मिलिए आईआईटी बॉम्बे से पढ़े यूपीएससी टॉपर कनिष्क कटारिया से
भारत में हर साल लाखों युवा आईएएस या आईपीएस बनने के लिए यूपीएससी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन इनमें से महज कुछ लोगों को ही इस प्रतिष्ठित सेवा के जरिए देश की सेवा करने का मौका मिलता है। इस बार राजस्थान के जयपुर के रहने वाले कनिष्क कटारिया ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त किया है। कनिष्क आईआईटी बॉम्बे से पढ़ाई कर चुके हैं। वे दक्षिण कोरिया की एक कंपनी छोड़कर भारत लौटे थे।
हमेशा से होनहार प्रवृत्ति के रहे कनिष्क आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे हैं। आईआईटी में ही उनका प्लेसमेंट हुआ और वे सैमसंग में नौकरी करने दक्षिण कोरिया चले गए। इस नौकरी में उन्हें पैसे तो काफी ज्यादा मिल रहे थे, लेकिन आत्म संतुष्टि नहीं मिल रही थी। कनिष्क कहते हैं, 'दक्षिण कोरिया में पैसे अच्छे मिल रहे थे लेकिन मेरा हमेशा से उद्देश्य था कि देश के लिए कुछ करना है।'
दक्षिण कोरिया से वापस लौटकर कनिष्क ने जयपुर में घर पर रहकर ही सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने दो साल तक कठिन परिश्रम और मन लगाकर पढ़ाई की। वे कहते हैं, 'मैं मेहनत और आशावादी होने में भरोसा करता हूं। हर चीज को सकारात्मक नजरिए से देखने की जरूरत है। इससे आप जीतते हैं या फिर कुछ नया सीखते हैं। मुझे लगता था कि चाहे कुछ भी हो जाए, हार नहीं माननी है।
कनिष्क की मेहनत रंग लाई। जब यूपीएससी ने रिजल्ट की घोषणा की तो लिस्ट में पहला नाम कनिष्क का था। उन्हें यकीन नहीं था कि पहली रैंक मिलेगी। वे कहते हैं, 'पहले प्रयास में पहली रैंक पाना काफी अचंभे वाला रहा। मैंने कभी सोचा नहीं था कि पहली रैंक आएगी।' कनिष्क के परिवार में पहले से लोग सिविल सेवा में कार्यरत हैं। उनके पिता सांवरलाल भी खुद आईएएस हैं। कनिष्क बताते हैं कि इस वजह से मुझे पहले ही पता था कि इसमें जाकर काफी कुछ अच्छा किया जा सकता है। अब कनिष्क आईएएस बनकर समाज को संवारना चाहते हैं।
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