Moonlighting: टैक्स छिपाना पड़ सकता है भारी, CAs और टैक्स अधिकारियों ने दी चेतावनी
देश की टॉप टेक कंपनियां Moonlighting को लेकर बेहद चिंतित हैं और Wipro Ltd और Infosys जैसी कुछ कंपनियों ने इसे नैतिकता से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.
आयकर अधिकारियों और चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) ने मूनलाइटिंग (Moonlighting) करने वाले टेक प्रोफेशनलों को टैक्स से जुड़े प्रभावों को लेकर सावधान किया है. उन्होंने कहा कि इस तरह की गतिविधि से अर्जित अतिरिक्त आय को उनके टैक्स रिटर्न में घोषित किया जाना चाहिए.
बता दें कि, कोई कर्मचारी अपनी नियमित नौकरी के साथ ही कमाई के लिए स्वतंत्र कोई अन्य काम भी करता है तो उसे ‘Moonlighting’ कहा जाता है. देश की टॉप टेक कंपनियां Moonlighting को लेकर बेहद चिंतित हैं और
और जैसी कुछ कंपनियों ने इसे नैतिकता से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कई कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है.तमिलनाडु, पुदुचेरी और केरल के प्रिंसिपल चीफ आईटी कमिश्नर आर. रविचंद्रन ने कहा कि एक व्यक्ति या कंपनी किसी को कॉन्ट्रैक्ट जॉब (आईटी अधिनियम, 1961 की धारा 194 सी के तहत) के बदले में 30,000 रुपये से अधिक का भुगतान करती है या एक पेशेवर शुल्क का भुगतान करती है (धारा 194 जे) तो लागू दर पर सोर्स पर टैक्स (टीडीएस) काटने के लिए उत्तरदायी हैं.
टीडीएस तब भी लागू होता है जब धारा 194सी के तहत एक ही व्यक्ति को एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया जाता है. प्राप्तकर्ता को अपने कर रिटर्न में ऐसी आय की घोषणा करनी चाहिए और लागू टैक्स दर का भुगतान करना चाहिए.
अतिरिक्त कमाई पर टैक्स से बचने के तरीके तलाश रहे कर्मचारी
कई पेशेवरों, मुख्य रूप से तकनीकी कर्मचारियों ने, चार्टर्ड एकाउंटेंट और टैक्स प्लानर्स की सलाह लेना शुरू कर दिया है कि वे अपने टैक्स के बोझ से बचने या कम करने के लिए बाहरी कमाई को कैसे मैनेज करें.
आमतौर पर कंपनियों के एचआर डिपार्टमेंट दिसंबर या जनवरी तक टैक्स डिक्लेरेशन फॉर्म भेजते हैं. टेक कर्मचारी यह जानना चाह रहे हैं कि क्या अतिरिक्त धन को कानूनी रूप से पेशेवर आय के रूप में घोषित किया जा सकता है.
टीडीएस नहीं काटने वाला या ऐसी आय की घोषणा नहीं करने वाला प्राप्तकर्ता IT कानून का उल्लंघन करने वाला माना जाएगा और उस पर कार्रवाई की तलवार लटकती रहेगी.
टैक्स रिटर्न में जानकारी देना पड़ सकता है भारी
EY India के टैक्स पार्टनर और इंडिया मोबिलिटी लीडर अमरपाल एस चड्ढा ने कहा कि कर अधिकारी इस आय को कम रिपोर्टिंग या आय की गलत रिपोर्टिंग के रूप में मान सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप लागू ब्याज या जुर्माना हो सकता है.
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर भविष्य में अघोषित आय का पता चलता है, तो आयकर विभाग आईटी अधिनियम की धारा 148 ए के तहत जांच करेगा और उस पर जुर्माना लग सकता है.
बेंगलुरु स्थित टैक्स कंसल्टेंसी फर्म श्री टैक्स चैंबर्स के सीईओ प्रभाकर केएस ने कहा, "प्रौद्योगिकी की प्रगति को देखते हुए, अपनी दूसरी कमाई को लंबे समय तक छुपाना बहुत मुश्किल होगा."
सरकार से कानून बनाने की मांग
प्रभाकर ने कहा कि सरकार को इसे उद्योग पर छोड़ने के बजाय अपने श्रम संहिता में इनमें से कुछ मुद्दों को हल करने के लिए कदम उठाना चाहिए, जिसमें Moonlighting की परिभाषा भी शामिल हो, क्योंकि इससे मुकदमेबाजी और कंपनियों और कर्मचारियों के बीच बढ़ते अविश्वास को रोका जा सकेगा.
Moonlighting पर IT इंडस्ट्री ने नरम किया रुख
इस साल अगस्त में ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म ने देश में पहली बार कर्मचारियों के लिए ‘Moonlighting’ की पॉलिसी लेकर आई. यह भारतीय इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा बदलाव है. हालांकि, 220 अरब डॉलर से अधिक की देश की सूचना प्रोद्योगिकी (IT) इंडस्ट्री को ‘Moonlighting’ पॉलिसी पसंद नहीं आ रही है.
साल भर में कई कर्मचारियों को निकालने की जानकारी देने के बाद इन्फोसिस ने प्रबंधकों (मैनेजर) की पूर्व सहमति से कर्मचारियों को गैर-प्रतिस्पर्धी कंपनियों और हितों के साथ टकराव पैदा नहीं करने वालों के साथ, नौकरी के साथ दूसरा अस्थायी कार्य करने अनुमति दी है.
टेक महिंद्रा ने भी ‘Moonlighting’ को मंजूरी देने की बात कहते हुए उसके लिए पॉलिसी बनाने की बात कही है.
हालांकि, इस दौरान Tata ग्रुप की कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज TCS, एचसीएल टेक्नोलॉजीज HCL Technologies Limited ने Moonlighting को लेकर लचीला रुख अपनाया है और किसी कर्मचारी पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है.
गलत तो बताया लेकिन किसी कर्मचारी को निकालने को गलत करार दिया है. उसने कहा कि ऐसे कर्मचारियों के साथ सहानुभूति की जरूरत है. एचसीएल टेक्नोलॉजीज HCL Technologies Limited ने ‘Moonlighting’ को लेकर कहा है कि वह एक साथ दो जगह काम करने का समर्थन नहीं करती है और यह कंपनी के भीतर कोई बड़ा मुद्दा नहीं है.
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