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वैश्विक बाजारों की नरमी से MSME निर्यातक संकट में, सरकार से लगाई मदद की गुहार

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बुरी तरह बाधित कर दिया है.

वैश्विक बाजारों की नरमी से MSME निर्यातक संकट में, सरकार से लगाई मदद की गुहार

Friday August 12, 2022 , 2 min Read

सूक्ष्म, लघु और मंझोले उद्यम (MSME) क्षेत्र के निर्यातकों को रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia-Ukraine War) के कारण वैश्विक बाजारों में मांग में नरमी का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने हालात से निपटने के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, MSME निर्यातकों का कहना है कि आने वाले महीनों में मांग में कमी का देश के निर्यात पर असर पड़ सकता है.

वैसे तो अमेरिका घरेलू निर्यातकों के लिए शीर्ष बाजार है. लेकिन नीदरलैंड, बेल्जियम, जर्मनी, इटली और फ्रांस सहित यूरोपीय देश भी शीर्ष 20 गंतव्यों में शामिल हैं. रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बुरी तरह बाधित कर दिया है. लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मंदी का दौर चल रहा है. ज्यादातर क्षेत्र क्षमता के 25-60 प्रतिशत पर ही काम कर रहे हैं. फिलहाल हमें बहुत ही कम ऑर्डर मिल रहे हैं. ज्यादातर निर्यातकों ने कहा कि उनके पास केवल एक या दो महीने के ही ऑर्डर हैं.

घरेलू और वैश्विक, दोनों बाजारों में मांग की स्थिति खराब

दलपत फोर्ज ;इंडियाद्ध के प्रबंधक अश्विनी अग्रवाल ने कहा कि मांग की स्थिति, घरेलू और अमेरिका, यूरोप जैसे वैश्विक दोनों बाजारों में खराब है और सरकार को इससे निपटने में मदद करनी चाहिए. लेदर सेक्टर के दिग्गज एक्सपोर्टर और फरीदा ग्रुप के चेयरमैन रफीक अहमद का कहना है कि फैक्ट्रियां अभी फुल कैपेसिटी पर चल रही हैं लेकिन सीजन के लिए ऑर्डर बुक की स्थिति धीरे-धीरे बिगड़ रही है. मांग से जुड़ी दिक्कतें मौजूद हैं, मुख्य रूप से अमेरिका में, जिसकी वजह वहां उच्च महंगाई है.

17 महीनों में पहली बार निर्यात में मामूली गिरावट

भारतीय निर्यातकों के संगठन फियो यानी फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के वाइस चेयरमैन खालिद खान के मुताबिक, ऑर्डर बुक की स्थिति खराब है. निर्यात में गिरावट है. जुलाई 2022 में 17 महीनों में पहली बार निर्यात में मामूली गिरावट आई, जबकि कच्चे तेल के आयात में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के कारण व्यापार घाटा तीन गुना बढ़कर 31 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. हालांकि अप्रैल-जुलाई 2022-23 के दौरान आउटबाउंड शिपमेंट 156.41 अरब डॉलर का रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 131.06 अरब डॉलर के आउटबाउंड शिपमेंट से 19.35 प्रतिशत अधिक है.


Edited by Ritika Singh