#MeToo की तरह जापान में ऊंची एड़ी के ख़िलाफ #KuToo मूवमेंट
ऊंची हील वाली जूतियां पहनने के विरोध (कूटू) के बहाने जापानी लेखिका और अभिनेत्री यूमि इशिकावा ने सरकार के सामने याचिका पेश कर आधी आबादी का दुख-दर्द बयान करते हुए लैंगिक समानता का आंदोलन छेड़ दिया है। अब उनका अभियान दुनिया भर की औरतों की आवाज़ बनता जा रहा है।
जापान की बत्तीस वर्षीय लेखिका और अभिनेत्री यूमि इशिकावा ने ड्यूटी के वक़्त ऊंची हील वाली जूतियां पहनने को देश की आम औरतों की एक बड़ी समस्या करार देते हुए इसके खिलाफ 'कूटू' (#KuToo) अभियान छेड़ने के साथ ही एक याचिका भी दायर कर दी है। इशिकावा की तरह ही कुछ साल पहले ब्रिटेन में ऊंची एड़ी वाली जूतियां न पहनने पर नौकरी से से बर्खास्त निकोला थॉर्प ने हस्ताक्षर अभियान छेड़ दिया था। उस समय उनकी याचिका को पचास हजार से अधिक लोगों का समर्थन मिला था। जापानी भाषा में जूतों को 'कुत्सु' और पीड़ा को 'कुत्सू' कहते हैं।
इन्ही अर्थों को ध्वनित करते हुए मीटू #MeToo की तरह इस अभियान को कूटू (#KuToo) नाम दिया गया है। इशिकावा ने हाल ही में करीब बीस हजार लोगों के हस्ताक्षर वाली याचिका जापान सरकार को सौंपते हुए कहा है कि ऊंची हील वाली जूतियां पहनने को विवश करना एक लैंगिक भेदभाव है। पुरुष प्रधान समाज ड्यूटी के वक़्त काम से ज्यादा महिलाओं के बाहरी रूपरंग को अहमियत देना चाहता है। वह महिलाओं के चेहरे पर मेकअप और पैरों में हील वाली जूतियां पहनने को ज्यादा महत्व देता है।
यद्यपि इस पर बहस-मुबाहसा तो इस साल जनवरी से ही छिड़ गया था लेकिन खुला विरोध अब तेज होने लगा है। पहली बार इशिकावा ने ही अपने ट्विटर संदेश में नौकरी के वक़्त ऊंची हील की जूतियां पहनने के नियम पर गुस्से का इजहार किया। उन दिनो वह एक कंपनी में पार्ट टाइम रिसेप्शनिस्ट का जॉब कर रही थीं। उन्होंने ट्वीट किया कि 'मुझे अपना काम पसंद है लेकिन हील्स पहनना बहुत मुश्किल है।' इशिकावा ने जापान सरकार को ऑनलाइन सौंपी अपनी याचिका में खास तौर से उन कंपनियों की मुखालफत की है, जो महिला स्टाफ को ऊंची हील वाली जूतियां पहनना अनिवार्य किए हुए हैं।
जापान का बौद्धिक वर्ग का भी इशिकावा के अभियान को इसलिए सपोर्ट मिल रहा है कि जापान कानूनन लैंगिक समानता की गारंटी देता है। इशिकावा की याचिका पर सुनवाई के दौरान जापानी संसदीय समिति के कुछ लोगों का कहना था कि कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा तो जरूरी है लेकिन कुछ पेशों में ऊंची एड़ी के जूते पहनना जरूरी हो। जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि वह अभी याचिका पर विचार कर रहा है। हील के समर्थन में एक जापानी मंत्री के बयान पर इशिकावा का कहना है- 'लगता है, पुरुष सचमुच समझते ही नहीं हैं कि ऊंची एड़ी वाली जूतियां पहनना कितना दर्दनाक और जख़्म देने वाला हो सकता है।'
ऊंची हील वाली जूतियां पहनने के विरोध (कूटू) के बहाने यूमि इशिकावा ने सरकार के सामने याचिका पेश कर आधी आबादी का दुख-दर्द बयान करते हुए लैंगिक समानता का आंदोलन छेड़ दिया है। अब उनका अभियान दुनिया भर की औरतों की आवाज़ बनता जा रहा है। विश्व आर्थिक मंच की लैंगिक बराबरी सूची के अनुसार दुनिया के 149 देशों में जापान 110वें नंबर पर आता है। इस तरह देखा जाए तो जापान में महिलाओं और पुरुषों के बीच गैरबराबरी की खाई काफी चौड़ी है। इशिकावा का तर्क है कि जापान में पुरुषों के लिए तो ऊंची एड़ी के जूते पहनने का कोई नियम नहीं है।
ज्यादातर शर्ट, टाई के साथ सूट पहनते हैं। गर्मी के दिनों में 'कूल' ड्रेसकोड है, जिसमें पुरुष छोटी बांह के कपड़े पहनते हैं। उन दिनो में टाई पहनना अनिवार्य नहीं होता है। वे जूतों के बदले सैंडल या स्लिपर इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका, कनाडा और यूरोप की महिलाएं भी ड्रेस, मेकअप और हाई हील की जूतियां पहनने की अनिवार्यता का विरोध कर रही हैं। इस मामले में ब्रिटेन और जापान सरकारों का नजरिया एक जैसा लगता है। दोनो ने कंपनियों को ऐसी बंदिश से परहेज के लिए कोई कानूनी कदम नहीं उठाया है।