अगर वक़्त रहते थोड़ी सी तैयारी और इंसानियत बरत कर सैकड़ों जानें बचाई जा सकती थीं, तो ऐसा हुआ क्यों नहीं?
यह अजीब विडम्बना है कि भारत जैसे देश में, जहां प्रवासी जनसंख्या ज्यादा है, वहां पक्षियों के घोंसलों को उजाड़ने पर कोई बड़ी कार्यवाही तक नहीं होती. प्रवासियों से बेहतर कौन समझ सकता है ठिकाने की तलाश में भटकना या आशियाना उजड़ने का दुःख. यह वो भी देश है जो अपनी आज़ाद ख्याली को बयान करने के लिए पक्षियों को अपनी नज्मों का मज़मून बनाता है.
इसी देश से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है. खबर ‘गॉड’स ओन कंट्री’ केरल से है. भगवान के डाकिये पक्षी, उनकी लाई चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ को बांचते हैं, एक महादेश से दुसरे महादेश तक पहुंचाते हैं.
उम्मीद की अलामत पक्षियों को अपने लापरवाही और मानवकेन्द्रित दृष्टिकोण की वजह से सैकड़ों पक्षियों को मार दिया गया.
इस असंवेदनशील घटना की खबर एक इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (IFS) के अधिकारी के ट्विटर पर शेयर किये गए वीडियो के ज़रिये सामने आई. अधिकारी का नाम परवीन कस्वां है जिन्होंने वीडियो करते हुए लिखा कि “हर किसी को एक घर चाहिए, हम कितने क्रूर हो सकते हैं.’
44 सेकंड के इस वीडियो को अब तक 2.3 मिलियन बार देखा जा चुका है और 21.4k से अधिक बार रीट्वीट किया जा चुका है. इस वीडियों को देखने के बाद नेटिजन्स के साथ-साथ पर्यावरणविदों ने अपनी नाराज़गी जताई है.
क्या है इस वीडियो में?
वीडियो में एक बुलडोजर से एक पेड़ गिराते हुए दिखाया गया है. इस पेड़ पर काफी समय पहले से ही पक्षी रह रहे थे, पेड़ को गिराए जाते समय कुछ पक्षी तो उड़ गए लेकिन पेड़ के गिराए जाने से कई पक्षी बदहवासी में, अपना बैलेंस खोने से, सदमा लगने से वहीं मर गईं. न जाने कितने घोसले उजड़े और कितने अंडे टूटे.
पेड़ काटे जाने की वजह है- नैशनल हाईवे. केरल के मलप्पुरम जिले की एक जगह पर राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करने के लिए एक पेड़ को काटकर हटा दिया गया है.
अगर हम सोचें, पहले इस नैशनल हाईवे बनाने के लिए कितने हज़ार पेड़ काटे गए होंगे, नैशनल हाईवे बन गया तब उसे चौड़ा करने के लिए ये पेड़ काटे गए.
बता दें, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा छह लेन वाले दिल्ली- सहारनपुर राजमार्ग के निर्माण के लिए 5,100 से अधिक पेड़ काटे जाने की अनुमति वन विभाग से मिल चुकी है. इसके अलावा, मुंबई में आरे (Aare forest) मेट्रो प्रोजेक्ट कार शेड में पेड़ काटने का मामला हमारे सामने है ही. एक सूचना के अधिकार (RTI) आवेदन के तहत आई जानकारी के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने श्रीनगर रिंग रोड के निर्माण के लिए 1.10 लाख से अधिक निजी पेड़ काट दिए हैं. जो पेड़ काटे गए हैं वे सेब, चिनार, अखरोट और शहतूत समेत अन्य प्रकार के थे और इनका मूल्य 13.76 करोड़ रुपये है.
केरल वन विभाग ने शुरू की कानूनी कार्रवाई
पेड़ काटते समय पक्षियों की मौत की घटना के मामले में ठेकेदारों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसके बाद राज्य के पीडब्ल्यूडी (PWD) मंत्री पी.ए मोहम्मद रियास ने एनएचएआई (NHAI) से रीपोर्ट तलब की है.
सेव वेटलैंड्स इंटरनेशनल मूवमेंट (Save Wetlands International Movement) के सीईओ थॉमस लौरेंस ने दोषियों के खिलाफ कारवाई की मांग करते हुए इस सम्बन्ध में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Union Road Transport and Highways minister Nitin Gadkari) को एक शिकायत भेजी थी. गडकरी के कार्यालय ने इस सम्बन्ध में भेजी गई शिकायत पर सकारात्मक प्रतिक्रिया डी है और कारवाई करने का आश्वासन दिया है.
इस तरह के कदम को कम-से-कम सावधानीपूर्वक और संवेदनशीलता के साथ उठाया जा सकता था. पक्षियों का पुनर्वास किया जा सकता था, कम-से-कम वे तब तक इंतज़ार किया जा सकता था जब तक कि पक्षियों के बच्चे उड़ने में सक्षम नहीं हो जाते.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @ParveenKaswan)