मणिपुर की इस ताइक्वॉन्डो प्लेयर को टूर्नामेंट की तैयारी के लिए बेचने पड़ रहे फल
जब ओलिंपिक खेलों की पदक तालिका में भारत नीचे स्थान पर रहता है तो हर किसी के मन में ऐसे सवाल उठते हैं कि एक अरब से भी ज्यादा विशाल आबादी वाले देश में क्या वाकई अच्छे खिलाड़ियों की कमी है। खेल खत्म होने के बाद हर कोई खेल और खिलाड़ियों को भुला देता है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि देश में कई अच्छे खिलाड़ी सिर्फ सुविधाओं के आभाव में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। हाल ही में मणिपुर की एक ताइक्वॉन्डो खिलाड़ी की कहानी सामने आई जो टूर्नामेंट की तैयारी करने के लिए मजबूरी में सड़क किनारे फल बेचने को मजबूर है।
मणिपुर की रहने वालीं डायनना निंगोबम अंतरराष्ट्रीय स्तर की ताइक्वॉन्डो खिलाड़ी हैं। वे प्रदेश की राजधानी इंफाल में फल बेचते हुए नजर आईं। उन्होंने 2006 में ताईक्वॉन्डो सीखना शुरू किया था। तब से लेकर अब तक उन्होंने 15 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पदक जीते। उन्होंने 2018 में दक्षिण कोरिया के कुक्किवन में रजत पदक भी जीता था।
डायना हर रोज तड़के सुबह 3 बजे उठ जाती हैं और दुकान की तैयारी करती हैं। इसके बाद 4 बजे से सुबह 7 बजे तक दुकान लगाती हैं। शाम में वे पास में ही बने लांगजिंग अचूबा माखा लकाई स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में प्रैक्टिस करने जाती हैं। वे इन दिनों हॉन्ग कॉन्ग में होने वाले टूर्नामेंट की तैयारी कर रही हैं। डायना कहती हैं कि वे अपने माता-पिता पर किसी भी तरह का बोझ नहीं बनना चाहती हैं। उनके पिता प्रिंटिंग प्रेस में एक मकैनिक की हैसियत से काम करते हैं और उनकी मां लोकल मार्केट में।
एक इंटरव्यू में डायना कहती हैं, 'मैं एक उदाहरण देना चाहती थी कि हमें अपने काम के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। हर कोई काम कर सकता है और अपनी जरूरत के मुताबित पैसा कमा सकता है। हालांकि मैं एक खिलाड़ी हूं, लेकिन मुझे ऐसे काम करने में कोई दिक्कत नहीं है। इसी सोच के साथ मैंने फ्रूट सलाद बेचना शुरू किया था।' वे आगे कहती हैं, 'जब मैंने खेल की दुनिया में कदम रखा था तो हमें सिर्फ अपने ट्रैकसूट का खर्च देखना पड़ता था, लेकिन अब खिलाड़ियों को अपने आने जाने का खर्च स्वयं वहन करना पड़ता था। गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले खिलाड़ियों के लिए ये मुश्किल होता है।'
डायना इस काम से हर रोज 300-400 रुपये कमा लेती हैं। उनके ग्राहक भी उन्हें अच्छे से जानते हैं इसलिए उनकी तरफ से काफी प्रोत्साहन मिलता है। कुछ ग्राहक तो उन्हें एक्स्ट्रा पैसा देकर चले जाते हैं, सिर्फ इसलिए कि वे अपनी तैयारी अच्छे से कर सकें।
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