्म है, जो फायनेंस से जुड़े महिलाओं की सारे सवालों का जवाब देता है और समस्याओं का समाधान करता है. प्रीती राठी ने खुद काफी देर से शुरुआत की, लेकिन नई उम्र की लड़कियों को कुछ सलाह दे रही हैं.
1. फर्ज करो कि तुम अभी 20-22 साल की हो और अपने कॅरियर की शुरुआत कर रही हो. संभवत: यह तुम्हारी पहली नौकरी है. यह हमारे समय की कड़वी सच्चाई है कि हम औरतें एक पैट्रीआर्कल देश और समाज में रहते हैं. जेंडर पे गैप सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि सच्चाई है. तुम्हारे सहकर्मी पुरुष आने वाले 20 सालों में तुमसे ज्यादा बड़े पदों पर और बड़े पैकेज पर होंगे. वो तुमसे ज्यादा पैसे कमा रहे होंगे और निवेश कर रहे होंगे. उनका फायनेंशियल फ्यूचर तुमसे ज्यादा सुरक्षित होगा क्योंकि वे पैसे के मामले में आज और अभी से सजग और जागरूक हैं.
2. अपना आर्थिक भविष्य सुरक्षित करने के लिए जरूरी है कि तुम अभी से ही पैसों को समझना और बरतना सीखो.
3. अपनी सैलरी का एक हिस्सा आज से ही सेव और इंवेस्ट करना शुरू करो. फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारी सैलरी 20 हजार रुपए है या एक लाख रुपए, अपने दिमाग में इस बात को बिठा लो कि सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा सेव करना है. अपने महीने का बजट उसी हिसाब से बनाओ. सैलरी यदि 20 हजार रुपए है तो सोचो कि खर्च करने के लिए सिर्फ 14 हजार ही हैं. बाकी के छह हजार रुपए सेविंग में डालो. सैलरी बढ़ने पर खर्च बढ़ने के बजाय सेविंग वाला हिस्सा ही बढ़ना चाहिए.
4. जब मैं सेविंग पर इतना जोर देने को कह रही हूं तो इसका अर्थ ये नहीं है कि सेविंग और कल की चिंता में इतना डूब जाओ कि आज को जीना भूल जाओ. इसका अर्थ ये भी नहीं है कि अपनी बुनियादी जरूरतों में कटौती करो. इसका अर्थ सिर्फ ये है कि फिजूलखर्च से बचो.
5. इंटरनेट पर ऐसे बहुत से पोर्टल और फायनेंशियल ब्लॉग हैं, जो इंवेस्टमेंट से जुड़ी सलाह देते हैं, फायनेंशियल टर्म्स के अर्थ समझाते हैं. जैसे SIP, म्यूचुअल फंड्स, बॉन्ड्स, गोल्ड, एफडी वगैरह सेविंग और इंवेस्टमेंट के अलग-अलग तरीके क्या हैं और उनके क्या फायदे हैं. उन ब्लॉग्स को पढ़ो, बुनियादी जानकारी हासिल करो और जागरुक रहो.
6. अपनी सारी सेविंग एक जगह एक ही चीज में इंवेस्ट मत करो. जैसे यदि तुम्हें हर महीने 10,000 रुपए इंवेस्ट करने हैं तो सारे पैसे सिर्फ म्यूचुअल फंड में या बॉन्ड या शेयर में इंवेस्ट मत करो. थोड़ा-थोड़ा हिस्सा अलग-अलग जगहों पर इंवेस्ट करो.
7. शेयर मार्केट में पैसे इंवेस्ट करना काफी फायदेमंद हो सकता है, लेकिन उसके लिए स्टॉक मार्केट और शेयर्स की समझ होना बहुत जरूरी है. शेयर मार्केट को समझना एक लंबी प्रक्रिया है. मैं सभी लड़कियों और महिलाओं को यह सलाह देती हूं कि वे शेयर मार्केट के बारे में पढ़ना, जानकारी जुटाना और उसे समझना शुरू करें. शेयर मार्केट एक लांग टर्म इंवेस्टमेंट हैं, लेकिन एक बार आपने उसके गणित को समझ लिया तो लंबे समय में यह बहुत फायदेमंद होगा.
8. अपनी सेविंग का एक हिस्सा एफडी यानी फिक्स्ड डिपॉजिट में रखो. यह एक सुरक्षित सेविंग भी है, साथ ही किसी मुश्किल वक्त में बिना ज्यादा नुकसान के वो पैसा आपके काम भी आ सकता है.
9. 20 साल की उम्र का अर्थ है जीवन की शुरुआत. यदि लड़कियां अभी से इन फायनेंशियल मैटर को समझना और फैसले लेना शुरू करेंगी तो उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा. उनके पास रिटायरमेंट से पहले 40 साल का समय है. इन 40 सालों में आप इतना पैसा बचा सकती हैं कि रिटायरमेंट के बाद आपको किसी बात की फिक्र करने की जरूरत नहीं होगी. जो स्त्रियां आर्थिक रूप से सबल और सुरक्षित होती हैं, वो जीवन के अन्य मोर्चों पर भी ज्यादा आत्मविश्वास के साथ फैसले ले पाती हैं.
10. 20 साल की उम्र से जीवन में इस स्तर की क्लैरिटी रखने वाली लड़कियां अपने परिवार और आसपास समाज में अन्य लड़कियों को भी इंफ्लुएंस कर सकती हैं. आपके सही और जिम्मेदार फैसलों का असर आपके जीवन और परिवार की अन्य लड़कियों पर भी पड़ेगा. यह जरूरी भी है क्योंकि इस तरह एक-दूसरे को एंपावर करते हुए ही हम सामूहिक रूप से सबल, सफल और समृद्ध हो सकते हैं.