‘रुक जाना नहीं’ : देश में सबसे युवा IAS अधिकारी अंसार शेख़ के संघर्ष की प्रेरक कहानी
आज की कहानी है देश के सबसे युवा IAS अधिकारी अंसार शेख की। अंसार की कहानी बेहद चौंकाने वाली एक अनूठी कहानी है। महाराष्ट्र के एक गाँव से बेहद खराब आर्थिक हालातों के बीच सतत संघर्ष से अंसार ने अपना रास्ता बनाया और मुकाम हासिल किया। मोटिवेशनल किताब 'रुक जाना नहीं' से पढ़िए, सफलता की एक और अनकही कहानी...
मेरा जन्म तथा पालन-पोषण महाराष्ट्र के जालना में शैलगांव ग्राम में एक बस्ती में बहुत-ही गरीब और वंचित परिवार में हुआ था। मेरे पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे और मेरी माँ एक गृहिणी थीं। मुझे सभी प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। हालांकि, मैं पढ़ने-लिखने में अच्छा था, इसलिए मेरे तीन भाई-बहनों के विपरीत मैं अपनी पढ़ाई करता रहा।
मैंने अपने गाँव के एक सरकारी स्कूल में पहली कक्षा से 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। मैंने 76.20 फीसदी अंकों के साथ 10वीं पास की। फिर, मैं मानविकी में 11वीं तथा 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने के लिए बद्रीनारायण बरवाले कॉलेज, जलना चला गया। इस समय तक मैंने पुणे जाकर संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा की तैयारी करने का मन बना लिया था। मैंने 91.50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे चला गया। अपने बी.ए. राजनीति विज्ञान के दूसरे वर्ष में, मैंने यू.पी.एस.सी. की एक कोचिंग क्लास में जाना शुरू कर दिया। मैंने जून 2015 में 73 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उसी वर्ष अगस्त में, मैंने UPSC CSE की prelims परीक्षा दी, जिसे मैंने पास भी कर लिया।
मुझे हमेशा कड़ी मेहनत करने की आदत थी। हालाँकि मेरी खराब आर्थिक पृष्ठभूमि मेरी यात्रा में प्रमुख बाधाओं में से एक थी। एक ऐसा समय भी था, जब मेरे पास पूरे दिन खाने के लिए कुछ नहीं था, एक समय ऐसा भी था जब मेरे पास किताबें खरीदने तक के लिए पैसे तक नहीं थे। मेरे लिए भाषा एक और समस्या थी। मैं मराठी माध्यम में तैयारी कर रहा था, लेकिन मुझे 60 प्रतिशत से अधिक पाठ्यक्रम अंग्रेजी में पढ़ना पड़ता था और उसे मराठी में अनुवाद करना पड़ता था। मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था, क्योंकि मैंने 12वीं तक अपनी संपूर्ण शिक्षा मराठी माध्यम में की थी। लेकिन हर समस्या का समाधान अवश्य होता है।
मैं जब 10वीं कक्षा में था, तब मैंने एक अधिकारी बनने का फैसला किया। मेरे व्यक्तिगत अनुभवों के साथ-साथ मेरी कक्षा के शिक्षक, जिन्होंने उसी वर्ष महाराष्ट्र पी.एस.सी. परीक्षा पास की थी, मेरे लिए प्रेरणा के स्रोत थे। हालाँकि मुझे यू.पी.एस.सी. के बारे में बुनियादी जानकारी देने वाले व्यक्ति मेरे कॉलेज के दूसरे शिक्षक थे, उस समय तक मैं यू.पी.एस.सी. और अन्य परीक्षाओं के बारे में अनजान था।
मैंने अपने पहले ही प्रयास में इस परीक्षा को क्लीयर कर लिया इसलिए मुझे इस परीक्षा में विफलता का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन हां, कुछ असफलताएं थीं। मैंने मुस्कुराते हुए उन असफलताओं का सामना किया। मैं स्वयं प्रेरित था, इसलिए मेरे लिए स्वयं को सांत्वना देना और अपने कार्य पर वापस लौटना आसान था। और वैसे भी असफलता में सफलता का मार्ग छिपा होता है। यह आपको आत्मनिरीक्षण तथा आत्म-मूल्यांकन करने और अपनी कमजोरियों को दूर करने का मौका देता है।
युवाओं को मेरा संदेश है कि यदि मेरे जैसा एक अभावग्रस्त और जीवन में सभी प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने वाला व्यक्ति UPSC में सफलता प्राप्त कर सकता है, तो आप भी कर सकते हैं। UPSC और जीवन में सफलता किसी का एकाधिकार नहीं है।
गेस्ट लेखक निशान्त जैन की मोटिवेशनल किताब 'रुक जाना नहीं' में सफलता की इसी तरह की और भी कहानियां दी गई हैं, जिसे आप अमेजन से ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं।
(योरस्टोरी पर ऐसी ही प्रेरणादायी कहानियां पढ़ने के लिए थर्सडे इंस्पिरेशन में हर हफ्ते पढ़ें 'सफलता की एक नई कहानी निशान्त जैन की ज़ुबानी...')