अंगूर-अनार की खेती से लाखों कमाते हैं महाराष्ट्र के ये किसान, मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए करते हैं RO वॉटर का इस्तेमाल
महाराष्ट्र के रहने वाले किसान राहुल रसल रसायनिक खाद का प्रयोग किए बगैर अंगूर, अनार और अन्य सब्जियों की खेती करते हैं। राहुल खेती के लिए पूर्णरुप से आर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
एक किसान का अपनी मिट्टी के साथ कितना गहरा रिश्ता हो सकता है। आम आदमी के लिए इस बात का अंदाजा लगाना बेहद ही मुश्किल होता है। किसान जो दिनरात एक करके फसलों को उगाता है। उसकी सिंचाई, बुआई, कटाई करते-करते उसी मिट्टी में घुलमिल जाता है। कुछ ऐसी ही कहानी है इस युवा किसान की।
महाराष्ट्र के रहने वाले राहुल रसल रसायनिक खाद का प्रयोग किए बगैर अंगूर, अनार और अन्य सब्जियों की खेती करते हैं। राहुल खेती के लिए पूर्णरुप से आर्गेनिक तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। खेती के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले किसी भी मिश्रण के लिए वह RO वॉटर का इस्तेमाल करते हैं। यहां तक सिंचाई करने के लिए भी राहुल फिल्टर पानी का उपयोग करते हैं।
उनके इस प्रयोग से जहां एक ओर जैविक फसल तैयार होती है। वहीं, दूसरी तरफ मिट्टी को भी सटीक रासायनिक संरचना और उत्पादन क्षमता को मजबूती भी मिलती है। उन्होंने यह सारी जानकारी अपनी कड़ी मेहनत और अनुभवों के बाद हासिल की है। उन्हें बचपन से ही खेती-किसानी करना अच्छा लगता था।
30 वर्षीय राहुल का कहना है कि कुछ साल पहले उनकी 65 एकड़ जमीन कहीं भी फसल उगाने के लायक नहीं थी। लेकिन, साइंस स्ट्रीम से ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद उन्होंने मिट्टी के साथ अलग-अलग प्रयोग करने शुरू कर दिए। शायद इन्हीं प्रयोगों के बाद आज यह खेत उपजाऊ बन पाए हैं।
जमीन के हिसाब से करने लगे खेती
राहुल कहते हैं, “साल 2006 में जब मैंने खेती करनी शुरू की, तब मेरी जमीन पूरी तरह से बंजर थी। इसका मुख्य कारण था, सिंचाई के पानी का खारा होना। विज्ञान की भाषा में कहा जाए तो सिंचाई जल का टीडीएस (अकार्बनिक लवण) का अधिक होना। जिस कारण मिट्टी में कैल्शियम 21 प्रतिशत और उसका पीएच मान 8.6 था। मिट्टी की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि इसके पानी को सोखने की क्षमता महज 35 प्रतिशत थी। उच्च क्षारीय स्तर और अत्यधिक लवणता ने इसे कठिन अनुपजाऊ बना दिया। यानी सिंचाई के लिए जिस भूजल का उपयोग किया जाता था वह उच्च मात्रा में खनिजों और लवणों के साथ खराब गुणवत्ता का था।”
राहुल ने इस समस्या को पूरी तरह बदल दिया। वह कम सिंचाई वाली फसलों की खेती करने लगे और उनका निर्यात करना शुरू कर दिया। इससे उन्हें अब लाखों रुपये की कमाई हो जाती है।
बंजर ज़मीन को बनाया उपजाऊ
उन्होंने पानी के उपचार के लिए अपने खेत में एक रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) प्लांट स्थापित करके उपज में सुधार लाने के साथ-साथ कम वैज्ञानिक और जैविक तकनीकों के मिश्रण को अधिक इस्तेमाल करना शुरु किया। इसके अलावा किसी भी कीटनाशक या कीटनाशक को उपयोग करने से पहले जमीन के हिसाब से शुद्ध पानी में रसायनों का सही मिश्रण तैयार करना शुरू किया।
राहुल बताते हैं कि, ”RO के पानी में खारापन नहीं होता और इससे इसकी संभावना कम हो जाती है। मुझे एक दिन में लगभग 6,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और RO प्लांट स्थापित करने में मुझे 20 पैसे प्रति लीटर का खर्च आता है।"
इस प्रक्रिया को अपनाकर राहुल ने धीरे-धीरे पूरी बंजर जमीन को उपजाऊ खेती में बदलकर रख दिया।
Edited by Ranjana Tripathi