MBA गोल्ड मेडलिस्ट ने लाखों की नौकरी छोड़ गाँव में बना डाला डेस्टिनेशन सेंटर, कमाई के साथ दूसरों को दे रहा है रोजगार
यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले सिद्धार्थ ने अपने गाँव में पड़ी बंजर जमीन का उपयोग किया और पूरी खेती को डेस्टिनेशन सेंटर में तब्दील कर डाला। आज इस जगह पर दूर-दूर से लोग अपना वीकेंड, हॉलिडे और यहां तक की डेस्टिनेशन वेडिंग और पार्टी तक सेलिब्रेट करने आते हैं।
आजकल की युवा पीढ़ी का सपना होता है कि पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी अच्छी कंपनी में आकर्षक सैलरी वाली नौकरी मिल जाए जिससे उनकी लाइफ सेट हो जाए। लेकिन, उत्तर प्रदेश के इस नौजवान के सपने तो कुछ और ही थे।
पढ़ाई में अव्वल, कॉलेज में गोल्ड मेडलिस्ट, एमबीए जैसी प्रोफेशनल डिग्री, ऊपर से एमएनसी कंपनी में मोटी रकम वाली नौकरी भी। किसी आम लड़के के लिए इतना सब काफी था। लेकिन, यूपी के गाजीपुर जिले के रहने वाले सिद्धार्थ को इन सब में वो किक नहीं मिल पा रही थी जो वह चाहते थे।
इसके बाद उन्होंने अपने गाँव में पड़ी बंजर जमीन का उपयोग किया और पूरी खेती को डेस्टिनेशन सेंटर में तब्दील कर डाला। आज इस जगह पर लोग अपना वीकेंड, हॉलिडे और यहां तक की डेस्टिनेशन वेडिंग और पार्टी तक सेलिब्रेट करने आते हैं दूर-दूर से।
पिता के जाने के बाद मां ने निभाई जिम्मेदारी
सिद्धार्थ मूलरूप से उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के निवासी हैं। बचपन में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया। तब उनकी मां ने पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों में उठाई। बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के सभी जतन किए। सिद्धार्थ ने प्रारम्भिक शिक्षा हासिल करने के बाद उच्च शिक्षा में एमबीए की डिग्री हासिल की। इस दौरान उन्हें कॉलेज की ओर से उनके बेहतर प्रदर्शन के लिए गोल्डमेडल भी दिया गया। कॉलेज खत्म होने के बाद सिद्धार्थ को एक एमएनसी कंपनी में अच्छे वेतन के साथ नौकरी भी मिल गई।
एक चैनल को इंटरव्यू देते हुए वह कहते हैं, “जॉब लगने के बाद घर के सभी लोग काफी खुश थे। लेकिन, मेरा मानना था कि सिर्फ पैसा कमाना और अपने परिवार की जिम्मेदारी उठा लेना ही काफी नहीं है। जब तक कि आपके काम से किसी अन्य व्यक्ति का भला न हो रहा हो। तब तक बदलाव नहीं होगा और तब तक जिंदगी को सही मकसद नहीं मिलेगा।”
गाँव के लोग समझने लगे थे पागल
साल 2019 में सिद्धार्थ ने नौकरी को अलविदा कह दिया। नौकरी छोड़ने के बाद वह अपने गाँव वापिस लौट गए। गाँव की जमीन काफी लंबे समय से बंजर पड़ी थी। उन्होंने इस बंजर जमीन में पहले एक बड़ा सा तालाब खुदवाया। उसी तालाब में कुछ मछलियाँ डाल दीं।
इसी के साथ बगल में एक झोपड़ी बनाई और दो गाय बांध लीं। शुरुआत के दिनों में यह सब देखकर गांव के लोग यहां तक की घर-परिवार वाले भी यही कहने लगे थे, "पागल हो गया है। विदेशी कंपनी की इतनी अच्छी नौकरी छोड़कर यहां गोबर उठा रहा है। इसके दिमाग में ही गोबर भर गया है।"
आइडिया आते गए काम बढ़ता गया
कुछ महीनों तक उन्होंने मछलीपालन किया। इसके साथ ही उन्हें तालाब में बतख पालने का भी विचार आया। ऐसा करने के पीछे कई कारण थे। पहला तो अंडों से कमाई भी होगी और पानी भी साफ रहेगा। दूसरा बत्तख के वेस्ट से मछलियों का भोजन भी हो जाएगा। यानी एक्सट्रा पैसे खर्च नहीं करने पड़ेंगे। इसका फायदा हुआ भी।
एक साक्षात्कार में सिद्धार्थ कहते हैं कि , “मुझे पशुओं से काफी लगाव था। गाय और बत्तख के बाद मैंने बकरी, घोड़ा और ऊंट भी रख लिए। इसका असर ये हुआ कि लोग अपनी छुट्टियां मनाने के लिए हमारे यहां आने लगे। तब मुझे लगा की इसमें तो कमाई का अच्छा स्कोप है। मैंने हर चीज का टिकट और रेट फिक्स कर दिया।”
फिर एक दिन उन्हें अचानक एक आइडिया आया कि क्यों न इसे लोगों के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन में बदल दिया जाए। इस विचार पर काम करना शुरू कर दिया गया। इसके बाद सिद्धार्थ ने तालाब के बीच में एक मचान बनवाया और उसे अच्छे से सजा दिया।
लोगों के लिए यह एक तरह से सेलिब्रेशन पॉइंट बन गया। किसी को बर्थडे मनाना हो या एनिवर्सरी मनानी हो, सब यहां आने लगे क्योंकि तालाब और हरियाली के बीच रात का नजारा ही कुछ अलग होता है।
डेस्टिनेशन वेडिंग की आने लगी बुकिंग
उन्होंने धीरे-धीरे वहां पर एक तरह का वेडिंग डेस्टिनेशन डेवलप कर दिया। लोगों को यह जगह काफी पसंद आने लगी। इस जगह को नेचुरल तरीके से मैरिज हॉल के रूप में डेवलप किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सिद्धार्थ कहते हैं, कि वे इस सीजन में कई शादियां करा चुके हैं। अब तो लोग इसके लिए एडवांस बुकिंग कराने लगे हैं। इसके अलावा देश के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां आते हैं और अपनी वेडिंग करते हैं। इससे अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।
Edited by Ranjana Tripathi