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मिलिए कोयम्बटूर के मौसम विज्ञानी से जो अपने मौसम की सटीक भविष्यवाणियों से कर रहा है किसानों की मदद

मिलिए कोयम्बटूर के मौसम विज्ञानी से जो अपने मौसम की सटीक भविष्यवाणियों से कर रहा है किसानों की मदद

Friday September 13, 2019 , 2 min Read

"जी संतोष कुमार जिन्हें कोयम्बटूर के मौसमविज्ञानी के नाम से जाना जाता है। इनके फेसबुक पृष्ठ पर 6800 से ज्यादा अनुयायी हैं। ये अगले तीन महीनों तक के मौसम की जानकारियों का सामायिक अद्यतन करते हैं।"

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कृषि भारत में जीविका का एक बड़ा स्रोत है। जल एवं जलवायु की उपलब्धता कृषि क्षेत्र के सम्पूर्ण विकास के लिए जरूरी है। जलवायु परिवर्तन चक्र का पता लगाना फसल उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है। जैसा कि ये विशेषज्ञता का काम है, अतः कुछ सरकारी प्रयास तथा कुछ लोग किसानों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, जिनमें से एक हैं जी.सन्तोष कुमार जो कि अपने फेसबुक पृष्ठ पर मौसमविज्ञानी के नाम से प्रख्यात हैं एवं जिनके 6800 से ज्यादा अनुयायी हैं।


कृष्णन जो कि खुद एक किसान के पुत्र हैं वह भली भांति किसानों के द्वारा जलवायु की त्रुटिहीन अद्यतन की जरूरत जानते थे और जिसकी मदद से किसान अपने फसलों की योजना भी बनाते थे।


एडक्स लाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा,

"मैंने कोयम्बटूर मौसमविज्ञानी पृष्ठ नवम्बर 2017 में शुरू किया। 2016-17 के दौरान कोयम्बटूर में अकाल पड़ा,विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में। जैसा कि मैं कृषि पृष्ठभूमि से आता हूँ। मुझे किसानों की परेशानियों का पहला-पहल अनुभव मिला और मैं उनकी मदद करने का तरीका ढूंढना चाहता था।"


यधपि कृष्णन के पास कम्प्यूटर में स्नातक की उपाधि है, लेकिन वो बचपन से हीं मौसम के पूर्वानुमानों की तरफ आकर्षित थे।

द हिंदु के अनुसार वो अपने दादाजी की खेतों में मदद किया करते थें, और इसी दौरान उन्होंने मौसम के स्वरुपों का अवलोकन करना सीखा।


द हिंदु से बात करते हुए उन्होंने कहा,

"सबकुछ जो मेरे दादाजी ने मुझे सिखाया वो उनके अवलोकनों पर आधारित था। जब मैं दसवीं में पड़ता था, तब मैंने उनके पीछे के वैज्ञानिक कारकों का पता लगाने में जुट गया और धन्यवाद कहिए इंटरनेट का जिसकी मदद से मैंने दाब, नमी, अवक्षेपण एवं हवा के अभिसरण की अवधारणाओं को समझा और ये भी कि कैसे ये वर्षा को प्रभावित करती हैं।"


वर्ष 2001 में वे सयोंग से एक इंटरनेट समुदाय के संपर्क में आए, जिसे वेदर ब्लॉग के नाम से जाना जाता है। इसमें देश भर से मौसम विज्ञानी जुड़े हुए हैं। उन्होंने अपने संदेहों को दूर करने के लिए उनसे संवाद भी किया।