Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मजदूर परिवार से आने वाली केरल की अकेली महिला सांसद राम्या हरिदास

वैसे तो हमारे देश में महिला नेताओं की कमी नहीं है, फर्क सिर्फ इतना है कि उनके लिए 33 फीसदी आरक्षण की बात दरकिनार रखकर पहली बार भारतीय संसद में महिलाओं का हिस्सा 17 प्रतिशत हुआ है। उन्ही में एक हैं केरल से चुनी गई एकमात्र महिला सांसद राम्या हरिदास, जो एक मजदूर परिवार से आती हैं।

मजदूर परिवार से आने वाली केरल की अकेली महिला सांसद राम्या हरिदास

Wednesday May 29, 2019 , 3 min Read

RAMYA

राम्या हरिदास

राम्या हरिदास केरल से चुनी गई एकमात्र महिला सांसद हैं। वर्ष 2010 में भविष्य का नेता चुनने के लिए आयोजित गांधी टैलेंट हंट 'भविष्य का नेता' में टॉपर रही हैं। उनके पिता मजदूरी करते हैं। महज 33 साल की कांग्रेस सांसद राम्या अच्छी सिंगर भी हैं। उन्होंने गाना गाकर ही अपनी जीत का जश्न मनाया। जिन दिनो वह गाने गा-गाकर अपना चुनाव प्रचार किया करती थीं, लोग उनका मजाक उड़ाया करते थे। कहते थे कि या तो गाना ही गा लो, या पहले चुनाव लड़ लो।


केरल के इतिहास में दूसरी महिला दलित सांसद राम्या ने अलथुरा सीट पर इस बार लोकसभा चुनाव में माकपा के कद्दावर नेता पीके बीजू का किला ध्वस्त किया है। एक साधारण मजदूर परिवार की राम्या सांसद बनने से पहले वह कोझिकोड म्युनसिपाल्टी की प्रमुख रही हैं। वह लोकसभा प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पसंद रही हैं।


वैसे तो हमारे देश में महिला नेताओं की कमी नहीं है, फर्क सिर्फ इतना है कि वे निर्वाचित तौर पर ज्यादातर राजनीति से दूर हैं। सच यह भी है कि राजनीतिक माहौल महिलाओं के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं है। भारतीय संसद में महिलाओं का हिस्सा सिर्फ पहली बार 17 प्रतिशत हुआ है। आम तौर पर हर समाज में महिलाओं की संख्या आबादी का आधा होती है। भले ही पिछले सालों में भारत में कुल जनसंख्या की दृष्टि से यह अनुपात गिरता गया हो, अभी भी महिलाओं की संख्या 45 प्रतिशत से ज्यादा है। हमारे सामने महिलाओं के प्रतिनिधित्व की एक शानदार नजीर जर्मनी की है, जहां बड़ी कंपनियों में बोर्ड मेंबर के रूप में महिलाओं का 30 प्रतिशत आरक्षण है। जर्मनी ने वर्ष 2016 में 30 प्रतिशत आरक्षण का कानून पास किया था। हमारे देश में आज भी महिलाओं को आरक्षण देने पर आम सहमति नहीं हो सकी है। कई पार्टियां इसके खिलाफ हैं।


गौरतलब है कि पांच साल पहले 16वीं लोकसभा में 61 महिला उम्मीदवार जीती थी। वह उस समय का सर्वाधिक आंकड़ा था। अब 17वीं लोकसभा के विजयी उम्मीदवारों में महिलाओं की कुल संख्या 78 हो चुकी है। महिला सांसदों की अब तक की इस सर्वाधिक भागीदारी के साथ ही नई लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या, कुल सदस्य संख्या का 17 प्रतिशत हो चुकी है। निर्वाचित महिला सांसदों में सर्वाधिक 40 भाजपा के टिकट पर जीती हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्री रहीं स्मृतिईरानी ने अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को शिकस्त देकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।


उनके अलावा सुल्तानपुर से मेनका गांधी, मिर्जापुर से 'अपना दल' की अनुप्रिया पटेल, मथुरा से हेमा मालिनी, भोपाल से प्रज्ञा ठाकुर, नई दिल्ली से मीनाक्षी लेखी, चंडीगढ़ से किरण खेर और इलाहाबाद से जीतीं रीता बहुगुणा जोशी भाजपा की प्रतिष्ठित महिला नेताओं में शुमार हैं। इस बार लोकसभा चुनाव में कुल 8049 उम्मीदवारों में से 724 महिला उम्मीदवार थीं। सोलहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित रहीं 64 महिला सांसदों में से 28 दोबारा जीत गई हैं।


यह भी पढ़ें: पहली बार वोट देने वाले युवाओं को 'अपनी सरकार' से हैं क्या उम्मीदें