आज के बैंकिंग सिस्टम की ज़रूरतों की पूर्ति: डिजिटलीकरण और अनुपालन के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ
पिछले कुछ वर्षों में, फिनटेक उद्योग का तेज विकास हुआ है. इससे परम्परागत बैंकों को अपने ग्राहकों के लिए आसार और सुविधाजनक समाधान मुहैया करने के लिए टेक्नोलॉजी अपनाने की प्रेरणा मिली है.
बैंकिंग? इस सवाल पर एक दसक पहले तक की भी बात करें तो उस वक्त बैंकिंग सेवा पाने का मतलब होता था समय खर्च करना, बैंक के दफ्तर में जाना, और बैंक स्टेटमेंट लेने जैसे साधारण काम के लिए भी घंटों लम्बी कतार में खड़े रहना. लेकिन आज बैंकिंग व्यवस्थाओं के डिजिटलीकरण का शुक्र है कि अब मोबाइल ऐप के माध्यम से झटपट बैंक स्टेटमेंट प्राप्त किया जा सकता है. और बात यहीं समाप्त नहीं होती! आज, पैसे ट्रांसफर करने से लेकर डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने तक हर काम स्मार्टफ़ोन पर किया जा सकता है.
पिछले कुछ वर्षों में, फिनटेक उद्योग का तेज विकास हुआ है. इससे परम्परागत बैंकों को अपने ग्राहकों के लिए आसार और सुविधाजनक समाधान मुहैया करने के लिए टेक्नोलॉजी अपनाने की प्रेरणा मिली है. अब हम निःसंदेह कह सकते है कि बैंकों को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही थी, क्योंकि एनबीएफसी सरल सुलभता के साथ वित्तीय सेवाएं दे रही थीं. नतीजतन, बैंकों के बीच बेहतर ग्राहक अनुभव प्रदान करने की ज़रुरत बढ़ रही है. इसके कारण वैश्विक डिजिटल बैंकिंग प्लेटफॉर्म वर्ष 2021 के 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2026 तक 13.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा
आइए बैंकिंग क्षेत्र में परिचालन के डिजिटलीकरण-आधारित परिवर्तन पर करीब से नजर डालते हैं:
डिजिटल ऑनबोर्डिंग
खाता खुलवाने के लिए अब बैंक के चक्कर नहीं लगाने पड़ते हैं. ई-हस्ताक्षर, बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और ऑनलाइन नो योर कस्टमर (केवाईसी) प्रक्रियाओं जैसे डिजिटल अन्वेषणों के माध्यम से कुछ ही मिनटों में एक बैंक खाता खोला जा सकता है. ई-हस्ताक्षर ग्राहक को दस्तावेजों पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से हस्ताक्षर करने में सक्षम बनाता है, जिससे मैन्युअल कागजी कार्रवाई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और ऑनबोर्डिंग प्रक्रिया में तेजी आती है.
इसी तरह बायोमेट्रिक सत्यापन है, जिसमें उंगलियों के निशान, चेहरे की पहचान या आवाज की पहचान के द्वारा ग्राहक की पहचान को सत्यापित करने में मदद मिलती है. यह ऑनबोर्डिंग को सरल बनाता है, सुरक्षा बढ़ाता है और पासवर्ड और पिन जैसे पारंपरिक तरीकों पर निर्भरता कम करता है.
अंत में, ऑनलाइन केवाईसी प्रक्रियाएं नियामक अनुपालन और जोखिम मूल्यांकन के लिए ग्राहक से सम्बंधित जानकारी को सत्यापित; करती हैं. ऑनलाइन केवाईसी के साथ, लोगों को अब पहचान संबंधी दस्तावेज जमा करने के लिए शाखा में जाने की जरूरत नहीं है. बैंक डेटाबेस के विरुद्ध जानकारी को सत्यापित करने और आवश्यक पृष्ठभूमि जाँच करने, ऑनबोर्डिंग में तेजी लाने और कागजी कार्रवाई और मैन्युअल डेटा प्रविष्टि को कम करने के लिए स्वचालित सिस्टम का भी उपयोग करते हैं.
क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे
क्लाउड टेक्नोलॉजी बैंकों को डेटा भंडारण के पुराने ढंग की अवसंरचना का त्याग करने में मदद करती है. बैंकिंग प्रणालियों में क्लाउड कंप्यूटिंग त्वरित और मापनीयता की दिशा में एक कदम है, जो उन्हें डेटा को स्टोर और मैनेज करने और ऐप्लिकेशन एवं होस्टिंग सेवाओं को संचालित करने में सक्षम बनाता है. क्लाउड तकनीक बैंकों को ग्राहकों की बदलती जरूरतों पर तुरंत प्रतिक्रिया देने और परिचालन लागत को कम करने में सहायक है.
AI और ML टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
ग्राहकों को सर्वोत्तम बैंकिंग अनुभव प्रदान करने के लिए, बैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) जैसी उन्नत तकनीकों का लाभ उठाते हैं. इन तकनीकों के सहारे धोखाधड़ी का पता लगाने, ग्राहकीय व्यवहार का विश्लेषण और जोखिम मूल्यांकन करने में बैंकों की क्षमता बढ़ती है. बैंक इन तकनीकों का उपयोग करके बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण कर सकते हैं, जिससे बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलती है.
एआई और एमएल जालसाजों के तौर-तरीकों और ट्रांजैक्शन (लेन-देन) की विसंगति को चिन्हित करके धोखाधड़ी की गतिविधियों का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उदाहरण के लिए, एमएल मॉडल ग्राहकों के सामान्य खर्च पैटर्न को सीख सकते हैं और संभावित धोखाधड़ी के मामलों की पहचान करते हुए, इन पैटर्न के कारण भटकने वाले असामान्य लेनदेन को चिह्नित कर सकते हैं. इसी तरह, एआई अल्गोरिद्म उन पैटर्न की पहचान कर सकता है जो जल्दी से या असामान्य स्थानों से किए गए कई छोटे लेन-देन जैसे धोखाधड़ी वाले व्यवहार का संकेत दे सकते हैं. एआई मॉडल ऐतिहासिक डेटा और रियल-टाइम वेरिएबल्स के आधार पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन की संभावना का भी अनुमान लगा सकते हैं, जिससे बैंकों को रोकथाम के उपाय करने में मदद मिलती है. व्यवहारिक बायोमेट्रिक्स में, एआई यूजर्स की पहचान को सत्यापित करने और धोखाधड़ी वाले अभिगम के प्रयासों का पता लगाने के लिए टाइपिंग पैटर्न या माउस मूवमेंट जैसे अलग व्यवहार लक्षणों का विश्लेषण करता है.
एआई और एमएल बैंकों को ग्राहक के व्यवहार, प्राथमिकताओं और जरूरतों के बारे में गहरी जानकारी हासिल करने में सक्षम बनाते हैं, जिसका उपयोग व्यक्तिगत सेवाओं और लक्षित मार्केटिंग अभियान बनाने के लिए किया जा सकता है. इन तकनीकों का उपयोग क्रेडिट, निवेश और अन्य वित्तीय जोखिमों का अधिक सटीक आंकलन करने के लिए किया जाता है. वे क्रेडिट स्कोरिंग, मार्केट विश्लेषण, पोर्टफोलियो प्रबंधन और दबाव परीक्षण में मदद कर सकते हैं.
डिजिटल भुगतान समाधान
इसके अलावा, डिजिटल तकनीकों को अपनाने की दिशा में बैंकों ने ग्राहकों की बढ़ती प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए डिजिटल भुगतान विकल्पों की एक विस्तृत श्रृंखला को स्वीकार कर लिया है. मोबाइल वॉलेट से लेकर यूपीआई और क्यूआर कोड तक, ये डिजिटल भुगतान समाधान वित्तीय लेनदेन करने में सुविधा, गति और सुरक्षा प्रदान करते हैं.
इनमें से कुछ समाधानों में एपल पे, गूगल पे, सैमसंग पे, पेटीएम और फोनपे जैसे लोकप्रिय मोबाइल वॉलेट शामिल हैं, जो त्वरित और आसान भुगतान सक्षम करते हैं, क्योंकि ये डिजिटल ऐप्लिकेशन भुगतान सम्बन्धी जानकारी को सुरक्षित रूप से स्मार्टफ़ोन में स्टोर कर लेते है. साथ ही, संपर्क-रहित भुगतान कार्ड में संपर्क रहित-सक्षम भुगतान टर्मिनल पर कार्ड को टैप करके लेनदेन करने के लिए अंतःस्थापित चिप्स भी होते हैं.
भारत में, यूपीआई रियल टाइम भुगतान प्रणाली, उपयोगकर्ताओं को एक ही मोबाइल ऐप्लिकेशन से कई बैंक खातों को लिंक करने की अनुमति देती है. यूनिक वर्चुअल भुगतान एड्रेसेस का उपयोग करके, यह पीयर-टू-पीयर (P2P) स्थानांतरण, बिल भुगतान और व्यापारी लेनदेन को सक्षम बनाता है. क्यूआर कोड भुगतान को और आसान बनाते हैं, जहां क्यूआर कोड को स्कैन करने से भुगतान शुरू हो जाता है. छोटे व्यापारियों या बड़े स्टोरों पर, ग्राहक क्यूआर कोड को स्कैन करने और भुगतान को अधिकृत करने के लिए अपने मोबाइल वॉलेट या बैंकिंग एप का उपयोग कर सकते हैं.
(लेखक ‘CLXNS’ के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हैं. आलेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं. YourStory का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)
Edited by रविकांत पारीक