सूरत हादसे में अपनी जान जोखिम में डालकर 10 बच्चों को बचाने वाले केतन से मिलिए
बीते 24 मई को सूरत के एक कोचिंग सेंटर में भंयकर आग लग गई थी। इस हादसे के वीभत्स वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे, जिसमें बच्चे तड़प कर छत से नीचे कूद रहे थे। दुख की बात यह रही कि इस हादसे में 22 स्टूडेंट्स ने अपनी जान गंवा दी। बाद में जांच हुई तो पता चला कि कोचिंग सेंटर अवैध बिल्डिंग में संचालित हो रहा था और वहां पर आग को बुझाने के लिए कोई व्यवस्था भी नहीं थी। कई स्टूडेंट्स की छत से नीचे कूदने से जान चली गई क्योंकि बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
उसी वायरल हुए वीडियो में एक व्यक्ति बिल्डिंग पर चढ़ता हुआ दिखा था। उसने कई स्टूडेंट्स को सफलतापूर्वक बाहर निकाला था। उसकी पहचान 23 वर्षीय केतन नारनभाई चोडवाडिया के तौर पर हुई। बीकॉम की पढ़ाई कर रहे केतन ने अपनी जान पर खेलकर तक्षशिला कॉम्प्लेक्स के चौथे फ्लोर से कई स्टूडेंट् को बाहर निकाला।
एक वेबसाइट से बात करते हुए केतन ने कहा, “मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था, जब मैंने छात्रों को बिल्डिंग की खिड़कियों से कूदते हुए देखा तो मुझे काफी दुख हुआ। मुझे उसी वक्त लगा कि कुछ करना चाहिए। क्योंकि छत से कूद रहे बच्चे सीधे मौत के मुंह में जा रहे थे।" केतन घटनास्थल पर अपने पिता और बहन के साथ मौजूद थे। जिन्होंने उसे मदद करने के लिए प्रोत्साहित किया। केतन बच्चों को बचाने के लिए बिल्डिंग के पीछे गए और किसी तरह तीसरी मंजिल तक पहुंचे।
“धुँआ मेरी आँखों को अंधा कर गया, लेकिन मैं डर नहीं रहा था। मैं इस सोच से भयभीत था कि ये बच्चे जो मरने वाले थे। शुरू में, मैंने दो लड़कियों को गिरने से बचाया और सुनिश्चित किया कि वे सुरक्षित रूप से नीचे उतरें। मैंने तब दूसरों की मदद करने का प्रयास किया, "लॉजिकल इंडियन ने केतन के हवाले से कहा।"
केतन कहते हैं, 'वहां इतनी भीषण आग लगी थी कि सारा धुआं मेरी आंखों में भर रहा था। लेकिन मैं घबराया नहीं। मैं बस इस बात से भयभीत था कि बच्चों की जान जाने ववाली है। पहले मैंने दो लड़कियों को गिरने से बचाया और सुनिश्चित किया कि वे सुरक्षित तरीके से बाहर निकलें। उसके बाद मैंने दूसरे बच्चों को बचाने का प्रयास किया।' हालांकि केतन सिर्फ 10 स्टूडेंट्स को ही बचा सके।
वे कहते हैं, 'मैं बहुत निराश हूं कि मैं इतने में से केवल आठ से 10 बच्चों की मदद कर पाया। कई सारे बच्चों ने अपनी जान गंवा दी। मैं उस लापरवाही पर शर्मिंदा हूं जिसके कारण आग लग गई, लेकिन जिसने मुझे सबसे ज्यादा ये बात परेशान कर रही है कि घटनास्थल पर सैकड़ों लोग भीषण घटना की तस्वीरें और वीडियो लेने में व्यस्त थे।' केतन यहीं नहीं रुके, वे बच्चों को देखने के लिए अस्पताल तक गए और यह देखने की कोशिश की कि किसी को कोई मदद की जरूरत तो नहीं है।
केतन के अंदर बचपन से ही दूसरों की मदद करने का जज्बा है। 2006 में, जब सूरत बाढ़ की चपेट में था, केतन उस समय 12 साल के थे। उन्होंने अपने पिता के साथ राहत कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया था, खाने के पैकेट की पैकिंग की थी औऱ उन्हें बांटने के लिए भी गए थे। केतन के पिता एक स्थानीय व्यवसायी हैं।
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