Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

इस गांव में अब नहीं है बिजली की जरूरत, सौर ऊर्जा से होता है सारा काम

इस गांव में अब नहीं है बिजली की जरूरत, सौर ऊर्जा से होता है सारा काम

Thursday June 06, 2019 , 3 min Read

हमारी धरती पर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, इस लिहाज से इनका प्रयोग सावधानी से होना चाहिए। लेकिन बढ़ती आबादी और मांग की खातिर हम अंधाधुंध तरीके से संसाधनों का दोहन कर रहे हैं। यही वजह है कि तापमान में वृद्धि हो रही है और जलवायु परिवर्तन का खतरा भी मंडरा रहा है। एक तरह से देखें तो यह हमारे अस्तित्व का सवाल है। हालांकि वैज्ञानिक और पर्यावरणविद ऊर्जा के लिए लगातार ऐसे तरीकों को ईजाद कर रहे हैं जिससे कि प्राकृतिक संसाधन भी बचे रहें और हमारी जरूरतें भी पूरी हो जाएं।


solar power

मध्य प्रदेश के बेतूल जिले का बांचा गांव

आज गांव-गांव तक बिजली पहुंचाने का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन परंपरागत तौर पर बिजली को कोयले से बनाया जा रहा है। कोयला के भंडार सीमित हैं और अगर हमने इसका प्रयोग सीमित नहीं किया तो एक दिन हम सभी को गंभीर संकट से गुजरना पड़ेगा। देश के कई हिस्सों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश में एक ऐसा ही गांव है जहां पूरी तरह से सौर ऊर्जा से बिजली का प्रयोग होता है। यह गांव अब सोलर विलेज बन गया है।


पूरे देश में लोग बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के बेतूल जिले में स्थित यह बांचा गांव अनोखी मिसाल पेश कर रहा है। यहां लोग खाना बनाने ससे लेकर रोशनी के लिए सौर ऊर्जा पपर आश्रित हैं। यह सब संभव हो पाया है आईआईटी बॉम्बे और केंद्र सरकार के सहयोग से। आईआईटी के छात्रों ने एक मॉडल बनाया था जिससे गांव के लोगों को बिजली के लिए परंपरागत तरीकों पर न निर्भर रहना पड़े इसमें सरकार ने भी अहम भूमिका निभाई।


बांचा गांव में 74 घर हैं जिसमें सारे घरों में सोलर एनर्जी का उपयोग होता है। इतना ही नहीं गांव की महिलाएं अब खाना भी सौर ऊर्जा से बनाती हैं। बांचा गांव को केंद्र सरकार ने ट्रायल के रूप में चुना गया था। सरकार के ट्रायल के लिए चुने गए बांचा गांव में 2018 के दिसंबर तक सभी घरों को सोलर पैनल से जोड़ दिया गया और अब गांव के सभी घर इन पैनल की मदद से ही बिजली की अपनी जरूरतों को पूरा करते हैं।





इस प्रॉजेक्ट के बारे में बांचा के लोगों का कहना है कि सोलर प्लांट के लग जाने के बाद से उन्हें अब जंगलों में लकड़ी काटने जाने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल से बर्तन भी काले नहीं होते, जिसके कारण उनका समय और मेहनत दोनों की बचत होती है। पूरी दुनिया में बढ़ रही आबादी और ऊर्जा की जरूरत को देखते हुए सौर ऊर्जा की मदद से जीवन को आसान बनाने वाले बेतूल के इन लोगों ने नई मिसाल पेश की है। हम उम्मीद करते हैं कि देश के बाकी गांवों में भी ऐसे ही प्रॉजेक्ट शुरू किये जाएंगे।


मरकॉम इंडिया रिसर्च के अनुसार 2019 में 9,000 मेगावाट सौर क्षमता स्थापित होने की संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में सौर ऊर्जा क्षमता 2022 के अंत तक 71,000 मेगावाट हो जाएगी जो सरकार के 1,00,000 मेगावाट के लक्ष्य से करीब 30 प्रतिशत कम है। इसके अनुसार हालांकि आक्रमक रुख तथा अनुकूल नीतियों से लक्ष्य को अब भी हासिल किया जा सकता है।