मिलें यूपी में पहला उन्नत बीज गोदाम बनाने वाले मथुरा के सुधीर अग्रवाल से
मथुरा के एमए, एलएलबी सुधीर अग्रवाल वकालत अथवा किसी अन्य पेशे में जाने, नौकरी करने की बजाए बीज उत्पादन में देश की शीर्ष शख्सियत बन गए क्योंकि 'उत्तम खेती, मध्यम बान, निषिध चाकरी, भीख निदान।' यूपी में पहला उन्नत बीज गोदाम स्थापित कर चुके अग्रवाल भारत सरकार से कई बार सम्मानित हो चुके हैं।
मथुरा (उ.प्र.) में ही देश का पहला ग्रामीण बीज गोदाम बना था, साथ ही इस जनपद को देश का मॉडल जिला होने का ख़िताब भी मिल चुका है। इसी जिले के नौहझील ब्लॉक के गांव भूरेका के रहने वाले हैं भारत के शीर्ष बीज उत्पादक सुधीर अग्रवाल, जो दर्जनों किस्म के उन्नत बीज विकसित करने के साथ ही उत्तर प्रदेश में पहला ग्रामीण बीज गोदाम भी स्थापित कर चुके हैं। उन्नत बीजों का उत्पादन करने के लिए वह अक्सर सम्मानित होते रहे हैं। मसलन, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सम्मान, अधिक उत्पादन के लिए अग्रणी किसान सम्मान, अधिक उपज पर गन्ना विकास सम्मान, उद्यमिता विकास का मोबिलाइजर सम्मान, नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस का सिल्वर जुबली अवॉर्ड आदि। 28 जुलाई, 1956 को वृंदावन (मथुरा) में जनमे एवं दर्शनशास्त्र में एमए, एलएलबी सुधीर अग्रवाल ने नौकरी अथवा वकालत की बजाए खेतीबाड़ी में करियर बनाने का संकल्प लिया। और अब उनके पुत्र अंकित भी उसी राह चल पड़े हैं।
सुधीर अग्रवाल उन्नत किस्म के बीज तैयार करने में कड़ी मेहनत करते हैं। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम भारत सरकार की ओर से उनको प्रजनक बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। इसके बाद वह उसका पहला फाउंडेशन तैयार कराते हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश बीज प्रमाणीकरण संस्था के प्रतिनिधि उस पर नजर रखते हैं। बीज तैयार होने के बाद प्रमाणीकरण, पैकिंग की अनुमति मिलती है। यह प्रक्रिया सेकंड फाउंडेशन और सर्टिफाइड सीड बनने तक जारी रहती है। उसके बाद ही सरकार उसे बाजार में उतारने की अनुमति देती है।
इस वक़्त भी सुधीर अग्रवाल अपने यहां विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों से प्राप्त गेहूं की 38 प्रजातियों के बीज उत्पादित कर रहे हैं। इसके अलावा पूसा की धान-प्रजातियों, सरसों, उड़द, मूंग, चने आदि के बीजों का भी वह उत्पादन कर रहे हैं। इसे चंबल फर्टिलाइजर, जीएस ग्रुप, श्रीराम ग्रुप सहित देश के बड़े विक्रेताओं के माध्यम से किसानों तक पहुंचाया जा रहा है।
सुधीर अग्रवाल बताते हैं कि अपनी कॉलेज एजुकेशन खत्म कर लेने के बाद उन्होंने कुछ महीने वकालत की लेकिन उसमें मन नहीं लगा तो चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर से आधुनिक खेती का, पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय (उत्तराखंड) से संकर धान बीज उत्पादन का प्रशिक्षण और जबलपुर के कृषि वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन प्राप्त किया। उसके बाद पहली बार उन्होंने 40 हेक्टेयर खेत में बीज उत्पादन शुरू कर दिया। उस समय उन्हे किसानों से कोई मदद नहीं मिली, जबकि वह 1989 से 1995 तक ग्राम प्रधान भी रहे थे।
शुरू में किसानों ने सुधीर अग्रवाल के साथ इसलिए काम करने से इनकार कर दिया, क्योंकि वे उनके खेत के गुणवत्तापूर्ण बीज उत्पादन पर भरोसा नहीं कर पा रहे थे। अनुकूल परिणाम आने पर पहली बार दस किसान उनसे जुड़े, जिनकी संख्या आज आठ सौ तक पहुंच चुकी है। कभी बीज के लिए उनको लाइन में लगना पड़ता था, दिन बहुरे तो आज वही संस्थाएं उनसे उत्पादित बीज खरीद रही हैं। वह अपने द्वारा उत्पादित बीज 'भवानी सीड्स एन्ड बायोटेक' नाम से सेल कर रहे हैं।
सुधीर अग्रवाल आज भी बीज उत्पादन के क्षेत्र में महारत हासिल करने के लिए किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों में लगातार शिरकत करते रहते हैं। इसी क्रम में वह अब तक औषधीय बीज सफेद मूसली, नील हरित शैवाल उत्पादन, पशुपालन आदि से जुड़े दर्जनों कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। प्रशिक्षणों का पहला एक्सपेरिमेंट अपने खेतों में करते हैं। अब उनके साथ प्रगतिशील और पशुपालन आदि में भी अनुभवी किसानों का अच्छा-खासा समूह जुड़ चुका है।
सुधीर समय-समय पर अपने खेत परिसरों में वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों एवं उन्नत किसानों की प्रदर्शनियां भी आयोजित करते रहते हैं। अब तो उनके प्रोत्साहन से आसपास के गांवों में किसान क्लब गठित होने लगे हैं। वह ग्लेडियोलस, रजनीगंधा की खेती और स्वयं के स्तर पर सैकड़ो कुंतल केंचुआ खाद तैयार कराने के साथ देसी-विदेशी गाय, भैंस बकरी, मुर्गी, बतख पालन भी कर रहे हैं। उनकी ही प्रेरणा से अब तो उनके इलाके के दर्जनों किसान फूलों की खेती करने लगे हैं।