MSME को मार्गदर्शन मुहैया कराना: छोटे उद्योगों को डेटा-आधारित नजरिया अपनाने में मदद कर रहा है 'सॉल्यूशनबगी'
बेंगलुरु मुख्यालय वाली SolutionBuggy की स्थापना 2016 में अर्जुन एन ने की थी। यह MSME को मार्गदर्शन देता है और उन्हें अपने कारोबार को बढ़ाने, विकसित करने, तकनीकों को अपनाने आदि के लिए परामर्श और रणनीति मुहैया करता है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की जरूरतें विशाल और एक दूसरे से अलग होती हैं। चाहे वह कच्चे माल को खरीदना हो या नौकरी के लिए लोगों की भर्ती करना या प्रोडक्ट को विकसित करना हो। ऐसे में बहुत से मामले हैं, जहां एमएसएमई को कारोबार के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में परामर्श की जरूरत होती है।
जहां स्टार्टअप्स के पास इन्क्यूबेटरों, सलाहकारों और निवेशकों के रूप में मार्गदर्शन पाने के पर्याप्त मौके हैं। वहीं विनिर्माण यानी मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में ऐसे मार्गदर्शन और ज्ञान का अंतर है। नकदी की तंगी से जूझ रहे और सीमित संसाधनों वाले छोटे बिजेनेसों के मालिकों के पास डेलॉइट, पावरवाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी), मैकिन्जी एंड कंपनी, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, केपीएमजी सहित कंसल्टिंग सेक्टर की अन्य दिग्गज कंपनियों तक पहुंचना मुश्किल है।
इस अंतर को पाटने के लिए, अर्जुन एन ने 2016 में एक कंसल्टिंग एग्रीगेशन प्लेटफॉर्म शुरू किया, जिसे
नाम दिया गया है। बेंगलुरु मुख्यालय वाली यह कंपनी भारत के 50 से अधिक शहरों में एयरोस्पेस, रक्षा, ऑटोमोटिव, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), टेक्सटाइल सहित अन्य कई सेक्टर के एमएसएमई को कंसल्टेंट्स और एक्सपर्ट्स के साथ जोड़ती है। यह प्लेटफॉर्म छोटे बिजनेसों के मालिकों को उनकी जरूरतों के हिसाब से एक कंसल्टेंट्स से जुडने की सुविधा देती है, जो उनकी दुविधा को हल करने और प्रोजेक्ट को पूरा करने में मदद कर सकते हैं।योरस्टोरी के साथ बातचीत में , अर्जुन और कंपनी के चीफ टेक्निकल ऑफिसर, गुरुप्रसाद बांग्ले ने एमएसएमई के सामने आने वाली चुनौतियों, डिजिटलीकरण के तरफ उनकी राह और इस सेक्टर में स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग की संभावनाओं को लेकर बात की।
YourStory (YS): सॉल्यूशनबगी का मूल क्या है?
अर्जुन एन (AN): हम सलाहकार नहीं बल्कि एग्रीगेटर हैं। हमारे मंच ने फ्रीलांस कंसल्टेंट्स और व्यक्तिगत एक्सपर्ट्स को अपने साथ जोड़ा है। इसके अलावा हमने केपीएमजी और पीडब्ल्यूसी जैसी फर्मों को भी बिजनेस एसोसिएट्स के रूप में शामिल किया है। हम एक एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म हैं जहां हम इंडस्ट्री की जरूरतों को सत्यापित करते हैं और साथ ही उन एक्सपर्ट्स की लिस्ट तैयार करते हैं जो इन चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। नतीजतन, हम एक महीने में लगभग 200 परियोजनाओं को संभालते हैं और करीब 10,000 एक्सपर्ट्स के साथ काम करते हैं।
YS: आपने एमएसएमई को एक समाधान मिलने में लगने वाले समय को कैसे कम किया है?
AN: एमएसएमई को जल्द समाधान की जरूरत होती है और ऐसे में हमने उन्हें समाधान देने की समयसीमा को घटाकर करीब 24 घंटे तक ला दिया है। जब भी किसी एसएमई के मालिक हमारे प्लेटफॉर्म पर आते हैं, उन्हें एक सामान्य रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करनी होती है और जब ऐसा होता है, तो हम एक एक्सपर्ट्स या कंसल्टेंट्स खोजने की कोशिश करते हैं जो 24 घंटे के भीतर उनसे संपर्क कर सके।
हमने एक इन-हाउस एल्गोरिदम विकसित किया है, जो यह तय करता है कि मालिक संबंधित एक्सपर्ट के संपर्क में रहे। वे जिस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं, उसके आधार पर, कभी-कभी समाधान खोजने में एक दिन लग जाता है और कभी-कभी यह एक साल भी लेता है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी एफएमसीजी को प्रोडक्ट को विकसित करने के क्षेत्र में समाधान की जरूरत है, तो इससे संबंधित एक्सपर्ट्स को सूचित किया जाता है जो फिर बोर्ड पर आते हैं।
गुरुप्रसाद बांग्ले (GB): इसके अलावा, हमने एल्गोरिदम को इस तरह से विकसित किया है कि एक्सपर्ट्स की तलाश करते समय 30 डेटा बिंदुओं को ध्यान में रखा जाता है, जिसमें एक बिंदु प्राइस डिस्कवरी है। अब छोटे और मझोले बिजनेसों के मालिकों को पता है कि किस सलाहकार को किस कीमत पर मिलना है। छोटे और मझोले बिजनेसों के साथ बातचीत करने पर मुझे अनुभव हुआ कि इस चुनौती का वह पहले सामना करते थे।
YS : कोरोना महामारी ने डिजिटल होने के अहमियत को बढ़ाया है। भारतीय MSMEs के लिए स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के पास क्या गुंजाइश है?
AN: हम स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग की ओर बढ़ रहे हैं लेकिन मैं यह नहीं कहूंगा कि भारत ऑटोमेशन या स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग करने में पूरी तरह सक्षम है।
असल में उद्यमियों की युवा पीढ़ी बहुत रुचि दिखा रही है और यह समझना चाहती है कि मोबाइल फोन का उपयोग करके अपने कारोबार को बेहतर तरीके से कैसे चलाया जाए। वे सवाल पूछ रहे हैं जैसे "मैं अपनी इन्वेंट्री (अपने फोन पर) कैसे ट्रैक कर सकता हूं?"
इसलिए इस बारे में काफी रिसर्च हो रहा है कि कैसे स्मार्ट तरीके से मैन्युफैक्चरिंग करने और कुशलता व मुनाफा को बढ़ाने के लिए संसाधनों को तैनात किया जाए। हालांकि, एमएसएमई को इसके हिसाब से खुद को ढालने में कुछ समय लगेगा, लेकिन हम यह भी देख रहे हैं कि बहुत सारे ओईएम (ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स) और टेक स्टार्टअप ने आधुनिक तकनीकों को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। उदाहरण के लिए, हमने एक स्टार्टअप को कंसल्टेशन दिया जो दीवारों की ऑटोमेटिक पेंटिंग के बिजनेस में है। उनकी टीम यह समझने के लिए समाधान चाहती थी कि तकनीक को कैसे बेहतर तरीके से अपनाया जाए।
GB: एमएसएमई हमेशा डेटा के खिलाफ रहे हैं। इसलिए पिछले कुछ सालों में, हमने ट्रेनिंग कार्यक्रमों के जरिए डेटा के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता पैदा करने और डेटा को इकठ्ठा करने के महत्व पर जोर दिया है।
हमने यह भी देखा है कि कई बार हमने IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) फर्मों को MSMEs से बात करने के लिए कहा है, लेकिन जब तक MSME को अपने रोजाना के कार्यों में इसकी प्रासंगिकता नहीं मिली, तब तक बातचीत में तेजी नहीं आई। इसलिए हमने डेटा का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और औद्योगिक क्रांति 4.0 या स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग जैसी चीजों के होने में थोड़ा समय लगेगा।
YS: स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, दक्षता और पर्यावरण के लिहाज से टिकाऊपन के लक्ष्यों को पूरा करने के बारे में भी है। स्मार्ट नजरिया अपनाते हुए एमएसएमई या कंपनियां बड़े पैमाने पर ग्रीन मैन्युफैक्चरिंग के लक्ष्यों को कैसे हासिल कर सकती हैं?
GB: ग्लोबल स्तर पर कॉम्पिटीशन में बने रहने के लिए, एमएसएमई को इन चुनौतियों और प्रक्रियाओं को स्वीकार करना होगा। लेकिन एमएसएमई अपने सफर में खो जाते हैं और इसीलिए हमारे पास ये सलाहकार हैं जो लीन मैन्युफैक्चरिंग या पर्यावरण के अनुकुल मैन्युफैक्चरिंग के एक्सपर्ट्स हैं।
एमएसएमई को यह दिखाने की जरूरत है कि इन प्रक्रियाओं को अपने रोजोना के कार्यों में कैसे अपनाया जाए।
YS: कोरोना महामारी के कारण किन क्षेत्रों में बड़े अवसर सामने आए हैं?
AN: एफएमसीजी और फार्मास्यूटिकल्स के साथ-साथ खिलौने और मेडिकल डिवाइसों की मैन्युफैक्चरिंग में हालत बदल गए हैं। भारत दवाओं में कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होने एक्टिव इंग्रिडेंट की अपनी जरूरतों का करीब 70 प्रतिशत आयात कर रहा था। हालांकि जब 2020 में कोरोना महामारी भारत में आई, तो इसने ओरिजनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स को घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में मौजूद अवसरों पर दोबारा विचार करने और तलाशने के लिए मजबूर किया। सरकार ने PLI (उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन) जैसी योजनाओं पर भी जोर दिया।
YS: आने वाले समय में, आप कौन सी नई कैटेगरी और प्रोडक्ट लाइन की उम्मीज कर रहे हैं?
AN: एक कंसल्टेंट को एमएसएमई से जोड़ना भी काफी नहीं है। इसलिए हम विकासशील टीमों पर काम करना चाहते हैं जो खास जरूरतों पर उनकी आवश्यकताओं के हिसाब से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट पर काम कर सकते हैं। हम नासिक, अहमदनगर, हुबली सहित कुछ अन्य टियर- II शहरों में भी अपनी उपस्थिति का विस्तार करना चाहते हैं। सरकार इन शहरों में एमएसएमई के विकास पर भी जोर दे रही है।
हम खाड़ी देशों, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोपीय देशों की कंपनियों के साथ साझेदारी करने पर भी विचार कर रहे हैं। ये वे इलाके हैं जिन पर भारतीय एमएसएमई अपनी सप्लाई चेन की जरूरतों के लिए निर्भर हैं।
Edited by Ranjana Tripathi