लॉकडाउन में ‘‘पुलिस की पाठशाला’’, दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल निभा रहे है शिक्षक की भूमिका
नयी दिल्ली, कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान दिल्ली पुलिस के दो कांस्टेबल प्रतिदिन एक घंटे के लिए शिक्षक की भी भूमिका निभा रहे हैं। इन पुलिसकर्मियों ने दक्षिणी दिल्ली में पांच बच्चों को वर्णमाला, कविताएं सिखाई और उन्हें इस जानलेवा महामारी से बचने के तरीकों से अवगत कराया है।
पुलिस ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान स्कूलों के बंद होने के कारण हेड कांस्टेबल तारा चंद और कांस्टेबल नीलम 10 अप्रैल से प्रतिदिन एक घंटे इन बच्चों की कक्षाएं ले रहे हैं ताकि इन बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं हो।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिण) अतुल कुमार ठाकुर ने बताया कि ये पुलिसकर्मी इन बच्चों को कविता, वर्णमाला, गिनती आदि सिखा रहे हैं। दोनों कांस्टेबल बच्चों को अपनी मर्जी से पढ़ा रहे हैं ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित नहीं हो।
उन्होंने कहा,
‘‘यह सब तब शुरू हुआ जब ग्रेटर कैलाश पुलिस थाने के अधिकारियों को जानकारी मिली कि कुछ व्यथित लोगों को क्षेत्र में भोजन नहीं मिल रहा है। इसके तुरन्त बाद उन्हें भोजन उपलब्ध कराया गया और निगरानी के दौरान, कर्मियों ने ‘पुलिस की पाठशाला’ शुरू की, जो इलाके में रहने वाले बच्चों को लॉकडाउन के दौरान पढ़ाई में व्यस्त रखने के लिए थी।’’
कांस्टेबल नीलम ने कहा कि वह अपने सहकर्मी हेड कांस्टेबल तारा चंद के साथ भोजन बांटने गई थीं जब उन्होंने इन बच्चों को देखा और उनके माता-पिता से उनकी पढ़ाई के बारे में पूछताछ की।
उन्होंने कहा,
‘‘हमने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया, जिन्होंने तब हमारा मार्गदर्शन किया और लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया, ताकि उनकी पढ़ाई का नुकसान न हो। वरिष्ठ अधिकारियों ने बोर्ड, किताबें और स्टेशनरी का अन्य सामान उपलब्ध कराया।’’
स्कूल जाने वाली दो लड़कियां और तीन अन्य लड़के उन पांच बच्चों में से हैं जो अब ‘‘पुलिस की पाठशाला’’ के छात्र हैं।
अधिकारियों ने बताया कि लड़कियों में से एक कैलाश कॉलोनी में एक सरकारी स्कूल में कक्षा एक की छात्रा है जबकि एक अन्य कक्षा चौथी की छात्रा हैं। तीन से छह वर्ष के तीन अन्य बच्चे कभी किसी स्कूल में नहीं गये और पढ़ाई करने का यह उनका पहला अनुभव था।
कांस्टेबल नीलम ने कहा कि ये बच्चे अब जानते हैं कि कोरोना वायरस चीन से आया है और लाल एक रंग है जिसका उपयोग खतरे को दर्शाने के लिए किया जाता है। वे यह भी जानते हैं कि बाहर से लौटने पर उन्हें अपने माता-पिता के पास जाने से पहले खुद को कैसे संक्रमण मुक्त करना चाहिए।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया,
‘‘ग्रेटर कैलाश के ब्लॉक एन में एक निर्माण भूखंड के पास रहने वाले बच्चों को उनके घर के निकट एक खाली पड़े भूखंड में पढ़ाया जा रहा है। पहले, जब उन्होंने कक्षाएं शुरू की थीं, तब कोई निश्चित समय नहीं था, लेकिन अब चूंकि गर्मी का मौसम है इसलिए कक्षाएं शाम पांच बजे से शाम छह बजे तक आयोजित की जा रही हैं और बच्चे सामाजिक दूरी बनाये रखते हुए उन्हें दिए गए मास्क पहनकर कक्षाओं में आते हैं।’’
Edited by रविकांत पारीक