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मां-बेटी की इस जोड़ी ने घर से ही लॉन्च कर दिया 10 करोड़ के रेवेन्यू वाला एथिनिक वेयर ब्रांड

मुंबई स्थित द इंडियन एथनिक कंपनी के देश भर में अब तीन ऑफिस हैं। कंपनी करीब 1000 कारीगरों के साथ काम करती है और हर महीने इसे लगभग 3000 ऑर्डर मिलते हैं। इसका डांस आधारित रील्स के जरिए मार्केटिंग करना भी खास है, जो इसे दूसरों से अलग करता है।

मां-बेटी की इस जोड़ी ने घर से ही लॉन्च कर दिया 10 करोड़ के रेवेन्यू वाला एथिनिक वेयर ब्रांड

Tuesday April 13, 2021 , 8 min Read

58 वर्षीय हेतल और 29 वर्षीय लेखिनी देसाई मां-बेटी हैं। 2016 में मां-बेटी की यह जोड़ी खरीदारी के इरादे से एक हैंडलूम प्रदर्शनी में गई थी। वहीं उनके मन में एक शानदार बिजनेस आइडिया आया और वो वहां से अजरख प्रिंट वाला 50 मीटर कपड़ा खरीदकर वापस आ गईं।


पड़ोस के एक दर्जी के जरिए उन्होंने इस कपड़े से विभिन्न आकारों और डिजाइनों वाली कुर्तियां सिलवा लीं। फिर लेखिनी ने मुंबई स्थित अपने अपार्टमेंट के बेडरूम में बैठे-बैठे एक फेसबुक पेज बनाया, जहां उन्होंने इन ड्रेस की कुछ तस्वीरें पोस्ट कीं और अपने दोस्तों के बीच उस लिंक को शेयर कर दिया। और यहीं से 'द इंडियन एथनिक' के सफर की शुरुआत हुई।


घर के एक कमरे से जुनून में शुरु हुआ यह प्रोजेक्ट अब काफी बढ़ गया है। अब इसके देश भर में तीन ऑफिस है। विदेशों में भी ये अपने प्रॉडक्ट्स की डिलीवरी करते हैं और करीब 1000 कारीगरों की आजीविका चलाने में योगदान करते हैं।


यह भी शानदार है कि शुरू होने के महज चार सालों के अंदर इस क्लॉथिंग ब्रांड का रेवेन्यू 10 करोड़ रुपये को छूने लगा है और हर महीने इसे करीब 3000 ऑर्डर मिल रहे हैं।


अपने हाथों बनाया रास्ता

योरस्टोरी से बात करते हुए कंपनी की को-फाउंडर और मार्केटिंग डेट लेखिनी बताती हैं कि उनकी मां हैंडलूम आउटफिट्स की एक तरह से दीवानी हैं और उन्हें मार्केट में मिलने वाले रेडीमेड ड्रेस बहुत पसंद नहीं आते हैं। वो कहती हैं कि जब वो छोटी थीं तो उनकी मां हमेशा बाजार से कपड़े लाकर उनके और उनकी बहन के लिए सुंदर पोशाकें सिलती थीं।


लेखिनी ने बताया,

“मेरी मां की डिजाइनिंग स्किल काफी अच्छी है और छायाचित्रों और कपड़ों को लेकर उसकी समझ कमाल की है। इसलिए मैंने उनसे इस टैलेंट का कुछ उपयोग करने को कहा। हमने 50,000 रुपये के शुरुआती निवेश के साथ शुरुआत की।” 

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लेखिनी को फेसबुक पेज बनाने के अगले ही दिन गोवा से एक ऑर्डर मिल गया। इसके तुरंत बाद उन्हें केरल से एक और ऑर्डर मिला। लेखिनी ने बताया, “हम इस प्रतिक्रिया को देखकर हैरान थे। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम एक दिन के भीतर ही अपने उत्पाद को बेच पाएंगे।"


बिजनेस को बढ़ाना

2016 से 2018 तक, कंपनी ने केवल अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पेजों के जरिए ही उत्पादों को बेचा। लेखिनी उस समय अपने एमबीए की पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के साथ ही वह ऑर्डर, शिपमेंट और सोशल मीडिया मार्केटिंग जैसे कामों को भी संभालती थीं।


चीजें तब बदलीं, जब लेखिनी ने एमबीए पूरा कर लिया और उन्हें आईटीसी कोलकाता से एक जॉब ऑफर मिली। इस मोड़ पर उन्हें कॉर्पोरेट करियर और फैमिली बिजनेस में से किसी एक का चुनाव करना था।


फैमिली बिजनेस को छोड़ना एक कठिन फैसला था, लेकिन उससे भी कठिन यह था कि उन्हें अब सारा काम अपने मां के कंधों पर छोड़ना था।


लेखिनी ने योरस्टोरी को बताया, 

“सोशल मीडिया हमारे ब्रांड का आधार था और मैं इसे चलाने में अच्छी हूं। हालांकि मुझे अपनी मां को लेकर यकीन नहीं था कि वह इससे कितनी सहज होगी। ऐसे में हमने चीजों को व्यवस्थित बनाने के लिए अपनी वेबसाइट शुरू करने का फैसला किया।"


वेबसाइट बनवाने के लिए किसी वेबसाइट डेवलपमेंट एजेंसी या इस क्षेत्र के किसी प्रोफेशनल की मदद लेना महंगा सौदा था। ऐसे में लेखिनी ने कनाडा स्थित ऑनलाइन स्टोर बिल्डर, शॉपिफाई की मदद ली। एक बार जब वेबसाइट बन गई, तो उन्हें एहसास हुआ कि लोगों को वेबसाइट पर लाने के लिए डिजिटल मार्केटिंग बहुत जरूरी है। इसलिए लेखिनी ने खुद से फेसबुक और गूगल पर डिजिटल विज्ञापनों को चलाने के बारे में सीखा।

“कोलकाता में मेरी नई नौकरी को ज्वाइन करने से पहले मेरे पास दो-तीन महीनों का वक्त था और यह सबकुछ उसी समय में हुआ। वेबसाइट बनने के बाद मेरी मां ने कंप्यूटर चलाना सीखा, इंटरनेट के कामकाज को समझा और वेबसाइट के बैकएंड कामकाज में भी भी महारत हासिल कर ली।”


वेबसाइट के लॉन्च के बाद से द इंडियन एथनिक कंपनी लगातार तरक्की कर रही है। लेखिनी ने बताया कि 2019 में वेबसाइट के लॉन्च होने के एक साल के अंदर ही कंपनी ने एक करोड़ रुपये के टर्नओवर के आंकड़े को छू लिया, जबकि 2017 तक कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब 24 लाख का था।


कंपनी की इस शानदार ग्रोथ को देखते हुए लेखिनी ने 11 महीने बाद अपनी नौकरी छोड़ दी और 2019 से वह पूर्णकालिक तौर पर इस कंपनी से जुड़ गई हैं।


लॉकडाउन में तीन गुनी ग्रोथ

लॉकडाउन के दौरान कंपनी को मिलने वाले ऑर्डर की संख्या काफी कम हो गई थी। लेखिनी ने कहा कि जो ऑर्डर आते थे, उन्हें भी उम्मीदों के मुताबिक पूरे करने थे। ग्राहकों को उन्होंने सूचित किया कि रिटेल ब्रांड्स के लिए लॉजिस्टिक खुलने के बाद ही उनके आउटफिट डिलीवर हो पाएंगे।


“हमें मार्च 2020 में लगभग 915 ऑर्डर मिले थे लेकिन अप्रैल और मई में इसमें गिरावट आई और हमें क्रमशः 589 और 408 ऑर्डर मिले। हालांकि जून महीने के बाद से बिजनेस फिर तेज हो गया और उस माह 1000 से अधिक ऑर्डर मिले।"


लेखिनी दावा करती हैं कि कोरोना साल में द इंडियन एथिनिक कंपनी ने तीन गुना ग्रोथ दर्ज की क्योंकि इस दौरान अधिकतर परिवारों ने पाबंदियों के चलते ईकॉमर्स खरीदारी को तरजीह दी।


उन्होंने बताया

“फैबइंडिया जैसे कई बड़े ब्रांडों ने अपने ऑनलाइन ऑपरेशन को रोक दिया था, ऐसे में हमारी मांग थोड़ी बढ़ गई। अप्रैल से मई 2020 के बीच हमने उसके पिछले साल के मुकाबले आधा रेवेन्यू हासिल किया, लेकिन जून के बाद से बिजनेस बढ़ गया।"


2020 की पहली छमाही तक कंपनी का सारा कामकाज घर से ही होता रहा। अक्टूबर 2020 में कंपनी ने मुंबई में अपने तीन ऑफिस खोले और बिजनेस ऑपरेशन को संभालने के लिए करीब 10 कर्मचारियों को भी हायर किया। इनके पड़ोस का दर्जी अब कंपनी के साथ पूर्णकालिक तौर पर काम कर रहा है और डिजाइनर दर्जियों की एक टीम भी देख रहा है। उसके अलावा कंपनी में 10 और मास्टर दर्जी भी काम कर रहे हैं।


कारीगरों को सहारा देना

जाने-माने अजरख कारीगर अब्दुल जब्बार खत्री से कपड़ों की काफी खरीदारी करने के बाद हीटल उनसे व्यवसायिक अवसर के लिए जुड़ीं। हीटल ने दूसरे कारीगरों और रेफरेंसेज के जरिए एक नेटवर्क बनाया। लेखिनी ने बताया कि वे अब एक व्हाट्सएप ग्रुप 'द क्राफ्ट चैनल’ के सदस्य हैं, जो बिजनेस मालिकों को कारीगरों से जोड़ता है।


लेखिनी ने बताया,

“जब हमने द इंडियन एथनिक कंपनी की स्थापना की, तो हमारा बस एक ही लक्ष्य था - भारतीय फैशन को जिम्मेदार, टिकाऊ और सही मायने में हैंडलूम बनाना। "सही मायने में हैंडलूम" से हमारा मतलब है कि कपड़े को हाथ से बनाया गया हो, कार्बनिक और वनस्पति रंगों के साथ डाई हस्तनिर्मित हो, कपड़ों पर प्रिंट हैंड ब्लॉक हो, और तैयार प्रोडक्ट की सिलाई हाथ से हुई हो।"

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कंपनी अजरख, बन्धनी, बाग, बटरू, बालोतरा, डब्बू, सांगानेरी, आदि हैंडलूम कपड़ों में काम करती है। सलवार और कुर्तियों के अलावा, उनके उत्पादों में अब साड़ी, दुपट्टे, पश्चिमी और भारतीय ट्यूनिक्स, चांदी के गहने और बहुत कुछ शामिल हैं। यह ब्रांड नागेंद्र राव से कलमकारी कपड़े भी खरीदती है, जो एक प्रसिद्ध कलमकारी कलाकार हैं।


मार्केटिंग रणनीति

हीटल और लेखिनी पुराने और सुदंर एथिनिक भारतीय प्रिंट को सामने लाना, उसमें आज के हिसाब से नवीनता भरना और हर रोज पहनने के लिए उसे महिलाओं में भरोसेमंद बनाना चाहती हैं। इसलिए वे हमेशा किसी मॉडल की जगह आम महिलाओं के जरिए अपने उत्पादों को दिखाती हैं और अतिरंजित तस्वीरों से बचती हैं।


लेखिनी दावा करती है इस ब्रांड ने सोशल मीडिया पर डांस आधारित मार्केटिंग की नींव रखी है, जिसे अब इंडस्ट्री के दिग्गजों ने भी फॉलो करना शुरू कर दिया है। ब्रांड ने सोशल मीडिया पर इंफ्लूएंसर के जरिए मार्केटिंग की रणनीति भी नहीं अपनाई।


उन्होंने बताा

"डांस वीडियो के फॉर्मेट इंटरनेट पर वायरल हो गए हैं। इसने हमारी ऑनलाइन बिक्री और सोशल मीडिया से होने वाली बिक्री को नाटकीय रूप से बढ़ाया है।"

“हमने मार्केटिंग या प्रोडक्ट फोटोग्राफी पर भी प्रमुखता से खर्च नहीं किया। हम अपने आईफोन से तस्वीरें या वीडियो लेते हैं और मैं या मेरी बहन इन आउटफिट के लिए मॉडल बनती हैं।”


प्रतिस्पर्धा और चुनौतियां

टेक्नोपैक के अनुसार, इंडियन एथिनिक वेयर का मार्केट करीब 70,000 करोड़ रुपये है और इसमें से 85 प्रतिशत (59,500 करोड़ रुपये) हिस्सा महिलाओं के एथिनिक वेयर का है। हिस्सा है। 2022 तक इसमें सालाना 10 प्रतिशत की दर से ग्रोथ का अनुमान है।


फैबइंडिया, ओखाई, और फरीदा गुप्ता जैसे ब्रांड से मुकाबला करते हुए लेखिनी कहती है द इंडियन एथिनिक कंपनी की अनोखी मार्केटिंग और रिलैटिबिलिटी पहलु इसे दूसरों से अलग करता है।


चुनौतियों का जिक्र करें तो, लेखिनी ने 'कैश-ऑन-डिलीवरी' (COD) पेमेंट तरीके को एक रुकावट बताया। वह उदाहरणों का हवाला देती हैं कि जब लोग सीओडी डिलीवरी के तहत ऑर्डर देते हैं और फिर डिलीवरी के समय प्रॉडक्ट वापस कर देते हैं। उन्होंने बताया "इससे हमें अनावश्यक रूप से दो तरफा लॉजिस्टिक खर्च को उठाना पड़ता है। चूंकि हम खुद के पैसे से यह बिजनेस चला रहे हैं, ऐसे में हमपर इसका बड़ा असर पड़ता है।"


आगे की राह

लेखिनी ने बताया, "मेरी मां कारीगरों और उनके शिल्प के बारे में जानकारी का एक विश्वकोश बनाना चाहती हैं, जहां हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में मिलने वाले सभी प्रकार के कपड़ों के बारे में जानकारी एक जगह उपलब्ध है।" यह परिवार संचालित बिजनेस जल्द ही किड्सवेयर, मेन्सवेयर और होम डेकोर में भी कदम रखेगा


Edited by Ranjana Tripathi