आकाश, ईशा, अनंत के बीच न पैदा हों मुकेश-अनिल जैसे हालात, कहीं इसीलिए तो नहीं बंट रहा अंबानी साम्राज्य
ईशा और आकाश अंबानी, नीता व मुकेश अंबानी के जुड़वां बच्चे हैं. वहीं अनंत अंबानी उनके दूसरे बेटे हैं.
लगभग 13 साल पहले, अरबपति मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) और उनके छोटे भाई अनिल अंबानी (Anil Ambani) अपनी मां के साथ मुंबई में एक ही घर में रह रहे थे. लेकिन भारतीय अदालतों में वे दोनों अपने पिता धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) के साम्राज्य को लेकर लड़ रहे थे. धीरूभाई अंबानी की साल 2002 में मृत्यु हो गई थी और वह कोई वसीयत भी नहीं छोड़कर गए थे. उनके जाने के बाद उनके दोनों बेटे प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर कोर्ट कचहरी पहुंच गए.
लगता है कि मुकेश अंबानी इस तरह की कोई स्थिति अपने बच्चों के बीच पैदा नहीं होने देना चाहते हैं. इसलिए वह पहले ही अपने 217 अरब डॉलर के ग्रुप के विभिन्न कारोबारों को अपने बच्चों के बीच में बांटे दे रहे हैं. मुकेश अंबानी ने Reliance Jio Infocomm Ltd के डायरेक्टर के पद से इस्तीफा दे दिया है और अब उनके बेटे आकाश अंबानी कंपनी बोर्ड के चेयरमैन होंगे. मुकेश अंबानी का इस्तीफा 27 जून 2022 से प्रभावी हुआ है. हालांकि मुकेश अंबानी Jio Platforms Ltd के चेयरमैन बने रहेंगे.
मुकेश अंबानी का अगला प्लान रिलायंस रिटेल को लेकर है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी को रिलायंस इंडस्ट्रीज समूह की रिटेल यूनिट का चेयरपर्सन घोषित किया जाना लगभग तय है. वह वर्तमान में रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड की निदेशक हैं. ईशा और आकाश अंबानी, नीता व मुकेश अंबानी के जुड़वां बच्चे हैं. वहीं अनंत अंबानी उनके दूसरे बेटे हैं. मुकेश अंबानी का बिजनेस एंपायर तेल से लेकर दूरसंचार सेक्टर तक में फैला हुआ है.
धीरूभाई अंबानी के एंपायर का बंटवारा और आज के हालात
धीरूभाई अंबानी के गुजर जाने के बाद और अंबानी परिवार की कलह कोर्ट में पहुंचने के बाद 2005 में पारिवारिक समझौता हुआ. इसके हिस्से के रूप में, मुकेश को बंगाल की खाड़ी में डीप सी फील्ड्स फील्ड्स पर नियंत्रण हासिल हुआ, जिसने गैस का उत्पादन ताजा—ताजा ही शुरू किया था. समझौते में यह शर्त भी थी कि उन्हें ,अनिल के प्रस्तावित बिजली संयंत्र को 17 साल तक एक निश्चित मूल्य पर सस्ते फीडस्टॉक की सप्लाई करनी होगी. इस शर्त को मान लेने से भले ही राजधानी नई दिल्ली में आठ घंटे तक बिजली कटौती समाप्त हो जाती, लेकिन इससे मुकेश की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अपंग हो जाती.
सौभाग्य से बड़े भाई के लिए, भारतीय सुप्रीम कोर्ट का मई 2010 का फैसला उनके पक्ष में गया. इसमें गैस को भारतीय सॉवरेन प्रॉपर्टी माना गया न कि मुकेश अंबानी की, जिसे किसी को दिया जाए. दो हफ्ते बाद, दोनों भाइयों ने सद्भाव में रहने के लिए सहमति व्यक्त की और अपने अलगाव के अधिकांश नॉन कंपीट क्लॉजेस को समाप्त कर दिया, जिसमें दूरसंचार क्षेत्र भी शामिल है. टेलिकॉम सेक्टर में अनिल ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड का परिचालन किया. उस आधार पर, मुकेश अंबानी ने फिर से इंडस्ट्री में एक महीने बाद प्रवेश किया.
तब से लेकर अब तक बहुत कुछ बदल चुका है. अनिल अंबानी की कई कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं. मुकेश अंबानी भारत के दूसरे सबसे ज्यादा अमीर शख्स बन चुके हैं और अब अपनी उत्तराधिकारी घोषित करने की दिशा में काम कर रहे हैं.
अनंत के लिए क्या हो सकता है प्लान
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुकेश अंबानी और नीता अंबानी के तीनों बच्चों में सबसे छोटे 27 वर्षीय अनंत के हाथ में संभवतः ऑयल टू केमिकल्स व्यवसाय की कमान दी जा सकती है. उन्हें अपने पिता के शुरू किए गए कामों/सपनों को पूरा करना होगा. उदाहरण के लिए क्लीनर एनर्जी सोर्सेज जैसे सोलर पैनल्स, सोडियन आयन बैटरी और सबसे जरूरी 1 दशक से भी कम समय में 1 डॉलर प्रति किलोग्राम से कम में ग्रीन हाइड्रोजन.
मुकेश अंबानी ने पिछले साल दिसंबर में कर्मचारियों के एक कार्यक्रम में महत्वपूर्ण लीडरशिप चेंज के बारे में बात करना शुरू किया था. इसलिए यह कहना मुश्किल है कि अंतिम व्यवस्था कैसी दिखेगी, और परिवर्तन कितनी जल्दी लागू होंगे. लेकिन यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी यदि रिटेल, दूरसंचार और ऊर्जा सेगमेंट, एक या एक से अधिक रणनीतिक भागीदारों से इक्विटी पार्टिसिपेशन और परिचालन सपोर्ट के साथ प्रोफेशनली मैनेज्ड, स्वतंत्र रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में सामने आएं. इस परिदृश्य में, बच्चे साथ ही मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता, रिलायंस इंडस्ट्रीज में अपने शेयरों के माध्यम से नियंत्रण कर सकते हैं, जो कि Jio प्लेटफॉर्म्स, रिलायंस रिटेल और ऊर्जा व्यवसाय, Reliance O2C में हिस्सेदारी के मालिक होंगे.
अभी अंबानी संतानों के लिए शायद यही बेस्ट
लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि ऐसी संरचना बिना समस्याओं के नहीं होगी. अभी के लिए, मुकेश अंबानी के बच्चे रिलायंस की मदरशिप के साथ अपना नाता बरकरार रखना चाहेंगे. इसका अर्थ है कि उन्हें समूह की पूंजी-आवंटन नीतियों को स्वीकार करना होगा, भले ही वे अपना काम करने के लिए स्वतंत्र हों. संभव है कि उनके पिता और ग्रुप उनके लिए जो सबसे अच्छा कर सकते हैं, वह यही है.