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वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्युशन के लिए इस "इनोवेटिव चैलेंज" में लीजिए भाग, सरकार करेगी स्पॉसंर, जानिए क्या है खास बातें

कोरोनावायरस लॉकडाउन के तहत देश के साथ, सरकार और कॉरपोरेट दोनों अपने व्यवसायों को चलाने के लिए विदेशी कंपनियों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल्स पर भरोसा कर रहे हैं। इस चैलेंज के तहत एक ऐसा मेक इन इंडिया टूल बनाएं जो विदेशी ऐप्स की तरह अच्छा हो और इसमें डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी सुनिश्चित हो।

वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्युशन के लिए इस "इनोवेटिव चैलेंज" में लीजिए भाग, सरकार करेगी स्पॉसंर, जानिए क्या है खास बातें

Wednesday April 15, 2020 , 3 min Read

भारत में एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन डेवलप करने के आइडिया के साथ, जो कि दुनिया भर के दुसरे टूल्स के बराबर हो, जो कि बहुत लोकप्रिय हैं, सरकार ने डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव के तहत एक इनोवेशन चैलेंज का ऐलान किया है। यह इनोवेशन चैलेंज इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया। इस चैलेंज में इंडस्ट्रीज, स्टार्ट-अप्स और इनडिविजुअल एक्सपर्ट्स पार्टिसिपेट कर सकते हैं।


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सांकेतिक चित्र (फोटो क्रेडिट: iOSXpert)



कोरोनावायरस लॉकडाउन के तहत देश के साथ, सरकार और कॉरपोरेट दोनों अपने व्यवसायों को चलाने के लिए विदेशी कंपनियों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग टूल्स पर भरोसा कर रहे हैं। इस चैलेंज के तहत एक ऐसा मेक इन इंडिया टूल बनाएं जो विदेशी ऐप्स की तरह अच्छा हो और इसमें डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी सुनिश्चित हो।


सरकार ने कहा है कि एंड प्रोडक्ट (End Product) जो कि एक इंडियन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट होगा, ऑडियो और वीडियो की क्वालिटी के मामले में इंटरनेशनल प्रोडक्ट्स के बराबर होना चाहिए, और low) और high network scenarios में काम करना चाहिए। यह पहल सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स पर National Policy के तहत इंडियन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।


केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री, रविशंकर प्रसाद ने एक ट्वीट में कहा,

"विश्व स्तर के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सॉल्यूशन डेवलप करने के लिए भारतीय स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स के लिए सरकार इनोवेशन चैलेंज की घोषणा करती है। इनोवेटर्स, सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट स्टार्टअप्स से आग्रह है कि वे आगे आएं और इस प्रयास में हिस्सा लें। #DigitalIndia"

इनोवेशन चैलेंज से जुड़ी ये है खास बातें:

यह इनोवेशन चैलेंज तीन राउंड में ऑपरेट होगा। पहले दौर में दस कंपनियों या स्टार्टअप को सिलेक्ट किया जाएगा और प्रत्येक को प्रोटोटाइप बनाने के लिए 5 लाख रुपये दिए जाएंगे।


दूसरे राउंड में, दस में से तीन को पूरा सॉल्यूशन डेवलप करने के लिए कहा जाएगा और प्रत्येक को 20 लाख रुपये दिए जाएंगे।


इन तीनों में से, सबसे अच्छे सॉल्यूशन डेवलपर को सिलेक्ट किया जाएगा और उसे भारत सरकार और राज्य सरकार की संस्थाओं द्वारा उपयोग के लिए चार साल की अवधि के लिए उनके सॉल्यूशन के लिए एक अनुबंध (contract) प्राप्त होगा और पहले वर्ष में 1 करोड़ रुपये भी दिए जाएंगे। इसके अलावा सरकार के लिए सॉल्यूशन के operation और maintenance के लिए पहले वर्ष के बाद अगले 3 साल के लिए 10 लाख रुपये प्रति वर्ष दिए जाएंगे।


मंत्रालय के अनुसार, एक अलग गठित समिति तीन चरणों के माध्यम से इनोवेशंस का मूल्यांकन करेगी। प्रॉबलम-सॉलविंग, व्यावसायिक उपयोग, प्रॉडक्ट के फीचर्स और technical feasibility, प्रोडक्ट रोडमैप, टीम कल्चर और ऐबिलिटी, और addressable market के प्रति दृष्टिकोण के आधार पर विचारों का मूल्यांकन किया जाएगा।


चूंकि कोरोनवायरस को एक महामारी घोषित किया गया है, इसलिए घर से काम करना दुनिया भर में एक चर्चा का विषय बन गया है, खासकर भारत में, जो 21 दिनों के लॉकडाउन के तहत है।


काम को पूरा करने के सुचारू तरीके सुनिश्चित करने के लिए, दिन के काम को पूरा करने के लिए और कंपनियों को जुड़े रहने के लिए डिजिटल माध्यम पर निर्भर रहना पड़ता है। ऐसे समय में जब कंपनियां लॉकडाउन और कोरोनावायरस संकट से निपटने के लिए पहले से ही अपने इनोवेशन पर जोर दे रही हैं, MeitY की चुनौती इनोवेटर्स के लिए एक बड़ी प्रेरणा साबित हो सकती है।



Edited by रविकांत पारीक